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US: ट्रंप ने दोहराई ग्रीनलैंड-पनामा नहर पर नियंत्रण की बात, कहा- सैन्य बल के इस्तेमाल की संभावना से इनकार नहीं

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, पाम बीच (अमेरिका) Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Wed, 08 Jan 2025 01:26 AM IST
सार

डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है। वह 20 जनवरी को अपना पदभार ग्रहण करेंगे। इससे दो सप्ताह पहले उन्होंने पनामा नहर और ग्रीनलैंड पर नियंत्रण करने के संकेत दिए हैं। 

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Donald Trump ruled out using military force to capture Greenland and Panama Canal
डोनाल्ड ट्रंप - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पनामा नहर, ग्रीनलैंड पर कब्जे की बात दोहराई है। कनाडा को अमेरिका के 51वें राज्य में शामिल होने के रुख के बीच एक बार फिर ट्रंप ने कहा है कि वह इन दोनों क्षेत्रों पर नियंत्रण करने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल करने से इनकार नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि इन दोनों क्षेत्रों पर अमेरिकी नियंत्रण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

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डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है। वह 20 जनवरी को अपना पदभार ग्रहण करेंगे। इससे दो सप्ताह पहले उन्होंने पनामा नहर और ग्रीनलैंड पर नियंत्रण करने के संकेत दिए हैं। 
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गौरतलब है कि ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पहले उनके बेटे ट्रंप जूनियर और सहयोगियों का एक प्रतिनिधिमंडल ग्रीनलैंड पहुंचा है। इस बारे में एक पत्रकारवार्ता के दौरान जब उनसे पूछा गया कि ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर कब्जे के लिये क्या वह सेना का प्रयोग नहीं करेंगे। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं इससे इनकार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि पनामा नहर हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं हमें राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए ग्रीनलैंड की आवश्यकता है। बता दें कि ग्रीनलैंड डेनमार्क का एक स्वायत्त क्षेत्र है। डेनमार्क लंबे समय से अमेरिका का सहयोगी और नाटो का संस्थापक सदस्य है।

पनामा नहर और ग्रीनलैंड पर कब्जे की इच्छा जाहिर कर चुके हैं ट्रंप
गौरतलब है कि ट्रंप के बेटे एरिक ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक मीम साझा किया, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप, पनामा नहर, ग्रीनलैंड और कनाडा को खरीदते नजर आ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ग्रीनलैंड का जिक्र करते हुए कहा था कि ग्रीनलैंड पर अमेरिका का मालिकाना हक होना चाहिए और राष्ट्रीय सुरक्षा और विचारों की स्वतंत्रतता के लिए ये बेहद जरूरी है। ट्रंप ने पनामा नहर पर भी फिर से अमेरिका का कब्जा करने की धमकी दी थी और कहा था कि पनामा नहर अमेरिका की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। गौरतलब है कि चीन पनामा नहर पर अपनी मौजूदगी को लगातार बढ़ा रहा है, जो अमेरिका के लिए खतरे की घंटी है। ट्रंप ने इससे पहले 2019 में भी ग्रीनलैंड को खरीदने की बात कह चुके हैं। हालांकि, तब उनके बयानों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई थी। 

स्वायत्त शासन वाला देश है ग्रीनलैंड 
गौरतलब है कि ग्रीनलैंड स्वायत्त शासन वाला देश है। हालांकि, यह अभी भी डेनमार्क साम्राज्य का हिस्सा है। यानी परोक्ष रूप से यहां यूरोपीय देश डेनमार्क का ही शासन है। ग्रीनलैंड की घरेलू गतिविधियों को वहां की सरकार ही देखती है। यह सरकार गृह मामलों के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधानों और कानून-प्रवर्तन के मामले देखती है। इसकी राजधानी न्युक है, जहां से प्रशासन के सारे काम देखे जाते हैं।

वहीं, डेनमार्क की तरफ से ग्रीनलैंड के विदेश से जुड़े मामले, रक्षा, वित्तीय नीति से जुड़े मामले देखे जाते हैं। डेनमार्क की महारानी मारग्रेथ-II ग्रीनलैंड की औपचारिक प्रमुख हैं, जबकि इसकी चुनी हुई सरकार का नेतृत्व प्रधानमंत्री म्युते बूरुप इगेदे कर रहे हैं। 

चौंकाने वाली बात यह है कि ग्रीनलैंड खुद यूरोप का हिस्सा नहीं है। यह उत्तरी अमेरिका महाद्वीप का हिस्सा है और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) से करीब 5000 किमी दूर है। इस लिहाज से अमेरिका के लिए ग्रीनलैंड की कूटनीतिक महत्ता बढ़ जाती है। ग्रीनलैंड सागर के जरिए आर्कटिक महासागर से सीधे जुड़े होने की वजह से ग्रीनलैंड का यह पूरा क्षेत्र कूटनीतिक तौर पर अहमियत रखता है। इतना ही नहीं 21 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला ग्रीनलैंड पूरे अमेरिका के करीब एक-चौथाई के बराबर है और रहने के लिए कई संभावनाओं से भरा रहा है।

पनामा नहर क्यों है अहम, जिस पर कब्जे से घबराया अमेरिका
पनामा नहर वैश्विक भू-राजनीति में अहम मानी जाती है। यह 82 किलोमीटर लंबी नहर अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। पूरी दुनिया का छह फीसदी समुद्री व्यापार पनामा नहर से ही होता है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए भी पनामा नहर बेहद अहम है क्योंकि अभी न्यूयॉर्क से सैन फ्रांसिस्को जाने वाले मालवाहक जहाजों को पनामा नहर के जरिए दूरी 8370 किलोमीटर पड़ती है, लेकिन अगर पनामा नहर की बजाय पुराने मार्ग से माल भेजा जाए तो जहाजों को पूरे दक्षिण अमेरिकी देशों का चक्कर लगाने के बाद सैन फ्रांसिस्को जाना होगा और ये दूरी 22 हजार किलोमीटर से ज्यादा होगी। 

अमेरिका का 14 फीसदी व्यापार पनामा नहर के जरिए ही होता है। कह सकते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए ही पनामा नहर लाइफलाइन का काम करती है। अमेरिका के साथ ही दक्षिण अमेरिकी देशों का बड़ी संख्या में आयात-निर्यात भी पनामा नहर के जरिए ही होता है। एशिया से अगर कैरेबियाई देश माल भेजना हो तो जहाज पनामा नहर से होकर ही गुजरते हैं। खुद पनामा की अर्थव्यवस्था इस नहर पर निर्भर है और पनामा की सरकार को पनामा के प्रबंधन से ही हर साल अरबों डॉलर की कमाई होती है। पनामा नहर पर कब्जा होने की स्थिति में पूरी दुनिया की आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने का खतरा है। 

साल 1881 में फ्रांस ने शुरू किया था नहर का निर्माण
पनामा नहर का निर्माण साल 1881 में फ्रांस ने शुरू किया था, लेकिन साल 1914 में अमेरिका द्वारा इस नहर के निर्माण को पूरा किया गया। इसके बाद पनामा नहर पर अमेरिका का ही नियंत्रण रहा, लेकिन साल 1999 में अमेरिका ने पनामा नहर का नियंत्रण पनामा की सरकार को सौंप दिया। अब इसका प्रबंधन पनामा कैनाल अथॉरिटी द्वारा किया जाता है। पनामा नहर को इंजीनियरिंग का चमत्कार माना जाता है और इसे आधुनिक दुनिया के इंजीनियरिंग के सात अजूबों में से एक माना जाता है। 

पनामा नहर पर कैसे अपना प्रभाव बढ़ा रहा चीन
चीन अभी हांगकांग स्थित हचल्सन कंपनी के जरिए पनामा के बंदरगाह के पांच बड़े जोन को नियंत्रित करता है। इनमें से दो जोन्स पनामा नहर के मार्ग पर ही स्थित हैं। साथ ही चीनी कंपनियां एमाडोर पैसिफिक कोस्ट क्रूज टर्मिनल का काम कर रही है। चीन की ही एक कंपनी ने पनामा के अटलांटिक महासागर की तरफ सबसे बड़े बंदरगाह का नियंत्रण भी साल 2016 में खरीद लिया था। चीन की ही एक कंपनी पनामा नहर पर एक पुल का भी निर्माण कर रही है। इनके अलावा भी चीन की विभिन्न कंपनियां पनामा में बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों में लगी हैं। यही वजह है कि पनामा में चीन के दिनों-दिन बढ़ते प्रभाव से अमेरिका परेशान है और अब ट्रंप ने खुलेआम पनामा की सरकार को धमकी दे दी है कि वे पनामा नहर का प्रबंधन 1999 से पहले की तरह फिर से अपने हाथ में ले सकते हैं। 

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