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UNHRC: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को बेनकाब किया, मानवाधिकारों में सबसे खराब रिकॉर्ड वाला देश बताया

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जिनेवा Published by: नितिन गौतम Updated Thu, 02 Oct 2025 02:24 PM IST
सार

यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (यूकेपीएनपी) के प्रवक्ता नासिर अजीज खान ने यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए, पीओके में पाकिस्तान के बढ़ते दमन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की। 

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India rips Pakistan IN UNHRC over its hypocrisy on human rights calls it a country with worst record
यूएनएचआरसी में भारत के प्रतिनिधि राजनयिक - फोटो : एक्स/@sidhant
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विस्तार
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भारत ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 60वें सत्र में मानवाधिकारों के मुद्दे पर पाकिस्तान के पाखंड को बेनकाब किया। भारत ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को उजागर करते हुए उसकी तीखी आलोचना की। भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, राजनयिक मोहम्मद हुसैन ने कहा कि 'यह विडंबना ही है कि मानवाधिकारों के मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड वाला देश दूसरे देशों को उपदेश देने की कोशिश कर रहा है।'

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भारतीय राजनयिक ने पाकिस्तान को दिखाया आईना
भारतीय राजनयिक मोहम्मद हुसैन ने मानवाधिकार परिषद की 34वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा, 'वे (पाकिस्तान) भारत के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाकर इस मंच का दुरुपयोग करते हैं, जो उनके पाखंड को ही उजागर करता है। दुष्प्रचार का सहारा लेने के बजाय, पाकिस्तान को अपने ही देश में हो रहे धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ 'राज्य प्रायोजित उत्पीड़न और व्यवस्थित भेदभाव' की तरफ देखना चाहिए।' 
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पाकिस्तान में घटती सिंधी आबादी पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने जिनेवा में जताई चिंता
मानवाधिकार कार्यकर्ता दिव्या आडवाणी ने पाकिस्तान में सिंधियों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि उनकी संख्या तेजी से घट रही है जबकि भारत में यह समुदाय फल-फूल रहा है और अपने अधिकारों का आनंद ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक,पाकिस्तान में सिंधियों की आबादी बहुत कम हो गई है और उनकी हालत खराब है। आडवाणी ने यह बात भारत के एक गैर सरकारी संगठन सिंधी अधिकार मंच के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र के इतर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में दलितों और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान में रह रहे सिंधियों को लेकर कहा कि भारत हर अल्पसंख्यक को बराबरी देता है। इस दौरान सिंधी अधिकार मंच के संस्थापक-अध्यक्ष और सीईओ गोविंद गुरबानी ने कहा उन्होंने भारत की नीतियों को इसलिए सामने रखा,क्योंकि उन्होंने देखा कि कई देश,जिनका भारत से कोई सीधा संबंध नहीं है,वे मुस्लिम मुद्दों पर भारत की आलोचना कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने बताया कि भारत में अल्पसंख्यक स्वतंत्रता और समान अधिकारों के साथ रहते हैं। दलितों को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण है और कुछ राज्यों में मुसलमानों को भी आरक्षण मिलता है। गुरबानी ने कहा कि भारत का लोकतंत्र सबको साथ लेकर चलता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि भारत में मुस्लिम राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री रह चुके हैं,इससे साबित होता है कि कोई भेदभाव नहीं है। उन्होंने पाकिस्तान में सिंधियों की दयनीय हालत पर के बारे में कहा कि वहां पाकिस्तान संसद में सिंधी सांसद खुलेआम रो-रोकर कह रहे हैं कि हमारी लड़कियों और परिवारों को बचाओ। यह उनकी पीड़ा और असुरक्षा को दिखाता है।  


पीओके में बगावत 
गौरतलब है कि मानवाधिकार परिषद का यह सत्र ऐसे समय आयोजित हो रहा है, जब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में असंतोष के हालात हैं और बीते कई दिनों से वहां विरोध प्रदर्शन और हिंसा हो रही है, जिसमें कई लोगों की हत्या कर दी गई है। यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (यूकेपीएनपी) के प्रवक्ता नासिर अजीज खान ने यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए, पीओके में पाकिस्तान के बढ़ते दमन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की। खान ने पीओके में हालिया विरोध प्रदर्शनों पर बात की, जिसमें 29 सितंबर को संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में पूर्ण बंद और चक्का जाम हड़ताल की गई। उन्होंने इस्लामाबाद पर असहमति को दबाने के लिए सेना तैनात करने, इंटरनेट सेवाएं बंद करने और संचार व्यवस्था ठप करने का आरोप लगाया। खान ने कहा, 'पीओजेके में 30 लाख से ज्यादा कश्मीरी घेरे में हैं, जबकि विदेशों में 20 लाख लोग अपने परिवारों से कटे हुए हैं।' 

ये भी पढ़ें- JKJAAC Strike: पीओके में जारी हड़ताल के बीच तीन पुलिसकर्मियों की मौत, 100+ घायल; बलूचिस्तान में 13 आतंकी ढेर

पीओके में हिंसक हुआ विरोध प्रदर्शन
पीओके में बिजली की दरों में कमी, सब्सिडी वाले गेहूं के आटे और बेहतर स्वास्थ्य सेवा जैसी मांगों को लेकर कई दिनों से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। शांतिपूर्ण हड़ताल से शुरू हुआ यह प्रदर्शन हिंसक हो गया है, जिसमें कम से कम तीन लोग मारे गए हैं और 22 से ज़्यादा घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारी पाकिस्तान में बसे शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को भी हटाने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले, जिनेवा में चल रहे सत्र के दौरान आयोजित एक सेमिनार में भी पाकिस्तान और बांग्लादेश में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर प्रकाश डाला गया था।

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