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Pope Leo First Interview: पोप लियो ने ट्रंप की नीति और चीन पर की बात, यौन शोषण कांड, LGBTQ+ पर भी बयान; जानिए

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, रोम Published by: पवन पांडेय Updated Thu, 18 Sep 2025 04:45 PM IST
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सार

Pope Leo First Interview: पोप लियो XIV ने अपने पहले इंटरव्यू में परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन साधने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने एलजीबीटीक्यू+ समुदाय, चीन के साथ संबंध, यौन शोषण पीड़ितों के लिए न्याय और अमेरिकी राजनीति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर उन्होंने खुले और व्यावहारिक विचार रखे।

Pope Leo talks Trump, abuse scandals, LGBTQ+ welcome, China in his first interview
पोप लियो 14वें - फोटो : PTI
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विस्तार
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इतिहास में पहली बार अमेरिकी मूल के पोप बने पोप लियो XIV ने अपने पहले बड़े इंटरव्यू में कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने साफ किया कि वे अमेरिकी राजनीति में सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगे, लेकिन चर्च से जुड़े अहम मुद्दों पर अपनी आवाज जरूर उठाएंगे। यह इंटरव्यू वेटिकन की वरिष्ठ पत्रकार एलिस एन एलन ने लिया, जो वेबसाइट क्रक्स की संवाददाता हैं।
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लंबे समय तक पेरू के बिशप रह चुके हैं पोप लियो XIV
इंटरव्यू के अंश गुरुवार को उस वक्त सार्वजनिक हुए, जब पेरू में पोप के जीवन पर आधारित उनकी जीवनी लॉन्च की गई। पोप लियो XIV लंबे समय तक पेरू के बिशप रह चुके हैं। इस बातचीत में पोप लियो ने डोनाल्ड ट्रंप, एलजीबीटीक्यू+ समुदाय, चीन के साथ वेटिकन समझौता, यौन शोषण कांड, महिलाओं की भूमिका, चर्च की वित्तीय स्थिति और प्रवासन (इमिग्रेशन) जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे।
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एलजीबीटीक्यू+ समुदाय का चर्च में स्वागत
पोप लियो ने इस दौरान स्पष्ट किया कि वे पोप फ्रांसिस के उस संदेश को आगे बढ़ाएंगे जिसमें उन्होंने कहा था कि 'चर्च में हर किसी का स्वागत है।' हालांकि उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि चर्च की यौन संबंधों और विवाह को लेकर मूल शिक्षाओं में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होने जा रहा। चर्च की परंपरा के मुताबिक विवाह सिर्फ पुरुष और महिला के बीच ही मान्य है। पोप लियो ने कहा, 'मैं किसी व्यक्ति को उसकी पहचान के आधार पर आमंत्रित नहीं करता, बल्कि इसलिए आमंत्रित करता हूं क्योंकि वह भगवान की संतान है।' उन्होंने यह भी कहा कि लोगों के रवैये और सोच में बदलाव जरूरी है, तभी किसी बड़े बदलाव पर विचार हो सकता है।

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चीन के साथ संबंध और 2018 का समझौता
वेटिकन और बीजिंग के बीच 2018 में एक अहम समझौता हुआ था, जिसका मकसद चीन के 1.2 करोड़ कैथोलिकों को एकजुट करना था। चीन में कैथोलिक दो हिस्सों में बंटे हैं, जिसमें पहला- सरकारी मान्यता प्राप्त चर्च और दूसरा- गुप्त चर्च, जो सीधे वेटिकन से जुड़ा है। इस समझौते के तहत बिशप की नियुक्ति दोनों पक्षों की सहमति से होती है। पोप लियो ने कहा कि फिलहाल इस समझौते में किसी बड़े बदलाव की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, 'मैं इस मुद्दे पर दोनों पक्षों से बात कर रहा हूं और इसे गहराई से समझने की कोशिश कर रहा हूं।' वेटिकन का मानना है कि यह समझौता जरूरी था, ताकि चीन में चर्च के भीतर और बड़ा विभाजन न हो।

यौन शोषण कांड पर कड़ा रुख
पोप लियो ने माना कि चर्च में यौन शोषण का संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि पीड़ितों की मदद के लिए चर्च अभी तक कोई प्रभावी तरीका नहीं खोज पाया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आरोप लगने पर पादरियों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। '90% से ज्यादा मामले सच्चे होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में झूठे आरोप भी साबित हुए हैं, जिससे कई पादरियों की जिंदगी तबाह हो गई।' पोप लियो XIV खुद पेरू में एक यौन शोषण पीड़ित समूह को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं, लेकिन कुछ अमेरिकी पीड़ित समूहों ने उन पर और अधिक कदम न उठाने का आरोप लगाया है।
 

ट्रंप और अमेरिकी राजनीति
पोप लियो ने कहा कि वे ट्रंप प्रशासन का सीधा समर्थन नहीं करते। उन्होंने प्रवासन (इमिग्रेशन) के मुद्दे को चर्च के लिए अहम बताया। उन्होंने याद दिलाया कि पोप फ्रांसिस ने अमेरिकी बिशपों को एक पत्र लिखकर ट्रंप प्रशासन की बड़े पैमाने पर निर्वासन की योजना की आलोचना की थी। पोप लियो XIV ने अमेरिकी बिशपों की सराहना की कि उन्होंने इस पर साहसिक रुख अपनाया। उन्होंने कहा, 'अमेरिका एक वैश्विक शक्ति है। कई बार फैसले मानव गरिमा के बजाय आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं। ऐसे में चर्च की जिम्मेदारी है कि वह सवाल उठाए और लोगों के अधिकारों की रक्षा करे।' उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से सीधे बातचीत की है, लेकिन अब तक ट्रंप से उनकी मुलाकात नहीं हुई।

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चर्च में महिलाओं की भूमिका
पोप लियो ने चर्च में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का वादा किया। उन्होंने कहा कि वे महिलाओं को नेतृत्व पदों पर नियुक्त करते रहेंगे। लेकिन महिला डीकन या महिला पादरी बनाने पर उन्होंने फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया। यह मुद्दा अभी वेटिकन की डॉक्ट्रिन ऑफिस में अध्ययन के दौर में है। 'इस पर चर्च की मौजूदा शिक्षाओं में बदलाव की मेरी अभी कोई योजना नहीं है, लेकिन मैं लोगों की राय सुनने के लिए तैयार हूं।'
 

वेटिकन की वित्तीय स्थिति पर क्या बोले पोप लियो?
वेटिकन लंबे समय से वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। इसमें 50 से 60 मिलियन यूरो का वार्षिक घाटा और 1 बिलियन यूरो का पेंशन फंड शॉर्टफॉल के साथ-साथ कोविड-19 महामारी के दौरान वेटिकन म्यूजियम्स के बंद होने से आय में भारी कमी है। हालांकि पोप लियो ने कहा कि स्थिति अब धीरे-धीरे सुधर रही है। उन्होंने आखिरी में कहा, 'यह उतना गंभीर संकट नहीं है, जितना लोगों को बताया गया। अभी हमें मेहनत करनी होगी, लेकिन मैं इसे लेकर चिंतित नहीं हूं।'
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