कांगो में शांति की उम्मीद: कतर में सरकार और विद्रोहियों के बीच अहम वार्ता, संघर्ष में अबतक लाखों लोग विस्थापित
कांगो में शांति स्थापित करने की एक नई उम्मीद के साथ सरकार और एम23 विद्रोही समूह के प्रतिनिधि कतर में अहम वार्ता कर रहें हैं। कांगो में कई सालों से जारी संघर्ष में अबतक 70 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके है। वहीं लगभग 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अब ऐसे समय में कतर में हो रही ये वार्ता शांति की ओर एक नई उम्मीद की किरण की तरह है।
विस्तार
पूर्वी कांगो में फैले अशांति के बीच कांगो और रवांडा समर्थित एम23 विद्रोही समूह के प्रतिनिधि कतर की राजधानी दोहा में शांति वार्ता कर रहे है। यह वार्ता पूर्वी कांगो में शांति लाने के लिए की जा रही है, जहां कई सालों से लड़ाई चल रही है और हाल ही में हालात और भी बिगड़ गए हैं। बता दें कि बीते महीने जनवरी में एम23 विद्रोहियों ने कांगो के गोमा शहर पर कब्जा कर लिया था। वहीं एक महीने के बाद फरवरी में बुकावु शहर भी अपने नियंत्रण में ले लिया, जिसके बाद संघर्ष और तेज हो गया। इस लड़ाई में अब तक लगभग 3,000 लोग मारे जा चुके हैं और 70 लाख से ज्यादा लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
कांगो सरकार और विद्रोहियों की मांग
बुधवार को कांगो सरकार और एम23 के प्रतिनिधियों की दोहा में मुलाकात हुई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह बातचीत गोपनीय रखी गई है और इसमें शामिल कुछ अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर जानकारी दी।एम23 की ओर से बातचीत का नेतृत्व बर्ट्रेंड बिसिमवा कर रहे हैं। वहीं कांगो सरकार की टीम में ज्यादातर लोग राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं, जो चाहते हैं कि विद्रोही अपने कब्जे वाले इलाकों से पीछे हटें। वहीं विद्रोहियों की मांग है कि कांगो सरकार एम23 के सदस्यों के खिलाफ चल रही मौत की सजा और केस खत्म करे।
ये भी पढ़ें:- Slovakia: 'भारत प्रगति की शानदार मिसाल', राष्ट्रपति मुर्मू ने 'मेक इन इंडिया' का जिक्र कर निवेश का दिया न्योता
गौरतलब है कि एम23 एक ऐसा विद्रोही समूह है जो कांगो के खनिजों से भरपूर इलाकों में नियंत्रण के लिए लड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक एम23 को रवांडा की सेना का भी समर्थन मिल रहा है। कई बार उन्होंने कांगो की राजधानी किंशासा तक जाने की धमकी भी दी है। वहीं कांगो के कुछ नेता मानते हैं कि अमेरिका के साथ खनिज समझौते और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भी इस संघर्ष को रोकने में मदद नहीं कर पाए हैं।
70 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार इस संघर्ष में 70 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। साथ ही यह दुनिया के सबसे बड़े मानवीय संकटों में से एक बन चुका है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के अनुसार, एम23 विद्रोहियों को रवांडा से 4,000 सैनिकों का समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा, दोनों पक्षों पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगाए गए हैं, जिनकी जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र ने एक आयोग गठित किया है।
ये भी पढ़ें:- US: अमीरों पर कर कटौती वाला ट्रंप का बिल प्रतिनिधि सभा से पास; खुद के रिपब्लिकन सांसद कर रहे थे विरोध
रवांडा पर बढ़ता अंतर्राष्ट्रीय दबाव
देखा जाए तो रवांडा पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। साथ ही यूरोपीय संघ ने रवांडा के विशेष बलों के कमांडर सहित पांच नागरिकों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसके बाद, रवांडा ने बेल्जियम के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दिए और अपने सभी राजनयिकों को बेल्जियम से बाहर जाने का आदेश दिया। रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे ने बेल्जियम पर देश को नष्ट करने का आरोप भी लगाया।