पाकिस्तान: संसद ने अध्यादेश को दी मंजूरी, कुलभूषण जाधव कर सकेंगे मौत की सजा के खिलाफ अपील
पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव को अदालत में अपील करने की इजाजत मिल गई है। इससे पहले पाकिस्तान की इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) ने अप्रैल महीने में अपनी सरकार के विदेश कार्यालय को कुलभूषण जाधव मामले में भारत से बात करने का निर्देश दिया था।
विस्तार
Pakistan Assembly has approved "International Court of Justice (Review & Re-consideration) Ordinance, 2020”. This will allow Kulbhushan Jadhav to appeal his conviction in the high courts of the country: Pakistan media
विज्ञापन— ANI (@ANI) June 10, 2021विज्ञापन
बता दें कि भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी कुलभूषण जाधव की मौत की सजा मामले की सुनवाई कर रहे इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने भारत से कानूनी कार्यवाही में सहयोग करने के लिए कहा है। कोर्ट ने पांच मई को पाकिस्तान के कानून एवं न्याय मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई शुरू की थी, जिसमें जाधव के लिए वकील नियुक्त करने की मांग की थी।
अटॉनी जनरल खालिद जावेद खान ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के फैसले के बाद पाकिस्तान ने पिछले साल न्याय अदालत (समीक्षा एवं पुनर्विचार) अध्यादेश लागू किया था, ताकि जाधव को कानूनी मदद मिल सके।
इससे पहले पाकिस्तान की इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) ने अप्रैल महीने में अपनी सरकार के विदेश कार्यालय को कुलभूषण जाधव मामले में भारत से बात करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में भारत के मन में इस अदालत के क्षेत्राधिकार को लेकर बनी गलतफहमी को स्पष्ट किया जाए ताकि कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट की जस्टिस अतहर मिनाल्लाह, जस्टिस आमेर फारूक और जस्टिस मियांगुल हसन औरंगजेब की मौजूदगी वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। लेकिन भारतीय उच्चायोग ने एक वकील के जरिए जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस गलतफहमी को स्पष्ट करने का प्रयास किया। जस्टिस मिनाल्लाह ने भारतीय उच्चायोग की तरफ से पेश बैरिस्टर शाहनवाज नून से पूछा कि क्या उन्होंने इस मामले के बारे में नई दिल्ली को सूचित किया है।
वकील ने कहा, भारत सरकार का मानना है कि यह मामला आईएचसी के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। इस पर जस्टिस मिनाल्लाह ने कहा, लगता है कि भारत सरकार को इस अदालत की कार्यवाही के बारे में कुछ गलतफहमी है। उन्होंने कहा, यह मामला महज इस अदालत के क्षेत्राधिकार का नहीं बल्कि आईसीजे के निर्णय को लागू करने का है।
उन्होंने पाकिस्तान विदेश कार्यालय को भारत सरकार से संपर्क कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। अदालत ने इस मामले को चार भारतीय बंदियों को रिहा करने की याचिका के साथ जोड़ते हुए पांच मई तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी थी।
क्या है मामला?
सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव (50) को पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल, 2017 में जासूसी करने और आतंकवाद फैलाने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी। भारत ने इसके खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में अपील की थी।
भारत का कहना है कि जाधव नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद व्यापार कर रहे हैं और उनके इसी सिलसिले में ईरान जाने पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने उन्हें झूठे इल्जाम में फंसाने के लिए वहां से अगवा किया था। भारत ने पाकिस्तान पर जाधव तक राजनयिक पहुंच उपलब्ध नहीं कराने का भी आरोप लगाया था।
आईसीजे ने जुलाई, 2019 में पाकिस्तान को जाधव मामले की दोबारा समीक्षा करने, उसे सैन्य अदालत के खिलाफ अपील का मौका देने और भारत को उस तक राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।