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India-Canada Row: 'पाकिस्तान के साथ संबंधों की दिलाते हैं याद', भारत-कनाडा रिश्तों पर बोले विदेश नीति विशेषज्ञ

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला Published by: पवन पांडेय Updated Tue, 15 Oct 2024 07:59 AM IST
सार

भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव को लेकर माइकल कुगेलमैन ने कहा, कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि दोनों देशों रिश्ते में चीजें और खराब हो सकती हैं, लेकिन ऐसा हुआ है। इस दौरान उन्होंने स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डाला, और कहा कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक मतभेद भारत-पाकिस्तान संबंधों से काफी मिलते-जुलते हैं।

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Rising India-Canada Tensions Michael Kugelman Highlights Diplomatic Strain Similar to India Pakistan Relations
माइकल कुगेलमैन, विदेश नीति विशेषज्ञ - फोटो : ANI
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विस्तार
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अमेरिका में रहने वाले विदेश नीति विशेषज्ञ और विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने सोमवार को कनाडा के साथ भारत के बिगड़ते संबंधों और पाकिस्तान के साथ लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच एक निराशाजनक तुलना की।
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निचले स्तर पर पहुंचा दोनों देशों का संबंध- कुगेलमैन
उन्होंने कहा, यह एक ऐसा रिश्ता है जो अब बहुत निचले स्तर पर पहुंच चुका है और वास्तव में, हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए, निश्चित रूप से इन बेहद गंभीर आरोपों के संदर्भ में भारत के पाकिस्तान के साथ संबंधों की याद दिलाता है। वहीं वरिष्ठ राजनयिकों को निष्कासित किए जाने के संदर्भ में, साथ ही सरकारी बयानों में तीखी भाषा का उपयोग, यह सब वहां है और निश्चित रूप से, मुख्य आरोप जो हम भारत से सुन रहे हैं कि कनाडा भारत विरोधी आतंकवादियों को शरण दे रहा है और प्रायोजित कर रहा है। यह वही है जो हम भारत से पाकिस्तान के बारे में कहते हुए सुनते आए हैं।
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माइकल कुगेलमैन ने कनाडा में आंतरिक राजनीतिक गतिशीलता के बारे में भी बात की जिसने राजनयिक दरार में योगदान दिया है। उन्होंने कहा, यहां बहुत सारे फैक्टर काम कर रहे हैं। निश्चित रूप से, कोई भी कनाडा में घरेलू राजनीतिक वास्तविकताओं की प्रासंगिकता को स्वीकार कर सकता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के आंतरिक मामलों पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की टिप्पणियों, विशेष रूप से कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के लिए उनके समर्थन ने तनाव को जन्म दिया है। 
 

'पीएम ट्रूडो ने भारत के आंतरिक मामलों पर की टिप्पणी'
कुगेलमैन ने कहा, ये सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भारत में आंतरिक घटनाक्रमों पर कुछ ऐसी टिप्पणियां की हैं, जिनकी किसी कनाडाई प्रधानमंत्री से अपेक्षा नहीं की जाती, जैसे कि भारतीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए टिप्पणी करना और उनका समर्थन व्यक्त करना। कनाडा ने चरमपंथियों या आतंकवादियों को पनाह देने से इनकार किया है, लेकिन कुगेलमैन ने बताया कि भारत अपनी असहमति पर अड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, कनाडा यह नहीं मानता कि वह चरमपंथियों और आतंकवादियों को पनाह दे रहा है, और निश्चित रूप से यह ऐसी चीज है जिस पर भारत बहुत सख्ती से असहमत है।
 

कुगेलमैन ने इस बात पर जोर दिया कि ये अलग-अलग विचार दोनों देशों के बीच चल रहे कूटनीतिक टूटने के केंद्र में हैं। कनाडा की इस सरकार ने कई फैसले लिए हैं, जिनमें भारत में किसानों के आंदोलन के संदर्भ में भारत में सिखों के लिए समर्थन व्यक्त करना शामिल है। उन्होंने जस्टिन ट्रूडो के साथ भारत की विशेष हताशा का भी उल्लेख करते हुए कहा, मैं इस बात से हैरान हूं कि इस लंबे बयान में जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार का स्पष्ट संदर्भ था, यह जस्टिन ट्रूडो और सरकार के कार्यों और राजनीति के बारे में नई दिल्ली में लंबे समय से चल रहे गुस्से को दर्शाता है, जिसने इस निर्णय में योगदान दिया है। नई दिल्ली को लगता है कि कनाडा इन समस्याओं को हल नहीं करना चाहता है।
 

बता दें कि भारत ने सोमवार को कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया, जब उसने कनाडा के प्रभारी स्टीवर्ट व्हीलर को तलब किया और बताया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को निराधार निशाना बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

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