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India-Russia Relations: मॉस्को में राष्ट्रपति पुतिन से मिले जयशंकर, अमेरिकी प्रतिबंध के बीच रिश्तों पर मंथन
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मॉस्को
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 21 Aug 2025 08:40 PM IST
सार
India-Russia Relations: विदेश मंत्री जयशंकर ने गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत बनाने के तरीकों पर चर्चा हुई। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब भारत और रूस के बीच आर्थिक व राजनीतिक संबंधों को नई दिशा देने की कोशिशें तेज हैं।
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जयशंकर और पुतिन की अहम मुलाकात
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत बनाने के तरीकों पर चर्चा हुई। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब भारत और रूस के बीच आर्थिक व राजनीतिक संबंधों को नई दिशा देने की कोशिशें तेज हैं। बता दें कि इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ लंबी बातचीत की थी। उस बातचीत में मुख्य रूप से भारत-रूस व्यापार को और आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया। भारत की कोशिश है कि दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा, तकनीक और व्यापारिक सहयोग को नए स्तर पर ले जाया जाए।
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मॉस्को में राष्ट्रपति पुतिन से मिले जयशंकर
- फोटो : ANI
दो दिवसीय मॉस्को दौरे पर EAM जयशंकर
विदेश मंत्री मंगलवार को मॉस्को पहुंचे थे। उनकी यात्रा का एक बड़ा मकसद यह भी है कि राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा सके। जयशंकर और पुतिन की बातचीत ऐसे समय में हुई है जब दुनिया में भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। पश्चिमी देशों और रूस के बीच तनाव बढ़ रहा है, वहीं भारत लगातार संतुलनकारी भूमिका निभा रहा है। इसी कारण पुतिन और जयशंकर की यह मुलाकात वैश्विक मंच पर भी अहम मानी जा रही है।
भारत-रूस के संबंध दुनिया के सबसे स्थिर रिश्ते- जयशंकर
इस मुलाकात से पहले जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ विस्तृत चर्चा की। दोनों नेताओं ने आपसी व्यापार, ऊर्जा सहयोग, विज्ञान-तकनीक और रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने पर गहन विचार किया। वहीं संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा, 'हम मानते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारत और रूस के संबंध दुनिया के सबसे स्थिर रिश्तों में रहे हैं। इन रिश्तों को भू-राजनीतिक समानता, नेताओं के बीच लगातार संपर्क और जनता की आपसी भावनाएं मजबूत करती रही हैं।'
विदेश मंत्री मंगलवार को मॉस्को पहुंचे थे। उनकी यात्रा का एक बड़ा मकसद यह भी है कि राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा सके। जयशंकर और पुतिन की बातचीत ऐसे समय में हुई है जब दुनिया में भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। पश्चिमी देशों और रूस के बीच तनाव बढ़ रहा है, वहीं भारत लगातार संतुलनकारी भूमिका निभा रहा है। इसी कारण पुतिन और जयशंकर की यह मुलाकात वैश्विक मंच पर भी अहम मानी जा रही है।
भारत-रूस के संबंध दुनिया के सबसे स्थिर रिश्ते- जयशंकर
इस मुलाकात से पहले जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ विस्तृत चर्चा की। दोनों नेताओं ने आपसी व्यापार, ऊर्जा सहयोग, विज्ञान-तकनीक और रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने पर गहन विचार किया। वहीं संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा, 'हम मानते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारत और रूस के संबंध दुनिया के सबसे स्थिर रिश्तों में रहे हैं। इन रिश्तों को भू-राजनीतिक समानता, नेताओं के बीच लगातार संपर्क और जनता की आपसी भावनाएं मजबूत करती रही हैं।'
मॉस्को में राष्ट्रपति पुतिन से मिले जयशंकर
- फोटो : ANI
भारत और रूस का व्यापार पर विशेष जोर
जयशंकर और लावरोव की बातचीत में सबसे खास जोर व्यापार पर रहा। भारत-रूस व्यापार पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है, लेकिन अभी भी इसमें असंतुलन है। भारत रूस से तेल, कोयला और रक्षा उपकरण ज्यादा आयात करता है, लेकिन अपने उत्पादों का निर्यात कम कर पाता है।
यह भी पढ़ें - Russia: 'हम नहीं, चीन है रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार', विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका और यूरोप पर साधा निशाना
पुतिन की आगामी भारत यात्रा का महत्व
रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा लगभग तय मानी जा रही है। माना जा रहा है कि नवंबर या दिसंबर में वह दिल्ली आ सकते हैं। इस यात्रा के दौरान दोनों देश कई बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इनमें रक्षा सहयोग, ऊर्जा निवेश, आर्कटिक क्षेत्र में साझेदारी और विज्ञान-तकनीक के आदान-प्रदान जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं। भारत और रूस दशकों से एक-दूसरे के मजबूत साझेदार रहे हैं। रक्षा सौदों से लेकर ऊर्जा आपूर्ति तक, दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है। मौजूदा समय में जब दुनिया के हालात बदल रहे हैं, भारत और रूस फिर से अपने रिश्तों को नए आयाम देने की कोशिश कर रहे हैं।
जयशंकर और लावरोव की बातचीत में सबसे खास जोर व्यापार पर रहा। भारत-रूस व्यापार पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है, लेकिन अभी भी इसमें असंतुलन है। भारत रूस से तेल, कोयला और रक्षा उपकरण ज्यादा आयात करता है, लेकिन अपने उत्पादों का निर्यात कम कर पाता है।
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पुतिन की आगामी भारत यात्रा का महत्व
रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा लगभग तय मानी जा रही है। माना जा रहा है कि नवंबर या दिसंबर में वह दिल्ली आ सकते हैं। इस यात्रा के दौरान दोनों देश कई बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इनमें रक्षा सहयोग, ऊर्जा निवेश, आर्कटिक क्षेत्र में साझेदारी और विज्ञान-तकनीक के आदान-प्रदान जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं। भारत और रूस दशकों से एक-दूसरे के मजबूत साझेदार रहे हैं। रक्षा सौदों से लेकर ऊर्जा आपूर्ति तक, दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है। मौजूदा समय में जब दुनिया के हालात बदल रहे हैं, भारत और रूस फिर से अपने रिश्तों को नए आयाम देने की कोशिश कर रहे हैं।