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UNGA: गिलगित बाल्टिस्तान में गुलामों जैसा बर्ताव; पाकिस्तानी अत्याचार के खिलाफ भारत के जावेद बेग ने उठाई आवाज
एजेंसी, जेनेवा
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Sun, 22 Sep 2024 12:30 AM IST
सार
कश्मीरी कार्यकर्ता जावेद बेग ने जेनेवा में कहा, पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में सरकार और स्थानीय प्रशासन लोगों के साथ गुलामों की तरह व्यवहार कर रहा है। स्थानीय प्रशासन असहमति को समाप्त करने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए अल्पसंख्यकों का लगातार उत्पीड़न कर रहा है।
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संयुक्त राष्ट्र महासभा (फाइल)
- फोटो : यूएन टीवी
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विस्तार
कश्मीरी कार्यकर्ता जावेद बेग ने जेनेवा में यूएनएचआरसी के 57वें सत्र में गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों पर पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे अत्याचारों का खुलासा किया। कश्मीर के किसी भारतीय कार्यकर्ता की ओर से पहली बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर यह मुद्दा उठाया गया है। गौरतलब है कि गिलगित बाल्टिस्तान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का हिस्सा है।
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बेग ने जेनेवा में कहा, पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में सरकार और स्थानीय प्रशासन लोगों के साथ गुलामों की तरह व्यवहार कर रहा है। स्थानीय प्रशासन असहमति को समाप्त करने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए अल्पसंख्यकों का लगातार उत्पीड़न कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से पाकिस्तान के लिए पीओजीबी और पीओजेके से अपनी सेना को वापस बुलाने को लेकर कई प्रस्ताव पारित किए गए हैं। बेग ने कहा, यह पाकिस्तान का एकमात्र शिया और इस्माइली बहुल प्रशासनिक क्षेत्र है। स्थानीय आबादी के साथ व्यापक तौर पर भेदभाव किए जा रहे हैं। लोगों का जबरन अपहरण करने, हत्याओं और मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने की खबरें रोजाना सामने आ रही हैं।
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विरोध प्रदर्शनों का क्रूरता पूर्वक दमन कर रहे हैं सुरक्षा बल
बेग ने कहा, पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान और कश्मीर में लोगों पर अनुचित रूप से टैक्स लगाए जा रहे हैं। इसके खिलाफ पीओजीबी में हाल ही में विरोध प्रदर्शनों का सुरक्षा बल क्रूरता पूर्वक दमन कर रहे हैं। जिस तरह असहमति को दबाया जा रहा है और कार्यकर्ताओं को चुप कराया जा रहा है, इससे मानवाधिकारों के हनन का पैटर्न स्पष्ट रूप से उजागर होता है।
पीओजीबी में लोगों की पीड़ा समझने का किया आह्वान
जावेद ने यूएनएचआरसी में गुहार लगाई कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पीओजीबी में लोगों की पीड़ा को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हमें पाकिस्तान से अपनी दमनकारी नीतियों को समाप्त करने, मानवाधिकारों के हनन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने और अपने सभी नागरिकों की गरिमा और अधिकारों को बनाए रखने का आह्वान करना चाहिए।