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UNHRC: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर चर्चा, अंतरिम सरकार पर दबाव डालने की मांग
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, जिनेवा।
Published by: निर्मल कांत
Updated Wed, 24 Sep 2025 08:29 AM IST
सार
UNHRC: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में शिवी डेवलपमेंट सोसायटी के नरेंद्र कुमार ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता जताई और कहा कि देश में धार्मिक स्वतंत्रता गंभीर खतरे में है। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हिंसा में तेजी आई, जिसमें हजारों घटनाएं और कई मंदिरों पर हमले हुए।
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नरेंद्र कुमार
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में शिवी डेवलपमेंट सोसायटी के नरेंद्र कुमार ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि देश में धर्म और आस्था की स्वतंत्रता दिन-ब-दिन खतरे में जा रही है।
नरेंद्र कुमार ने बताया कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने चार से 20 अगस्त के बीच दो हजार से अधिक सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं दर्ज कीं, जिनमें 69 मंदिरों पर हमले भी शामिल थे। इस दौरान पांच हिंदू भी मारे गए।
उन्होंने आगे कहा कि हसीना को हटाए जाने के तुरंत बाद देशभर में सैकड़ों हिंदू घरों, व्यवसायों और मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय पर गहरा असर पड़ा। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक कुल आबादी का लगभग आठ फीसदी हैं।
ये भी पढ़ें: ट्रंप प्रशासन का यू-टर्न: फिर काम पर बुलाए गए नौकरी से हटाए गए सरकारी कर्मचारी, मस्क की कटौती नीति पड़ी महंगी
मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने हिंसा की बात कबूल की। लेकिन नरेंद्र कुमार ने आलोचना करते हुए कहा कि यूनुस ने दंगे को केवल राजनीतिक कारणों से जोड़ा, जिससे धार्मिक असहिष्णुता को कम करके दिखाया गया। उन्होंने मानवाधिकार परिषद से बांग्लादेश पर दबाव डालने का आग्रह किया कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करे और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए निष्पक्ष जांच करे।
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नरेंद्र कुमार ने बताया कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने चार से 20 अगस्त के बीच दो हजार से अधिक सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं दर्ज कीं, जिनमें 69 मंदिरों पर हमले भी शामिल थे। इस दौरान पांच हिंदू भी मारे गए।
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उन्होंने आगे कहा कि हसीना को हटाए जाने के तुरंत बाद देशभर में सैकड़ों हिंदू घरों, व्यवसायों और मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय पर गहरा असर पड़ा। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक कुल आबादी का लगभग आठ फीसदी हैं।
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मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने हिंसा की बात कबूल की। लेकिन नरेंद्र कुमार ने आलोचना करते हुए कहा कि यूनुस ने दंगे को केवल राजनीतिक कारणों से जोड़ा, जिससे धार्मिक असहिष्णुता को कम करके दिखाया गया। उन्होंने मानवाधिकार परिषद से बांग्लादेश पर दबाव डालने का आग्रह किया कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करे और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए निष्पक्ष जांच करे।