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Israel-Hamas War: गाजा में नुकसान पहुंचाने से माइक्रोसॉफ्ट का इनकार; कहा- इस्राइली सेना को सिर्फ AI तकनीक दी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: पवन पांडेय Updated Sat, 17 May 2025 07:44 AM IST
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सार

माइक्रोसॉफ्ट ने इस्राइली सेना को एआई सेवाएं देने की बात मानी है, लेकिन यह भी कहा कि उसने इसका इस्तेमाल सीमित और निगरानी में किया। हालांकि, गाजा में हो रही भारी तबाही और एआई के जरिए टारगेट तय करने की खबरों के बाद, माइक्रोसॉफ्ट की भूमिका पर सवाल उठ रहे है। कंपनी के बयान से कुछ पारदर्शिता जरूर आई है, लेकिन अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि एआई तकनीक का जमीनी स्तर पर कैसे इस्तेमाल हुआ।

Microsoft says it provided AI to Israeli military for war but denies use to harm people in Gaza
microsoft - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिग्गज टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने पहली बार स्वीकार किया कि उसने इस्राइली सेना को एआई (AI) और क्लाउड सेवाएं दीं। इस मामले में कंपनी ने विस्तार से बताते हुए कहा ये तकनीक केवल बंधकों को बचाने और साइबर सुरक्षा के लिए दी गई। इसके साथ ही कंपनी ने दावा है किया कि इन तकनीकों का इस्तेमाल गाजा में आम लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए हुआ। वहीं मानवधिकार समूहों और कर्मचारियों ने इस पर उठाए गंभीर सवाल।
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माइक्रोसॉफ्ट ने क्या कहा?
माइक्रोसॉफ्ट ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा कि उसने इस्राइली सेना को एज्योर क्लाउड और एआई सेवाएं दीं। इसमें अनुवाद, डेटा विश्लेषण और साइबर सुरक्षा जैसी सुविधाएं शामिल थीं। कंपनी ने कहा कि यह मदद सीमित थी और कड़ी निगरानी में दी गई। कंपनी ने बताया कि ये मदद 7 अक्तूबर 2023 को हुए हमले के बाद दी गई, जब हमास ने इस्राइल में करीब 1,200 लोगों को मार दिया और 250 से ज्यादा को बंधक बना लिया। इसके बाद इस्राइल ने गाजा पर भारी बमबारी शुरू की, जिसमें अब तक 50,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
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मामले में कंपनी ने क्या दी सफाई?
माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि उसने सिर्फ वही सेवाएं दीं जो कानूनी और नैतिक रूप से सही थीं। कंपनी ने दावा किया, 'हमारे पास ऐसा कोई सबूत नहीं है कि हमारे एआई टूल्स का इस्तेमाल गाजा में आम नागरिकों को निशाना बनाने के लिए हुआ।' 'हमारे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल ग्राहक अपनी सर्वर पर कैसे करते हैं, इसका हमें सीधा पता नहीं होता।' 'हमने केवल कुछ जरूरी मदद दी ताकि बंधकों की जान बचाई जा सके।'

एआई के इस्तेमाल पर चिंता
वहीं एक जांच में पता चला था कि 7 अक्तूबर के हमले के बाद से इस्राइली सेना की तरफ से एआई और क्लाउड तकनीक का इस्तेमाल 200 गुना बढ़ गया है। इस तकनीक से सेना निगरानी डाटा का अनुवाद, ट्रांसक्रिप्शन और विश्लेषण करती है और फिर उसे एआई के जरिए टारगेटिंग सिस्टम में इस्तेमाल करती है। ह्यूमन राइट्स समूहों ने चेतावनी दी है कि एआई तकनीक में गलतियां हो सकती हैं, और अगर इसका इस्तेमाल टारगेट तय करने में किया गया तो बेगुनाह लोगों की जान जा सकती है।

कर्मचारियों की नाराजगी
'नो अजूर फॉर अपार्थाइड' नाम के एक समूह, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट के मौजूदा और पूर्व कर्मचारी शामिल हैं, ने कंपनी से पूरी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है। इस समूह से जुड़े हुसाम नस्र, जिन्हें अक्तूबर में एक विरोध कार्यक्रम आयोजित करने पर नौकरी से निकाल दिया गया था, ने कहा- ये बयान सिर्फ एक पब्लिक रिलेशन स्टंट है। माइक्रोसॉफ्ट असली सवालों से बच रहा है।'

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सवाल अभी भी बाकी हैं
सिंडी कोहन, जो एक डिजिटल अधिकार संगठन ईएफएफ की डायरेक्टर हैं, ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट ने कुछ पारदर्शिता दिखाई है, लेकिन कई सवाल अनुत्तरित हैं- क्या माइक्रोसॉफ्ट ने इस्राइली सेना से सीधे बात की? एआई मॉडल्स का इस्तेमाल टारगेट तय करने में कैसे हुआ? गाजा के आम नागरिकों की निजता की रक्षा कैसे की गई?

तकनीकी कंपनियों का सेना के साथ रिश्ता
माइक्रोसॉफ्ट अकेली कंपनी नहीं है। इस्राइली सेना के पास गूगल, अमेजन, पलान्टिर जैसी अन्य अमेरिकी टेक कंपनियों से भी क्लाउड और एआई सेवाओं के करार हैं। एमिलिया प्रोबास्को, जो जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में टेक और सुरक्षा पर रिसर्च करती हैं, कहती हैं- 'पहली बार कोई निजी कंपनी किसी सरकार को युद्ध में अपनी तकनीक के इस्तेमाल की शर्तें बता रही है। यह बहुत बड़ा बदलाव है।'

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