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Germany: स्थानीय चुनाव में मर्ज की पार्टी को मिले सबसे ज्यादा वोट, पर दक्षिणपंथी एएफडी की बढ़त सब पर भारी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बर्लिन।
Published by: निर्मल कांत
Updated Mon, 15 Sep 2025 03:47 PM IST
सार
Germany: जर्मनी के नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया राज्य में हुए स्थानीय चुनाव में चांसलर फ्रेडरिक मर्ज की पार्टी सीडीयू को सबसे अधिक 33.3% वोट मिले। हालांकि सबसे चौंकाने वाली बढ़त धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की रही, जिसने पिछले चुनावों की तुलना में अपने मतों को तीन गुना तक बढ़ा लिया। एएफडी ने प्रवासियों के खिलाफ असंतोष, अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार और यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दे बनाए थे।
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फ्रेडरिक मर्ज, एएफडी
- फोटो : एक्स/फ्रेडरिक मर्ज/एएफडी
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विस्तार
जर्मनी के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में हुए स्थानीय चुनावों में चांसल फ्रेडरिक मर्ज की पार्टी को सबसे अधिक वोट मिले। हालांकि, असली जीत धुर दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) को मिली। इस पार्टी ने पांच वर्ष पहले की तुलना में अपने मतों में करीब तीन गुना बढ़त हासिल की है।
सोमवार को आए अंतिम परिमाण के मुताबिक, मर्ज की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) को रविवार को हुए मतदान में 33.3 फीसदी मत मिले। ये चुनाव पश्चिम में स्थित नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया राज्य हुए। इसकी आबादी करीब 1.8 करोड़ है।
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सीडीयू, सोशल डेमोक्रेट्स पार्टी (एसपीडी) कभी इस राज्य में मजबूत पकड़ रखते थे। एसपीडी को 22.1 फीसदी मत मिले। दोनों ही पार्टियों के मत प्रतिशत 2020 के स्थानीय चुनावों की तुलना में थोड़ा कम रहे। लेकिन चौंकाने वाला आंकड़ा एएफडी का रहा। उसे 14.5 फीसदी वोट मिले, जो पिछले चुनावों की तुलना में 9.4 फीसदी की बढ़त है। यह पार्टी आमतौर पर पूर्वी जर्मनी में अधिक मजबूत मानी जाती है, जहां की अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कमजोर है, लेकिन इस चुनाव में उसने पश्चिमी जर्मनी में भी अपनी पकड़ बना ली है।
फरवरी में हुए राष्ट्रीय चुनावों में एएफडी को 20.8 फीसदी मत मिले थे और वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। उस समय उसने नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में 16.8 फीसदी मत हासिल किए थे। पार्टी की उपनेता ऐलिस वेडेल ने इस जीत को 'एक बड़ी कामयाबी' बताया।
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एएफडी की लोकप्रियता का कारण केवल प्रवासियों के खिलाफ असंतोष नहीं है, बल्कि देश की धीमी अर्थव्यवस्था और यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दे भी हैं। भले ही जर्मनी की आंतरिक खुफिया एजेंसी ने इस पार्टी को धुर दक्षिणपंथी घोषित किया है, लेकिन इसका समर्थन कम नहीं हुआ है। हालांकि, पार्टी ने इस वर्गीकरण को कानूनी चुनौती दी है। एएफडी को यह सफलता उस समय मिली है, जब फरवरी में पूर्ववर्ती केंद्र-वाम सरकार अपने आपसी झगड़ों के कारण गिर गई थी। मर्ज की सरकार मई में सत्ता में आई और उसने प्रवास नीति में सख्ती और अर्थव्यवस्था को सुधारने की कोशिशें शुरू की हैं। लेकिन खुद उसकी सरकार भी आंतरिक मतभेदों के कारण आलोचना झेल रही है।
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सोमवार को आए अंतिम परिमाण के मुताबिक, मर्ज की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) को रविवार को हुए मतदान में 33.3 फीसदी मत मिले। ये चुनाव पश्चिम में स्थित नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया राज्य हुए। इसकी आबादी करीब 1.8 करोड़ है।
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सीडीयू, सोशल डेमोक्रेट्स पार्टी (एसपीडी) कभी इस राज्य में मजबूत पकड़ रखते थे। एसपीडी को 22.1 फीसदी मत मिले। दोनों ही पार्टियों के मत प्रतिशत 2020 के स्थानीय चुनावों की तुलना में थोड़ा कम रहे। लेकिन चौंकाने वाला आंकड़ा एएफडी का रहा। उसे 14.5 फीसदी वोट मिले, जो पिछले चुनावों की तुलना में 9.4 फीसदी की बढ़त है। यह पार्टी आमतौर पर पूर्वी जर्मनी में अधिक मजबूत मानी जाती है, जहां की अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कमजोर है, लेकिन इस चुनाव में उसने पश्चिमी जर्मनी में भी अपनी पकड़ बना ली है।
फरवरी में हुए राष्ट्रीय चुनावों में एएफडी को 20.8 फीसदी मत मिले थे और वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। उस समय उसने नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में 16.8 फीसदी मत हासिल किए थे। पार्टी की उपनेता ऐलिस वेडेल ने इस जीत को 'एक बड़ी कामयाबी' बताया।
Ein riesiger Erfolg: Nach ersten Prognosen hat sich das Ergebnis der AfD in NRW verdreifacht. Herzlichen Dank an alle Wahlkämpfer und an unsere Wähler! pic.twitter.com/5eim5eDxfP
— Alice Weidel (@Alice_Weidel) September 14, 2025
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एएफडी की लोकप्रियता का कारण केवल प्रवासियों के खिलाफ असंतोष नहीं है, बल्कि देश की धीमी अर्थव्यवस्था और यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दे भी हैं। भले ही जर्मनी की आंतरिक खुफिया एजेंसी ने इस पार्टी को धुर दक्षिणपंथी घोषित किया है, लेकिन इसका समर्थन कम नहीं हुआ है। हालांकि, पार्टी ने इस वर्गीकरण को कानूनी चुनौती दी है। एएफडी को यह सफलता उस समय मिली है, जब फरवरी में पूर्ववर्ती केंद्र-वाम सरकार अपने आपसी झगड़ों के कारण गिर गई थी। मर्ज की सरकार मई में सत्ता में आई और उसने प्रवास नीति में सख्ती और अर्थव्यवस्था को सुधारने की कोशिशें शुरू की हैं। लेकिन खुद उसकी सरकार भी आंतरिक मतभेदों के कारण आलोचना झेल रही है।