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FIFA World Cup 2022: विवाद और बहिष्कार की अपीलों के बावजूद कतर ने किया वर्ल्ड कप का भव्य आयोजन

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, दोहा Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 19 Dec 2022 03:44 PM IST
सार

Fifa World Cup 2022: फीफा के अध्यक्ष गियानी इन्फैंनतिनो ने बीते शुक्रवार को बताया था कि इस वर्ल्ड के लिए हुए व्यापारिक सौदों से फीफा को रिकॉर्ड 7.5 बिलियन डॉलर की आमदनी हुई है। यह 2018 में रूस में हुए विश्व कप टूर्नामेंट से उसे हुई आमदनी से एक बिलियन डॉलर ज्यादा है...

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FIFA World Cup 2022: Despite the controversy and boycott appeal, Qatar organized grand event
FIFA World Cup 2022 - फोटो : Agency
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विस्तार
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कतर में फीफा वर्ल्ड कप (FIFA World Cup 2022) शुरू होने के पहले कई मुद्दों पर विवाद उठे थे। स्टेडियमों के निर्माण के दौरान विदेशी मजबूरों की मौत और समलैंगिकों के प्रति कतर के कथित संकीर्ण नजरिए को लेकर कई हलकों से इस विश्व कप के बहिष्कार की अपील भी की गई थी। अब विश्व कप खत्म होने के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि कतर के खिलाफ बनाए गए इस माहौल से टूर्नामेंट पर क्या फर्क पड़ा।

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विशेषज्ञों के मुताबिक फीफा की आमदनी पर विवादों से कोई असर नहीं हुआ है। फीफा के अध्यक्ष गियानी इन्फैंनतिनो ने बीते शुक्रवार को बताया था कि इस वर्ल्ड के लिए हुए व्यापारिक सौदों से फीफा को रिकॉर्ड 7.5 बिलियन डॉलर की आमदनी हुई है। यह 2018 में रूस में हुए विश्व कप टूर्नामेंट से उसे हुई आमदनी से एक बिलियन डॉलर ज्यादा है। अगले विश्व कप टूर्नामेंट की मेजबानी 2026 में अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा मिल कर करेंगे। फीफा को आशा है कि उससे उसे 11 बिलियन डॉलर की आय होगी।

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विवादों के बावजूद कई प्रमुख पूर्व खिलाड़ी कतर में हुए टूर्नामेंट का ब्रांड अबेंसडर बनने को तैयार हुए। उनमें कैफू (ब्राजील), सैमुएल इटो (कैमरून), ज़ावी (स्पेन) और टिम केहिल (ऑस्ट्रेलिया) शामिल हैं। लेकिन इस भूमिका में आने के लिए आलोचना का सबसे ज्यादा शिकार इंग्लैंड के पूर्व स्टार डेविड बैकहम हुए। बैकहम की पहचान सैमलैंगिक अधिकारों के समर्थक की रही है। जबकि कतर ने रविवार को खत्म हुए टूर्नामेंट के दौरान समलैंगिकता से संबंधित किसी प्रतीक चिह्न को दिखाने पर रोक लगा थी।

बड़ी कंपनियों ने भी टूर्नामेंट का बायकॉट करने की अपीलों को अनसुना कर दिया। एडिडास और मैकडॉनल्ड जैसी पश्चिमी कंपनियों ने भी इस टूर्नामेंट से खुद को संबंधित किया। अमेरिकी लॉ फर्म जेएमडब्ल्यू सॉलिसीटर्स स्थित स्पोर्ट्स सर्विसेज के प्रमुख बेन पेपी ने टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘इन बड़ी कंपनियों की मार्केटिंग टीम जब अपने ग्राहक आधार को देखती हैं, तो इस नतीजे पर पहुंचती हैं कि समलैंगिकता जैसे मुद्दों पर उदार नजरिया रखने वाले पश्चिमी उपभोक्ता छोटी संख्या में हैं।’

इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों का कारोबार पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इसके अलावा फीफा ने ऐसी कंपनियों को जोड़ा, जिनका मुख्यालय एशिया में है। मसलन, वांडा चीन की कंपनी है, जबकि कतर एयरवेज और कतर एनर्जी मेजबान कतर की कंपनियां हैं। इन्होंने खुल कर वर्ल्ड कप को अपने प्रचार का मौका बनाया। चीनी कंपनियों वीवो, मेंगनिउ डेयरी और हाईसेंस भी टूर्नामेंट के प्रायोजकों में शामिल हुईँ।

फीफा अपने प्रायोजकों को तीन श्रेणियों में रखता है। उसके ‘पार्टनर्स’ के रूप में कोका कोला, एडिडास, वीजा, वांडा, कतर एयरवेज, कतर एनर्जी और ह्यूंदै-किआ शामिल हुईं। ‘वर्ल्ड कप स्पॉन्सर्स’ की श्रेणी में बडवाइजर, मैकडॉनल्ड, मेंगनिउ डेयरी और हाईसेंस शामिल हुईं। इनके अलावा ‘रिजनल पार्टनर्स’ की श्रेणी है, जिसमें कई कंपनियां शामिल थीं। पेपी ने कहा- ‘फीफा वर्ल्ड कप खेल की दुनिया में सबसे बहुमूल्य बौद्धिक संपदाओं में एक है। इस वजह से यह बेहतर ढंग से नियंत्रित और संचालित आयोजन है।’

टूर्नामेंट शुरू होने के पहले मानव अधिकार संगठनों एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच और फेयर स्क्वेयर ने फीफा से संबंधित 14 बड़ी कंपनियों को पत्र लिख कर वर्ल्ड कप के दौरान ‘मानव अधिकारों के हनन’ के मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की थी। लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि कंपनियों ने उस पर ध्यान दिया। नतीजतन, कतर वर्ल्ड कप का भव्य और ध्यानकर्षक आयोजन करने में कामयाब रहा।

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