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Bangladesh: बांग्लादेश में भीड़तंत्र का कहर बरकरार, अब निर्वासित पीएम शेख हसीना के पैतृक घर को किया जमींदोज
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 07 Feb 2025 10:17 AM IST
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सार
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पैतृक घर को ढाका में बेकाबू भीड़ ने जमीदोंज कर दिया है। इससे पहले भीड़ की तरफ से बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति और संस्थापक शेख मुजीब-उर रहमान के घर और बंगबंधु संग्रहालय को बुलडोजर की मदद से ढहा दिया था।

शेख हसीना, बांग्लादेश की पूर्व पीएम
- फोटो : ANI
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विस्तार
बांग्लादेश में बेकाबू भीड़ ने ढाका में मौजूद अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के घर और उनके कुछ रिश्तेदारों की तमाम संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया है। इस दौरान भीड़ ने अवामी लीग पार्टी के नेताओं को भी निशाना बनाया है। जानकारी के मुताबिक, बुलडोजर जुलूस के रूप में किए गए इसे सोशल मीडिया पर साझा किया गया। इस दौरान अधिकारियों ने संपत्तियों की सुरक्षा करने में असमर्थता भी जताई है।
जुलाई-अगस्त में हिंसा के बाद भारत गईं हसीना
अगस्त 2024 में, शेख हसीना के करीब 15 साल के शासन का अंत हो गया, जब जुलाई महीने से छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया। इसके बाद शेख हसीना ने सत्ता छोड़कर भारत में निर्वासन पर मजबूर हुईं। फिलहाल, भारत में रह रहीं शेख हसीना को वापस लाने की मांग बढ़ रही है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत भारत को किसी भी प्रत्यर्पण से पहले संभावित जोखिमों का मूल्यांकन करना होगा।
बांग्लादेश में शेख हसीना का कार्यकाल
76 वर्षीय शेख हसीना बांग्लादेश में सबसे लंबे कार्यकाल वाली प्रधानमंत्री रही हैं। उनका पहला कार्यकाल 1996 से 2001 तक रहा था। इसके बाद आवामी लीग 2009 से 2014 तक सरकार में रही। 2014 के बाद लगातार तीन कार्यकाल पूरा करने वाली पीएम शेख हसीना का कार्यकाल 2023 में हिंसा और जनाक्रोश के कारण कठघरे में रहा। इस साल की शुरुआत में अमेरिका समेत कई प्रमुख पश्चिमी देशों ने समावेशी और विश्वसनीय चुनाव का आह्वान किया था।
नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस का सुधारवादी कदम
वहीं, हसीना सरकार के पतन के बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने न्याय प्रणाली समेत संस्थानों की मरम्मत के लिए सुधारों की शुरुआत की है। यह अधिकारों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही की दिशा में भी कदम उठा रही है, और विश्वसनीय चुनावों का वादा किया है। हालांकि, यूनुस सरकार पर कई समूहों का दबाव बढ़ रहा है, जिनमें छात्र, राजनीतिक संगठन और हिंसा के पीड़ित परिवार शामिल हैं। सरकार को धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भी आलोचना झेलनी पड़ रही है।

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जुलाई-अगस्त में हिंसा के बाद भारत गईं हसीना
अगस्त 2024 में, शेख हसीना के करीब 15 साल के शासन का अंत हो गया, जब जुलाई महीने से छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया। इसके बाद शेख हसीना ने सत्ता छोड़कर भारत में निर्वासन पर मजबूर हुईं। फिलहाल, भारत में रह रहीं शेख हसीना को वापस लाने की मांग बढ़ रही है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत भारत को किसी भी प्रत्यर्पण से पहले संभावित जोखिमों का मूल्यांकन करना होगा।
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बांग्लादेश में शेख हसीना का कार्यकाल
76 वर्षीय शेख हसीना बांग्लादेश में सबसे लंबे कार्यकाल वाली प्रधानमंत्री रही हैं। उनका पहला कार्यकाल 1996 से 2001 तक रहा था। इसके बाद आवामी लीग 2009 से 2014 तक सरकार में रही। 2014 के बाद लगातार तीन कार्यकाल पूरा करने वाली पीएम शेख हसीना का कार्यकाल 2023 में हिंसा और जनाक्रोश के कारण कठघरे में रहा। इस साल की शुरुआत में अमेरिका समेत कई प्रमुख पश्चिमी देशों ने समावेशी और विश्वसनीय चुनाव का आह्वान किया था।
नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस का सुधारवादी कदम
वहीं, हसीना सरकार के पतन के बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने न्याय प्रणाली समेत संस्थानों की मरम्मत के लिए सुधारों की शुरुआत की है। यह अधिकारों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही की दिशा में भी कदम उठा रही है, और विश्वसनीय चुनावों का वादा किया है। हालांकि, यूनुस सरकार पर कई समूहों का दबाव बढ़ रहा है, जिनमें छात्र, राजनीतिक संगठन और हिंसा के पीड़ित परिवार शामिल हैं। सरकार को धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भी आलोचना झेलनी पड़ रही है।