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US Tariffs: 'अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक ट्रंप के टैरिफ', IMF की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने की निंदा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 08 Oct 2025 08:30 AM IST
सार

ट्रंप के टैरिफ की समीक्षा करते हुए गीता गोपीनाथ ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले के छह महीने बाद का नतीजा यही है कि ट्रंप की नीति से न तो अमेरिका का व्यापार संतुलन सुधरा, न मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी। बल्कि मुद्रास्फीति बढ़ी, और अमेरिकी कंपनियों पर बोझ पड़ा। उन्होंने कहा- यह नीति देश की अर्थव्यवस्था के लिए घाटे का सौदा साबित हुई।

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former IMF Chief Economist Gita Gopinath slams Trump tariffs, evaluated as Negative Scorecard for US Economy
ट्रंप के टैरिफ की गीता गोपीनाथ ने की आलोचना - फोटो : ANI
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विस्तार
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अमेरिका की जानी-मानी अर्थशास्त्री और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ (आयात शुल्क) नीति पर तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ट्रंप की तरफ से लगाए गए ऊंचे शुल्कों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई खास लाभ नहीं हुआ, बल्कि इसका असर उल्टा पड़ा है।
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ट्रंप की टैरिफ नीति क्या थी?
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और व्यापार घाटा कम करने के नाम पर भारत, ब्राजील जैसे देशों से आने वाले उत्पादों पर 50% तक और पेटेंटेड दवाओं पर 100% तक शुल्क लगा दिया था। उनका दावा था कि इससे अमेरिकी कंपनियों को फायदा होगा और देश में उत्पादन बढ़ेगा।

गीता गोपीनाथ की समीक्षा
छह महीने बाद गीता गोपीनाथ ने इस नीति के असर का विश्लेषण किया और अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, 'लिबरेशन डे' टैरिफ के छह महीने बीत गए हैं, इनसे क्या हासिल हुआ? उन्होंने चार मुख्य बिंदुओं में ट्रंप की नीति की समीक्षा की हैं। और उन्होंने अंत में कहा, 'कुल मिलाकर ट्रंप की टैरिफ नीति का स्कोरकार्ड नकारात्मक है।'
  1. राजस्व बढ़ा?- हां, सरकार की आमदनी बढ़ी है, लेकिन इसका बोझ पूरी तरह अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं पर पड़ा है। यानी यह एक तरह का टैक्स बन गया।
  2. मुद्रास्फीति बढ़ी?- हां, कुल मिलाकर थोड़ी बढ़ोतरी हुई, लेकिन घरेलू सामान जैसे फ्रीज, फर्नीचर, कॉफी आदि की कीमतें काफी बढ़ीं।
  3. व्यापार संतुलन सुधरा?- नहीं, इसमें कोई सुधार नहीं दिखा।
  4. अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को फायदा?- इसका भी कोई सबूत नहीं।



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टैरिफ पर विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं
अमेरिकी और भारतीय विशेषज्ञों ने भी ट्रंप की नीति को लेकर चिंता जताई है। जेएनयू के चीन मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने कहा कि ट्रंप का भारत पर टैरिफ लगाना 'अहंकार से प्रेरित फैसला' लगता है। उनके मुताबिक, 'अगर ट्रंप को व्यापार घाटे से समस्या है, तो असली ध्यान चीन पर होना चाहिए, न कि भारत पर। भारत तो इस पूरी लड़ाई में बस एक साइड शो बन गया।' वहीं टफ्ट्स विश्वविद्यालय के फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी में ग्लोबल बिजनेस के डीन भास्कर चक्रवर्ती ने कहा कि दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने के ट्रंप के फैसले का भारत पर, कम से कम अभी तक, कोई असर नहीं पड़ेगा। चक्रवर्ती ने तर्क दिया कि वह भविष्य में भारतीय जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाने से इनकार नहीं करेंगे।
 
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