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UNHRC: मानवाधिकार हनन को लेकर यूएनएचआरसी में बेनकाब हुआ पाकिस्तान, बलूचिस्तान संकट पर भी जताई गई चिंता
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, जिनेवा।
Published by: निर्मल कांत
Updated Wed, 01 Oct 2025 02:57 PM IST
सार
UNHRC: यूएनएचआरसी के 60वें सत्र के दौरान पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हुआ है। .अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक शोधकर्ता जोश बोव्स ने पाकिस्तान और बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन के मामलों को उजागर किया और उस पर निगरानी बढ़ाने की मांग की।
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यूएनएचआरसी
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक शोधकर्ता जोश बोव्स ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 60वें सत्र की 34वीं बैठक में पाकिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों और बलूचिस्तान संकट को उजागर किया। जोश बोव्स ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई इस बैठक में पाकिस्तान की जीएसपी प्लस स्थिति पर यूरोपीय संघ (ईयू) की टिप्पणियों का हवाला और बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार हनन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों के लिए जवाबदेही और बलूचिस्तान में लगातार जारी संकट को लेकर गंभीर कार्रवाई की जरूरत है।
बोव्स ने अपने संबोधन में बताया कि पाकिस्तान वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम सूची में 158वें स्थान पर है। धार्मिक स्वतंत्रता पर यूएससीआईआरएफ की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में 700 से अधिक लोग जेल में हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 300 फीसदी की वृद्धि है।
ये भी पढ़ें: तीन की मौत के बाद पीओके में बढ़ा लोगों का गुस्सा, पाकिस्तान के सभी एंट्री पॉइंट बंद करने की धमकी दी
उन्होंने बलूच लोगों पर हो रहे अत्याचारों की जानकारी देते हुए बताया, बलूच राष्ट्रीय आंदोलन की मानवाधिकार इकाई 'पांक' ने केवल 2025 की पहली छमाही में 785 लोगों के जबरन गायब किए जाने और 121 हत्याओं को दर्ज किया है। वहीं, पश्तून नेशनल जिरगा का कहना है कि साल 2025 में अब भी 4000 से अधिक पश्तून लापता हैं।
अपने समापन भाषण में बोव्स ने यूएनएचआरसी से पाकिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति की निगरानी को मजबूत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से अनुरोध है कि वह यूरोपीय संघ के साथ सहयोगी तंत्रों की खोज करे, ताकि पाकिस्तान में मानवाधिकारों की निगरानी को मजबूत किया जा सके।
इस सत्र में पाकिस्तान को कई मोर्चों पर घेरा गया। इससे पहले मानवाधिकार कार्यकर्ता आरिफ आजकिया ने भी पाकिस्तान में हो रहे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में लंबे समय से सैन्य अभियान चल रहे हैं। वहां गैर-न्यायिक हत्याएं, जबरन गायब किया जाना और यातनाओं के मामले सामने आ रहे हैं। लापता लोगों के परिवार लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें: अमेरिका में सात साल बाद क्योंं बंद हुआ सरकार का कामकाज, क्या होता है शटडाउन; इसका असर क्या होगा?
आजकिया ने कहा, हजारों बलूच और पश्तून शांतिपूर्ण नागरिक पाकिस्तानी सेना ने गायब कर दिए गए हैं। अक्सर सामूहिक कब्रें मिलती हैं, जिनमें लापता लोगों के शव होते हैं। महिलाएं और बच्चे अपने लापता परिजनों को न्याय दिलाने के लिए शहरों में प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन राज्य बल उन पर लाठीचार्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लेते हैं। महरंग बलूच जैसी कई महिलाएं हैं जिन्हें हिरासत में रखा गया है। उनसे संपर्क की अनुमति भी नहीं है।
उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान में हाल ही में एक नया अस्थायी कानून लाया गया है, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को अदालत में पेश किए बिना 90 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह कानून उन अंतरराष्ट्रीय संधियों के खिलाफ है, जिन पर पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किए हैं। आजकिया ने यूएनएचआरसी से अपील की कि वह पाकिस्तान से मूलभूत अधिकारों का सम्मान करने की मांग करे और बलूचिस्तान व खैबर पख्तूनख्वा में एक संयुक्त राष्ट्र की तथ्यान्वेषी टीम भेजे।
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बोव्स ने अपने संबोधन में बताया कि पाकिस्तान वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम सूची में 158वें स्थान पर है। धार्मिक स्वतंत्रता पर यूएससीआईआरएफ की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में 700 से अधिक लोग जेल में हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 300 फीसदी की वृद्धि है।
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उन्होंने बलूच लोगों पर हो रहे अत्याचारों की जानकारी देते हुए बताया, बलूच राष्ट्रीय आंदोलन की मानवाधिकार इकाई 'पांक' ने केवल 2025 की पहली छमाही में 785 लोगों के जबरन गायब किए जाने और 121 हत्याओं को दर्ज किया है। वहीं, पश्तून नेशनल जिरगा का कहना है कि साल 2025 में अब भी 4000 से अधिक पश्तून लापता हैं।
अपने समापन भाषण में बोव्स ने यूएनएचआरसी से पाकिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति की निगरानी को मजबूत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से अनुरोध है कि वह यूरोपीय संघ के साथ सहयोगी तंत्रों की खोज करे, ताकि पाकिस्तान में मानवाधिकारों की निगरानी को मजबूत किया जा सके।
इस सत्र में पाकिस्तान को कई मोर्चों पर घेरा गया। इससे पहले मानवाधिकार कार्यकर्ता आरिफ आजकिया ने भी पाकिस्तान में हो रहे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में लंबे समय से सैन्य अभियान चल रहे हैं। वहां गैर-न्यायिक हत्याएं, जबरन गायब किया जाना और यातनाओं के मामले सामने आ रहे हैं। लापता लोगों के परिवार लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
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आजकिया ने कहा, हजारों बलूच और पश्तून शांतिपूर्ण नागरिक पाकिस्तानी सेना ने गायब कर दिए गए हैं। अक्सर सामूहिक कब्रें मिलती हैं, जिनमें लापता लोगों के शव होते हैं। महिलाएं और बच्चे अपने लापता परिजनों को न्याय दिलाने के लिए शहरों में प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन राज्य बल उन पर लाठीचार्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लेते हैं। महरंग बलूच जैसी कई महिलाएं हैं जिन्हें हिरासत में रखा गया है। उनसे संपर्क की अनुमति भी नहीं है।
उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान में हाल ही में एक नया अस्थायी कानून लाया गया है, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को अदालत में पेश किए बिना 90 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह कानून उन अंतरराष्ट्रीय संधियों के खिलाफ है, जिन पर पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किए हैं। आजकिया ने यूएनएचआरसी से अपील की कि वह पाकिस्तान से मूलभूत अधिकारों का सम्मान करने की मांग करे और बलूचिस्तान व खैबर पख्तूनख्वा में एक संयुक्त राष्ट्र की तथ्यान्वेषी टीम भेजे।