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Indian Army: टैरिफ तनाव के बीच अलास्का पहुंची भारतीय सेना, अमेरिकी फौज के साथ करेगी संयुक्त युद्ध अभ्यास

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, अलास्का Published by: शुभम कुमार Updated Tue, 02 Sep 2025 03:16 AM IST
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सार

भारतीय सेना का दल ‘युद्ध अभ्यास 2025’ के लिए अमेरिका के अलास्का के फोर्ट वेनराइट पहुंच गया है। आज से 14 सितंबर तक भारत और अमेरिका के सैनिक मिलकर पहाड़ी युद्ध, हेलिबोर्न ऑपरेशन, ड्रोन से मुकाबला और अन्य रणनीतिक अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को और मजबूत करेगा।

Indian Army reached US Alaska for joint war exercise armies will work together on military technology
अमेरिका के अलास्का पहुंची भारतीय सेना - फोटो : एक्स@MEA
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विस्तार
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भारतीय सेना का एक दल सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास 2025’ में भाग लेने के लिए अमेरिका के अलास्का पहुंच गया है। यहां वह भारत-अमेरिका के बीच होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास 2025’ में भाग लेगा। यह अभ्यास एक सितंबर यानी मंगलवार से 14 सितंबर 2025 तक चलेगा। विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी है। बता दें कि ‘युद्ध अभ्यास’ भारत और अमेरिका के बीच हर साल होने वाला एक बड़ा सैन्य अभ्यास है। इसका उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच साझा प्रशिक्षण, तालमेल और युद्ध कौशल को बढ़ाना है। इसका यह 21वां संस्करण है और इस बार यह अमेरिका के बर्फीले और पहाड़ी इलाके अलास्का में हो रहा है।

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भारतीय सेना के कौन-कौन से जवान शामिल हैं?
बात अगर इस अभ्यास में शामिल होने वाले जवानों की करें तो इस बार भारत की तरफ से मद्रास रेजिमेंट के सैनिक इस अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं। वहीं अमेरिका की तरफ से 11वीं एयरबोर्न डिविजन के 1st बटालियन, 5th इन्फेंट्री रेजिमेंट (बॉबकैट्स) के सैनिक अभ्यास में भाग ले रहे हैं। दोनों दलों के जवान दो हफ्ते तक साथ मिलकर कई तरह के युद्ध अभ्यास करेंगे। 
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कौन-कौन से होंगे अभ्यास, जानिए
वहीं अब बात अगर इस दौरान सेनाओं द्वारा किए जाने वाले अभ्यास की करें तो दोनों सेनाएं अभ्यास में हेलिबोर्न ऑपरेशन शामिल होगा, जिसमें हेलीकॉप्टर के जरिए सैनिकों को दुश्मन के इलाके में पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा, पहाड़ी इलाकों में युद्ध तकनीक की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। सैनिक मानवरहित विमान प्रणाली (यूएएस) और उसके मुकाबले की तकनीक सीखेंगे। जख्मी सैनिकों की मदद करने और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने की ट्रेनिंग भी इस अभ्यास का हिस्सा होगी।

इसके साथ ही रॉडक्लाइंबिंग और चट्टानी इलाकों में लड़ाई की रणनीति पर भी काम किया जाएगा। आर्टिलरी, एविएशन और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का संयुक्त इस्तेमाल करने की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। साथ ही, लाइव-फायर ड्रिल में सैनिक असली गोलियों से अभ्यास करेंगे। अंत में, संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में काम करने के लिए भी तैयारियां की जाएंगी।

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क्या दोनों सेनाओं के लिए खास है ये अभ्यास?
दोनों सेनाओं के द्वारा किए जाने वाले इस अभ्यास की अहमियत की करें तो इस अभ्यास के दौरान भारत और अमेरिका के सैनिक एक-दूसरे से रणनीति, तकनीक और अनुभव साझा करेंगे। दोनों सेनाओं के विशेषज्ञ मिलकर यूएएस ऑपरेशन, सूचना युद्ध, संचार और लॉजिस्टिक जैसे अहम विषयों पर चर्चा भी करेंगे। गौरतलब है कि यह अभ्यास दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करता है और आपसी भरोसे को बढ़ाता है। साथ ही, यह संयुक्त राष्ट्र मिशनों और कई देशों की सेनाओं के साथ मिलकर काम करने की तैयारी का भी हिस्सा है।

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