यरुशलम से एकजुटता का संदेश: एक मंच पर साइप्रस-ग्रीस-इस्राइल, अशांत पश्चिम एशिया में सहयोग और सुरक्षा पर मंथन
यरुशलम शिखर सम्मेलन में साइप्रस, ग्रीस और इस्राइल ने बढ़ती क्षेत्रीय अस्थिरता के बीच एकजुट होकर सुरक्षा, ऊर्जा और कनेक्टिविटी में सहयोग मजबूत करने का संकल्प लिया। नेताओं ने ग्रेट सी इंटरकनेक्टर को IMEC से जोड़ने पर सहमति जताई। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे अब तक की सबसे अहम बैठक बताया और कहा कि आतंकवाद व आक्रामकता के दौर में सहयोग अनिवार्य है।
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पश्चिम एशिया और पूर्वी भूमध्यसागर में बढ़ती अस्थिरता के बीच साइप्रस, ग्रीस और इस्राइल ने यरुशलम शिखर सम्मेलन में एकजुटता दिखाई। तीनों देशों ने सुरक्षा, ऊर्जा और कनेक्टिविटी में सहयोग गहरा करने और क्षेत्रीय शांति व समृद्धि के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। तीनों देशों के नेताओं ने साफ किया कि क्षेत्र में बढ़ती भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद वे आपसी सहयोग को न सिर्फ जारी रखेंगे, बल्कि और मजबूत भी करेंगे।
इस दौरान तीनों देशों के तीनों नेताओं ने ग्रेट सी इंटरकनेक्टर (जीएसआई) परियोजना को आगे बढ़ाने और इसे इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) से जोड़ने पर भी सहमति जताई। इससे क्षेत्र में ऊर्जा और व्यापारिक संपर्क और मजबूत होने की उम्मीद है।
शिखर सम्मेलन को लेकर क्या बोले नेतन्याहू?
शिखर सम्मेलन को लेकर संयुक्त प्रेस वार्ता में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह तीनों देशों की दसवीं बैठक थी, लेकिन उनके लिए यह अब तक की सबसे अहम बैठक है। उन्होंने कहा कि पिछली मुलाकात 7 अक्टूबर की घटना से कुछ समय पहले हुई थी, जिसने यह याद दिलाया कि इस क्षेत्र में स्थिरता हमेशा बनी रहे, यह जरूरी नहीं है। नेतन्याहू ने कहा कि पश्चिम एशिया और पूर्वी भूमध्यसागर आज आक्रामकता, आतंकवाद और अस्थिरता की परीक्षा से गुजर रहे हैं। ऐसे समय में ताकत, स्पष्ट सोच और सहयोग कोई विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत है।
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तीनों देशों के सहयोग से खुलेंगे नए अवसर
इस दौरान नेतन्याहू ने इस बात पर भी जोर दिया कि तीनों देशों का सहयोग न केवल सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि समृद्धि के नए अवसर भी पैदा करता है। ऊर्जा, तकनीक, कनेक्टिविटी और सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में मिलकर काम किया जा रहा है।
इसके साथ ही इतिहास का जिक्र करते हुए नेतन्याहू ने कहा कि कभी इन तीनों देशों पर साम्राज्यों ने शासन किया था, लेकिन संघर्ष और बलिदान के बाद उन्होंने स्वतंत्रता हासिल की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग पुराने साम्राज्य फिर से खड़े करने का सपना देख रहे हैं, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि यह अब संभव नहीं है।
साइप्रस के राष्ट्रपति ने क्या कहा?
वहीं इस शिखर सम्मेलन को लेकर साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडूलिडेस ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में तीनों देशों ने अपने गठबंधन की रणनीतिक अहमियत को दोबारा पुष्टि की है। यह गठबंधन साझा मूल्यों, आपसी हितों और समान लक्ष्यों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह सहयोग क्षेत्रीय एकीकरण, स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि की दिशा में काम कर रहा है।
गाजा की स्थिति पर भी बोले निकोस क्रिस्टोडूलिडेस
निकोस ने गाजा की स्थिति को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि साइप्रस राष्ट्रपति ट्रंप की 20-बिंदुओं वाली योजना और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2803 के पूर्ण क्रियान्वयन का समर्थन करता है। उन्होंने मानवीय सहायता में साइप्रस की भूमिका पर भी जोर दिया।
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साथ ही अमालथिया परियोजना के जरिये साइप्रस गाजा तक मानवीय मदद पहुंचाने, सुरक्षा और त्वरित पुनर्बहाली के प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। साथ ही उन्होंने 3+1 प्रारूप (साइप्रस, ग्रीस, इस्राइल और अमेरिका) की अहमियत बताई और कहा कि इससे क्षेत्रीय सहयोग और भी मज़बूत होता है तथा स्थिरता और कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलता है।
ग्रीस के प्रधानमंत्री ने क्या संदेश दिया?
इसके अलावा ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने कहा कि तीनों देश क्षेत्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए कूटनीतिक और स्थिरता लाने वाले प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि भले ही भू-राजनीतिक हालात कठिन हों, लेकिन यह सहयोग समय की कसौटी पर खरा उतरा है। उन्होंने बताया कि यह त्रिपक्षीय सहयोग पूर्वी भूमध्यसागर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता में अहम योगदान दे रहा है और भविष्य में एक मजबूत क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे के निर्माण का रास्ता खोलता है।