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पाकिस्तान-चीन को भारत की खरी-खरी: आतंकवाद से लेकर अरुणाचल प्रदेश पर दावे तक, विदेश मंत्री जयशंकर ने जमकर घेरा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, सिंगापुर
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Sat, 23 Mar 2024 04:17 PM IST
सार
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने पाकिस्तान और चीन को एक बार फिर आईना दिखाया है। अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर डॉ जयशंकर ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे हास्यास्पद हैं। पड़ोसी देश से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, पाकिस्तान में आतंकवाद को प्रायोजित किया जा रहा है, भारत इसे नजरअंदाज नहीं करेगा। विदेश मंत्री ने अमेरिका और रूस के साथ भारत का रिश्ता, इस्राइल-फलस्तीन मुद्दे जैसे कई विषयों पर भी बात की।
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विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने पाकिस्तान और चीन को दिखाया आईना
- फोटो : amar ujala graphics
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विस्तार
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर सिंगापुर दौरे पर हैं। भारत के पड़ोसी देशों से रिश्तों पर जुड़े सवालों पर उन्होंने बेबाकी से जवाब दिए। डॉ जयशंकर ने साफ कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को भारत अब बिल्कुल सहन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान 'उद्योग स्तर' पर आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है। भारत इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करेगा। विदेश मंत्री ने एक अन्य पड़ोसी चीन के बारे में भी जवाब दिया। पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश से लगी चीन की सीमा और भारतीय भूभाग पर चीन के दावों को लेकर एक सवाल के जवाब में डॉ जयशंकर ने कहा कि चीन के दावे हास्यास्पद हैं।
डॉ जयशंकर ने रेखांकित किया कि पाकिस्तान लगभग 'उद्योग स्तर' पर आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है। उन्होंने शनिवार को कहा कि भारत का मूड अब आतंकवादियों को नजरअंदाज करने का नहीं है। सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर आए विदेश मंत्री ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (आईएसएएस) में यह बात कही। पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, 'हर देश एक स्थिर पड़ोस चाहता है... और कुछ नहीं तो आप कम से कम एक शांत पड़ोस तो चाहते हैं।' बकौल जयशंकर, दुर्भाग्य से, भारत के साथ ऐसा नहीं है।
अपनी किताब 'व्हाई भारत मैटर्स' से जुड़े व्याख्यान के बाद सवाल-जवाब के दौरान विदेश मंत्री ने कहा, पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है। जयशंकर ने सवाल किया कि आप ऐसे पड़ोसी से कैसे निपटेंगे जो इस तथ्य को नहीं छिपाता है कि वे आतंकवाद को शासन के साधन के रूप में इस्तेमाल करता है?
उन्होंने मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा, 'यह एक बार होने वाली घटना नहीं निरंतर ऐसा हो रहा है, लगभग उद्योग स्तर पर...इसलिए भारत इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि हमें (खतरे) को संबोधित करने का एक तरीका ढूंढना होगा। समस्या से बचने का यही तरीका है। यह केवल और अधिक परेशानी ही आमंत्रित करता है।
विदेश मंत्री के मुताबिक उनके पास इन मुद्दों का कोई तात्कालिक समाधान नहीं, लेकिन इतना स्पष्ट है कि भारत अब इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करेगा। हम यह नहीं कहने जा रहे कि 'ठीक है, ऐसा हुआ और आइए दोनों देश अपनी बातचीत जारी रखें।' हमें उस समस्या का सामना करने के लिए पर्याप्त ईमानदार होना चाहिए, चाहे वह कितनी ही कठिन क्यों न हो...हमें दूसरे देश को यह कहकर खुली छूट नहीं देनी चाहिए कि वे बेबस-लाचार हैं और बहुत बड़ी समस्या से घिरे है। समस्या भले ही कठिन है, बहुत कुछ दांव पर भी लगा है, लेकिन दूसरी चीजों को हमें नजरअंदाज कर समस्या को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए।
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डॉ जयशंकर ने रेखांकित किया कि पाकिस्तान लगभग 'उद्योग स्तर' पर आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है। उन्होंने शनिवार को कहा कि भारत का मूड अब आतंकवादियों को नजरअंदाज करने का नहीं है। सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर आए विदेश मंत्री ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (आईएसएएस) में यह बात कही। पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, 'हर देश एक स्थिर पड़ोस चाहता है... और कुछ नहीं तो आप कम से कम एक शांत पड़ोस तो चाहते हैं।' बकौल जयशंकर, दुर्भाग्य से, भारत के साथ ऐसा नहीं है।
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अपनी किताब 'व्हाई भारत मैटर्स' से जुड़े व्याख्यान के बाद सवाल-जवाब के दौरान विदेश मंत्री ने कहा, पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है। जयशंकर ने सवाल किया कि आप ऐसे पड़ोसी से कैसे निपटेंगे जो इस तथ्य को नहीं छिपाता है कि वे आतंकवाद को शासन के साधन के रूप में इस्तेमाल करता है?
उन्होंने मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा, 'यह एक बार होने वाली घटना नहीं निरंतर ऐसा हो रहा है, लगभग उद्योग स्तर पर...इसलिए भारत इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि हमें (खतरे) को संबोधित करने का एक तरीका ढूंढना होगा। समस्या से बचने का यही तरीका है। यह केवल और अधिक परेशानी ही आमंत्रित करता है।
विदेश मंत्री के मुताबिक उनके पास इन मुद्दों का कोई तात्कालिक समाधान नहीं, लेकिन इतना स्पष्ट है कि भारत अब इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करेगा। हम यह नहीं कहने जा रहे कि 'ठीक है, ऐसा हुआ और आइए दोनों देश अपनी बातचीत जारी रखें।' हमें उस समस्या का सामना करने के लिए पर्याप्त ईमानदार होना चाहिए, चाहे वह कितनी ही कठिन क्यों न हो...हमें दूसरे देश को यह कहकर खुली छूट नहीं देनी चाहिए कि वे बेबस-लाचार हैं और बहुत बड़ी समस्या से घिरे है। समस्या भले ही कठिन है, बहुत कुछ दांव पर भी लगा है, लेकिन दूसरी चीजों को हमें नजरअंदाज कर समस्या को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए।
अरुणाचल पर चीन के दावे हास्यास्पद; सीमा विवाद से जुड़ी चर्चा में उठाएंगे मुद्दा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग। (फाइल)
- फोटो : सोशल मीडिया
चीन की विस्तारवादी नीति और अरुणाचल प्रदेश में भारतीय भूभाग पर उसके दावों पर विदेश मंत्री ने कहा, सीमांत राज्य अरुणाचल 'भारत का स्वाभाविक हिस्सा' है। उन्होंने राजनेताओं के अरुणाचल दौरे का चीनी खेमे से विरोध किए जाने पर कहा, यह कोई नया मुद्दा नहीं है। चीन ने दावा किया है, उसने अपने दावे का विस्तार किया है। ये दावे शुरू में हास्यास्पद थे और आज भी हास्यास्पद बने हुए हैं। बकौल डॉ जयशंकर, 'मुझे लगता है कि हम इस पर बहुत स्पष्ट और सुसंगत राय रखते हैं। आप जानते हैं कि यह कुछ ऐसा है जो सीमा विवाद से जुड़ी चर्चा का हिस्सा भी बनेगा।' बता दें कि चीनी विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर आपत्ति जताई थी।
अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा
जयशंकर की टिप्पणी विदेश मंत्रालय द्वारा चीनी रक्षा मंत्रालय के दावों को खारिज करने के कुछ दिनों बाद आई है। उन्होंने कहा, हमने चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र पर बेतुके दावों से जुड़ी बयानबाजी देखी है। इस संबंध में आधारहीन तर्क दोहराने से ऐसे दावों को कोई वैधता नहीं मिल जाती। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। इसके लोग हमारे विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लाभान्वित होते रहेंगे।
अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा
जयशंकर की टिप्पणी विदेश मंत्रालय द्वारा चीनी रक्षा मंत्रालय के दावों को खारिज करने के कुछ दिनों बाद आई है। उन्होंने कहा, हमने चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र पर बेतुके दावों से जुड़ी बयानबाजी देखी है। इस संबंध में आधारहीन तर्क दोहराने से ऐसे दावों को कोई वैधता नहीं मिल जाती। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। इसके लोग हमारे विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लाभान्वित होते रहेंगे।
रूस और अमेरिका दोनों के साथ संबंधों में संतुलन कैसे? विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया
विदेश मंत्री जयशंकर, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन और रूसी राष्ट्रपति पुतिन (फाइल)
- फोटो : amar ujala
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने शनिवार को रूस और अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को 'मल्टी-वेक्टर' नीति बताया। उन्होंने कहा कि भारत की गैर-गठबंधन संस्कृति उसे अमेरिका और रूस जैसे देशों के साथ संबंधों को संतुलित रखने में सक्षम बनाती है। जयशंकर ने सिंगापुर दौरे पर विदेश नीति के अलग-अलग आयामों पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, सभी देशों के साथ 'गैर-विशिष्ट' आधार पर निपटना संभव है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत की गुटनिरपेक्ष संस्कृति मजबूत है।
दो ध्रुवीय विपरीत और प्रतिद्वंद्वी देशों (अमेरिका-रूस) के साथ भारत के संतुलित संबंध पर विदेश मंत्री ने कहा, यह एक ऐसी चीज है जिसका निश्चित रूप से हर महत्वपूर्ण देश को सामना करना पड़ेगा। अगर आपके हित परस्पर विरोधी हैं, अगर आपके साझेदारों के अलग-अलग हित हैं। अगर आप इसके बावजूद रिश्ते रखते हैं तो अक्सर ऐसा लगता है कि देश एक-दूसरे के विपरीत हैं।
जयशंकर ने रूस और अमेरिका के साथ भारत के संबंधों की तुलना इस्राइल और फलस्तीन के साथ भारत के संबंधों से भी की। उन्होंने गैर-विशिष्ट आधार पर देशों के साथ व्यवहार करने का उल्लेख किया। बकौल जयशंकर, 'जब मैं इस्राइल-फलस्तीन जाऊंगा, तो वही तर्क लेकर आऊंगा। यह भारत का पक्ष है। आप जानते हैं कि भारत आज रूस के साथ अच्छे संबंध, यूरोप के साथ अच्छे संबंध, अमेरिका के साथ अच्छे संबंध रखता है। किसी अन्य देश के साथ संबंध कैसे बनते हैं, भारत यह भी जानता है। आज की कूटनीति के लिए हमें करना होगा। कुछ देशों को थोड़ी अधिक सफलता मलेगी, कुछ देशों को तुलनात्मक रूप से कम कामयाबी मिलेगी।
दो ध्रुवीय विपरीत और प्रतिद्वंद्वी देशों (अमेरिका-रूस) के साथ भारत के संतुलित संबंध पर विदेश मंत्री ने कहा, यह एक ऐसी चीज है जिसका निश्चित रूप से हर महत्वपूर्ण देश को सामना करना पड़ेगा। अगर आपके हित परस्पर विरोधी हैं, अगर आपके साझेदारों के अलग-अलग हित हैं। अगर आप इसके बावजूद रिश्ते रखते हैं तो अक्सर ऐसा लगता है कि देश एक-दूसरे के विपरीत हैं।
जयशंकर ने रूस और अमेरिका के साथ भारत के संबंधों की तुलना इस्राइल और फलस्तीन के साथ भारत के संबंधों से भी की। उन्होंने गैर-विशिष्ट आधार पर देशों के साथ व्यवहार करने का उल्लेख किया। बकौल जयशंकर, 'जब मैं इस्राइल-फलस्तीन जाऊंगा, तो वही तर्क लेकर आऊंगा। यह भारत का पक्ष है। आप जानते हैं कि भारत आज रूस के साथ अच्छे संबंध, यूरोप के साथ अच्छे संबंध, अमेरिका के साथ अच्छे संबंध रखता है। किसी अन्य देश के साथ संबंध कैसे बनते हैं, भारत यह भी जानता है। आज की कूटनीति के लिए हमें करना होगा। कुछ देशों को थोड़ी अधिक सफलता मलेगी, कुछ देशों को तुलनात्मक रूप से कम कामयाबी मिलेगी।
जयशंकर ने इस्राइल-फलस्तीन मुद्दे के लिए 'टू स्टेट समाधान' दोहराया
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष को हल करने पर जोर दिया। उन्होंने 'टू स्टेट समाधान' (इस्राइल और फलस्तीन अलग-अलग मान्यता प्राप्त देश) को दोहराया। उन्होंने कहा, इस मुद्दे का स्थायी समाधान कराने के 'बहुत गंभीर प्रयास' चल रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि दोनों देशों के बीच क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, वह इसके बारे में सार्वजनिक रूप से नहीं बता सकते, लेकिन भारत कुछ देशों के प्रयासों का पुरजोर समर्थन करता है। वर्तमान स्थिति से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है; कोशिशें अभी जारी हैं। सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने यह बयान नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान (आईएसएएस) में दिया।
उन्होंने कहा, वह इसके बारे में सार्वजनिक रूप से नहीं बता सकते, लेकिन भारत कुछ देशों के प्रयासों का पुरजोर समर्थन करता है। वर्तमान स्थिति से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है; कोशिशें अभी जारी हैं। सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने यह बयान नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान (आईएसएएस) में दिया।