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Canada: 'भारत से व्यापार पर प्रतिबंध लगाना मूर्खता', कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ की ट्रूडो को नसीहत

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ओटावा Published by: बशु जैन Updated Fri, 18 Oct 2024 10:14 AM IST
सार

कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि कनाडा के लिए प्रवासी भारतीय काफी अहमियत रखते हैं। वहीं कनाडा को अंतरराष्ट्रीय छात्रों और प्रवासियों से बड़ा राजस्व मिलता है। उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए। इसलिए ऐसा कुछ भी मूर्खतापूर्ण न करना कनाडा के हित में होगा।

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'It is foolish to ban trade from India', Canada's national security expert advises Trudeau
कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ जो एडम जॉर्ज। - फोटो : ANI
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विस्तार
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कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ जो एडम जॉर्ज ने पीएम जस्टिन ट्रूडो को नसीहत दी है। भारत पर लगाए गए आरोपों से पीछे हटने के बाद व्यापार प्रतिबंधों को लेकर चल रही चर्चा पर जॉर्ज ने कहा कि मुझे लगता है इसे लेकर दोनों देशों को इंतजार करना चाहिए। किसी भी पक्ष की ओर से कुछ ऐसा करने का प्रयास करना मूर्खता होगी, क्योंकि अंतत: उन्हें पछताना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कनाडा के लिए प्रवासी भारतीय काफी अहमियत रखते हैं। वहीं कनाडा को अंतरराष्ट्रीय छात्रों और प्रवासियों से बड़ा राजस्व मिलता है। उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए। इसलिए ऐसा कुछ भी मूर्खतापूर्ण न करना कनाडा के हित में होगा। मैं जानता हूं कि कनाडा की ओर से प्रतिबंधों के बारे में बात हुई है, लेकिन मुझे लगता है कि इसमें काफी समय लगेगा।

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उन्होंने कहा कि पीएम ट्रूडो का यह स्वीकार करना कि उन्होंने भारत के साथ ठोस सबूत साझा नहीं किए थे, यह काफी दिलचस्प था। सवाल यह है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ होने का आरोप सार्वजनिक करने का औचित्य क्या है?  कनाडा ने समय के साथ भारत के साथ सबूत साझा किए हैं या नहीं यह तो समय ही बताएगा। उन्होंने कहा कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) को दक्षिण एशियाई समुदाय के सदस्यों के लिए खतरों की जानकारी मिली थी। इसलिए आरसीएपी ने साल की शुरुआत में फरवरी में इन अपराधों की जांच के लिए एक बहुपक्षीय टीम बनाई थी। जांच के दौरान टीम को इन गतिविधियों में उच्चायुक्त सहित भारतीय राजनयिकों की कथित संलिप्तता का पता चला। तभी उन्होंने इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया।
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उन्होंने कहा कि इसे लेकर पिछले सप्ताह के अंत में आरसीएमपी के डिप्टी कमिश्नर मार्क फ्लिन ने भारतीय कानून प्रवर्तन समकक्षों से मिलने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने उनसे मिलने से इनकार कर दिया। इसके बाद फ्लिन ने कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मामलों के उप मंत्री के साथ मिलकर भारत के अधिकारियों से मिलने का फैसला किया। उन्होंने उन्हें भारतीय राजनयिकों द्वारा और भारत सरकार के लोगों के निर्देशन में किए गए इन कथित अपराधों की गंभीरता के बारे में सूचित किया। यह बात भारत के गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंची थीं। आरसीएमपी ने भारत से सभी राजनयिकों की राजनयिक स्थिति को रद्द करने के लिए कहा ताकि वे उनके खिलाफ आरोपों को आगे बढ़ा सकें। मगर भारत ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया और उन्हें कनाडा से बाहर निकालने का फैसला किया..."

कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों को पनाह दिए जाने के बारे में भारत की चिंता पर कनाडाई राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ जो एडम जॉर्ज कहते हैं कि 1985 में एयर इंडिया पर बमबारी की गई थी, जो आज तक कनाडा का सबसे भयानक आतंकवादी हमला है। पिछले साल एक सर्वेक्षण हुआ था जिसमें पाया गया था कि 10 में से 9 कनाडाई लोगों को एयर इंडिया बम विस्फोट के बारे में जानकारी नहीं है या उन्हें इसके बारे में बहुत कम जानकारी है। इससे पता चलता है कि कनाडाई सरकार खालिस्तानी मुद्दे को गंभीरता से क्यों नहीं लेती है। दरअसल खालिस्तान आंदोलन पश्चिम के लिए सीधा खतरा पैदा नहीं करता है। इसलिए देखा जाता है कि पश्चिमी देश भारत की दलीलों को कमतर आंकने या नजरअंदाज करने की कोशिश करते हैं, भारत की चिंताएं चाहे कितनी भी जायज क्यों न हों। मेरा मानना है कि कनाडा अलगाववादी उग्रवाद को वैध धर्म के साथ जोड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि कनाडा मानता है कि सभी सिख खालिस्तानी हैं और सभी खालिस्तानी सिख हैं और समस्या मूल रूप से यही है। पिछले साल प्रकाशित हुई ब्रिटेन सरकार द्वारा संचालित ब्लूम समीक्षा रिपोर्ट में पाया गया था कि ब्रिटेन में खालिस्तानी कार्यकर्ता सरकारी अज्ञानता का फायदा उठा रहे हैं, सिखों को डरा रहे हैं, युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहे हैं। आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए उनकी भर्ती कर रहे हैं और सिख मंदिरों से धन जुटा रहे हैं। समीक्षा में ब्रिटिश सरकार को चेतावनी देते हुए निष्कर्ष निकाला गया कि उन्हें इन खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं की विध्वंसक, आक्रामक और सांप्रदायिक कार्रवाइयों से सावधान रहने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यापक सिख समुदाय उनसे सुरक्षित हैं और उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। अब जब इसे कनाडा में लागू करने की बात आती है, तो ट्रूडो सरकार पक्षपातपूर्ण लाभ के लिए इस पर विचार करने से इनकार कर देती है। कनाडा के साथ मूल रूप से समस्या यहीं है।

भारत के खिलाफ अमेरिका और कनाडा के आरोपों के बीच अंतर पर उन्होंने कहा कि पूरे परिदृश्य में बाइडन प्रशासन जैसे आगे बढ़ा, वो बहुत पेशेवर रहा है। वे मानते हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत उनके लिए बहुत ही रणनीतिक साझेदार है। विशेष रूप से चीन का मुकाबला करने के लिए। उन्होंने जिस तरह से स्थिति को प्रबंधित किया है, उसमें वे बहुत चतुराई से काम कर रहे हैं, जो कि ट्रूडो सरकार के तरीके से बहुत अलग है। पिछले सितंबर में संसद में प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ट्रूडो की इस नामकरण और शर्मनाक रणनीति से स्पष्ट रूप से मामलों में मदद नहीं मिलेगी और यही बात नई दिल्ली को परेशान करती है। अगर प्रधानमंत्री ने बैक चैनल के जरिये जाने का विकल्प चुना होता और अमेरिका की तरह मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की होती तो स्थिति कुछ और होती।

उन्होंने कहा कि हमने पिछले सितंबर में इस संकट (भारत-कनाडा राजनयिक विवाद) के बाद देखा कि फर्जी शरण दावों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2024 के पहले 8 महीनों में ही कनाडा में 13000 अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने शरण का दावा किया है। उनमें से सभी भारत से नहीं हैं, लेकिन एक बड़ा हिस्सा उनका है। उनमें से अधिकांश पंजाब राज्य से हैं और मैंने सुना है कि उनमें से कई यह बहाना बनाकर आ रहे हैं कि खालिस्तान का का समर्थन करने के कारण उन्हें भारत सरकार द्वारा सताया जा रहा है। शरण और आव्रजन प्रणाली का दुरुपयोग किया जा रहा है। कनाडाई सरकार ने इस पर रोक लगाने का फैसला किया है। हालांकि अब बहुत देर हो चुकी है। 

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