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Nepal: 'भारत को दूर से ही नजर बनाकर रखनी चाहिए', नेपाल संकट पर पूर्व भारतीय राजदूत बोले- ये उनका आंतरिक मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Thu, 11 Sep 2025 01:08 PM IST
सार
पूर्व भारतीय राजदूत राकेश सूद ने नेपाल के मौजूदा संकट पर कहा है कि भारत को इसमें सीधे शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि यह वहां का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि नेपाल में राजनीतिक ढहाव और कानूनी खालीपन की स्थिति है, जहां अंतरिम सरकार की मांग उठ रही है।
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पूर्व भारतीय राजदूत राकेश सूद।
- फोटो : X- @rakeshnms
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विस्तार
नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट और हिंसा को लेकर भारत की ओर से सावधानी बरती जा रही है। पूर्व भारतीय राजदूत राकेश सूद ने कहा है कि नेपाल की मौजूदा स्थिति पूरी तरह से वहां का आंतरिक मामला है और भारत को इसमें सीधे शामिल होने से बचना चाहिए। उन्होंने साफ किया कि भारत की प्राथमिकता अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना और हालात पर पैनी नजर रखना है।
सूद ने जोर देकर कहा कि भारत अक्सर पड़ोसी देशों की राजनीति में पंचिंग बैग बन जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में बांग्लादेश में भी ऐसी स्थिति देखी गई थी। इसलिए भारत को नेपाल की मौजूदा उथल-पुथल से दूरी बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत ने नेपाल से सटी सीमाओं को सील कर दिया है और वहां की घटनाओं पर करीबी नजर रखी जा रही है।
नेपाल की राजनीतिक स्थिति पर चिंता
पूर्व राजदूत ने कहा कि नेपाल इस समय एक तरह से राजनीतिक ढहाव का सामना कर रहा है। संसद को भंग करने की मांग उठ रही है, जबकि संविधान में ऐसी किसी अंतरिम सरकार का प्रावधान नहीं है जैसी अभी प्रस्तावित की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह एक कानूनी खालीपन है।
ये भी पढ़ें- कौन है सुदन गुरुंग? जो इवेंट करियर छोड़ बना सामाजिक कार्यकर्ता और फिर हिला दी नेपाल की सत्ता
क्या बनेगी अंतरिम सरकार?
राकेश सूद का मानना है कि संभव है कि नेपाल के लोग किसी तरह की अंतरिम सरकार बनाने का दबाव डालें। उन्होंने कहा कि भले ही यह संविधान के अनुसार न हो, लेकिन अगर लोग ऐसा चाहते हैं तो यह रास्ता निकाला जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक साफ नहीं है कि जनता वास्तव में चाहती क्या है।
नामों पर चर्चा तेज
नेपाल की अंतरिम सरकार के नेतृत्व को लेकर कई नाम सामने आ रहे हैं। इसमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की, काठमांडू के मेयर बालेन शाह और ओपी आर्यल समेत आधा दर्जन नाम शामिल हैं। सूद ने कहा कि अभी यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि कौन नेता उभरकर सामने आएगा।
ये भी पढ़ें- नेपाल में फौरी राहत के साथ बढ़ाया गया कर्फ्यू, जानें अंतरिम सरकार पर क्या बोले प्रदर्शनकारी
सोशल मीडिया बैन से भड़की आग
नेपाल में विरोध प्रदर्शनों को लेकर सूद ने कहा कि वहां लंबे समय से असंतोष धीरे-धीरे बढ़ रहा था। लेकिन चार सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का फैसला उस चिंगारी की तरह साबित हुआ, जिसने पूरे देश में विरोध की आग भड़का दी। उन्होंने कहा कि अक्सर बड़े आंदोलनों में यही होता है कि एक छोटी सी घटना पूरे असंतोष को विस्फोटक रूप दे देती है।
सूद ने कहा कि भारत को इस समय सिर्फ हालात पर नजर रखनी चाहिए, यह देखना चाहिए कि नए नेता कौन होंगे और अपनी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि नेपाल की राजनीति में भारत की सीधी दखल से नुकसान ही होगा।
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सूद ने जोर देकर कहा कि भारत अक्सर पड़ोसी देशों की राजनीति में पंचिंग बैग बन जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में बांग्लादेश में भी ऐसी स्थिति देखी गई थी। इसलिए भारत को नेपाल की मौजूदा उथल-पुथल से दूरी बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत ने नेपाल से सटी सीमाओं को सील कर दिया है और वहां की घटनाओं पर करीबी नजर रखी जा रही है।
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नेपाल की राजनीतिक स्थिति पर चिंता
पूर्व राजदूत ने कहा कि नेपाल इस समय एक तरह से राजनीतिक ढहाव का सामना कर रहा है। संसद को भंग करने की मांग उठ रही है, जबकि संविधान में ऐसी किसी अंतरिम सरकार का प्रावधान नहीं है जैसी अभी प्रस्तावित की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह एक कानूनी खालीपन है।
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क्या बनेगी अंतरिम सरकार?
राकेश सूद का मानना है कि संभव है कि नेपाल के लोग किसी तरह की अंतरिम सरकार बनाने का दबाव डालें। उन्होंने कहा कि भले ही यह संविधान के अनुसार न हो, लेकिन अगर लोग ऐसा चाहते हैं तो यह रास्ता निकाला जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक साफ नहीं है कि जनता वास्तव में चाहती क्या है।
नामों पर चर्चा तेज
नेपाल की अंतरिम सरकार के नेतृत्व को लेकर कई नाम सामने आ रहे हैं। इसमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की, काठमांडू के मेयर बालेन शाह और ओपी आर्यल समेत आधा दर्जन नाम शामिल हैं। सूद ने कहा कि अभी यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि कौन नेता उभरकर सामने आएगा।
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सोशल मीडिया बैन से भड़की आग
नेपाल में विरोध प्रदर्शनों को लेकर सूद ने कहा कि वहां लंबे समय से असंतोष धीरे-धीरे बढ़ रहा था। लेकिन चार सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का फैसला उस चिंगारी की तरह साबित हुआ, जिसने पूरे देश में विरोध की आग भड़का दी। उन्होंने कहा कि अक्सर बड़े आंदोलनों में यही होता है कि एक छोटी सी घटना पूरे असंतोष को विस्फोटक रूप दे देती है।
सूद ने कहा कि भारत को इस समय सिर्फ हालात पर नजर रखनी चाहिए, यह देखना चाहिए कि नए नेता कौन होंगे और अपनी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि नेपाल की राजनीति में भारत की सीधी दखल से नुकसान ही होगा।