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UN: फलस्तीन के मसले पर भारत ने शांतिपूर्ण समाधान पर जताई प्रतिबद्धता, यूएन में द्वि-राष्ट्र समाधान पर दिया जोर
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: मिथिलेश नौटियाल
Updated Sat, 13 Jul 2024 11:20 PM IST
सार
संयुक्त राष्ट्र में भारत फलस्तीन के मुद्दे को लेकर शांतिपूर्ण समाधान पर प्रतिबद्धता जताई। भारत हमेशा से बातचीत के आधार पर द्वि-राष्ट्र समाधान का समर्थन करता रहा है।
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आर रवींद्र
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारत ने जटिल फलस्तीन मसले के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपनी ऐतिहासिक और अटूट प्रतिबद्धता जताई है। उसने बातचीत के आधार पर दो देश समाधान का समर्थन किया जिससे इस्राइल के साथ शांति से फलस्तीन के संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य देश की स्थापना हो सके।
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द्वि-राष्ट्र समाधान पर भारत का जोर
संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आर रवींद्र ने फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के एक सम्मेलन में यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा बातचीत के आधार पर द्वि-राष्ट्र समाधान (Two State Solution) का समर्थन किया है, जिससे फलस्तीन के एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य राष्ट्र की स्थापना हो सके। उन्होंने फलस्तीन के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत की ऐतिहासिक और अटूट प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि भारत ने गाजा में चल रहे इस्राइल-हमास संघर्ष पर एक सैद्धांतिक रुख अपनाया है और महिलाओं तथा बच्चों समेत नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा की है। आर रवींद्र ने कहा कि पिछले वर्ष 7 अक्तूबर को किया गया बर्बर हमले की भारत कड़ी निंदा करता है और सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग करता है।
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फलस्तीन की मदद करने में अग्रणी रहा है भारत- आर रवींद्र
आर रवींद्र ने आगे कहा कि भारत, फलस्तीन के लोगों के लिए एक विश्वसनीय विकास भागीदार रहा है। पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न रूपों में भारत ने फलस्तीन की लगभग 120 मिलियन अमेरिकी डॉलर की विकासात्मक सहायता की है, जिसमें यूएनआरडब्ल्यूए में योगदान के रूप में 35 मिलियन अमेरिकी डॉलर भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम इस वर्ष भी अपना पांच मिलियन डॉलर का वार्षिक योगदान जारी रखेंगे। भारत फलस्तीन के 50 छात्रों को भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति प्रदान कर रहा है।’ आर रवींद्र ने कहा कि जीवनरक्षक दवाओं के लिए फलस्तीनी प्राधिकरण से भी एक अनुरोध मिला है जिस पर भारत द्वारा सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है।