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Gaza War: नकबा जैसी त्रासदी की ओर गाजा? लगातार हमलों के बीच रुबियो के दौरे ने साफ कर दी अमेरिका की मंशा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, यरूशलम।
Published by: निर्मल कांत
Updated Sun, 14 Sep 2025 11:01 PM IST
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सार
गाजा में तबाही का मंजर हर दिन और भी भयावह होता जा रहा है- मलबे में दबी जिंदगियां, भूख से तड़पते बच्चे और जलते शहर। इस्राइल की ओर से लगातार हो रही बमबारी ने गाजा को एक बार फिर उस 'नकबा' की याद दिला दी है, जिसने 1948 में लाखों फलस्तीनियों को उनकी जमीनों से उजाड़ दिया था। इसी बीच अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो का ऐसे समय में इस्राइल दौरा हो रहा है, जब कतर में इस्राइली हमले से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नाराज बताए जा रहे हैं। क्या वॉशिंगटन खुलकर तेल अवीव के साथ खड़ा हो रहा है? क्या हमास से निपटने के नाम पर एक और मानवीय संकट जन्म ले रहा है?

बेंजामिन नेतन्याहू, मार्को रूबियो
- फोटो : एक्स/मार्को रूबियो
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विस्तार
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो रविवार को इस्राइल पहुंचे। उसी समय इस्राइली रक्षा बल (आईडीएफ) ने उत्तरी गाजा पर अपने हमले और तेज कर दिए। इन हमलों में कई ऊंची इमारतें ध्वस्त हो गईं और 13 फलस्तीनियों की मौत हो गई। रुबियो ने इस दौरे से पहले कहा था कि वह इस्राइली अधिकारियों से यह जानने आए हैं कि गाजा में आगे की रणनीति क्या होगी, खासकर पिछले हफ्ते कतर में हमास नेताओं पर हुए इस्राइली हमले के बाद, जिसने युद्ध रोकने की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है।
रूबियो का दो दिवसीय दौरा इस्राइल के लिए समर्थन का प्रतीक माना जा रहा है, खासकर तब जब संयुक्त राष्ट्र में अगले हफ्ते फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता को लेकर एक बहस होने जा रही है। इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू फलस्तीनी राष्ट्र की मान्यता के सख्त खिलाफ हैं।

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रूबियो का दो दिवसीय दौरा इस्राइल के लिए समर्थन का प्रतीक माना जा रहा है, खासकर तब जब संयुक्त राष्ट्र में अगले हफ्ते फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता को लेकर एक बहस होने जा रही है। इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू फलस्तीनी राष्ट्र की मान्यता के सख्त खिलाफ हैं।
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कतर पर हमले के बावजूद रूबियो का इस्राइल दौरा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नेतन्याहू से नाराज हैं, क्योंकि कतर की राजधानी दोहा में हुए इस्राइली हमले की जानकारी अमेरिका को पहले नहीं दी गई थी। फिर भी रुबियो इस्राइल के दौरे पर हैं। रविवार को नेतन्याहू, रूबियो अपनी पत्नियों, अमेरिका के इस्राइल में राजदूत माइक हक्काबी और उनकी पत्नी के साथ यरूशलम की पवित्र दीवार और उसके पास की सुरंगों का दौरा करने गए। नेतन्याहू ने कहा, मुझे लगता है कि रूबियो की यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि इस्राइल-अमेरिका का गठबंधन पवित्र दीवार के जितना ही मंजबूत और टिकाऊ है, जिसके पत्थरों को हमने छुआ।
शुक्रवार को रूबियो और ट्रंप ने कतर के प्रधानमंत्री से मुलाकात की, जिसमें इस्राइली हमले के बाद की स्थिति पर चर्चा हुई। अमेरिका की ये लगातार दो बैठकें -एक इस्राइल के साथ और एक कतर के साथ- यह दिखाती हैं कि ट्रंप प्रशासन इस हमले के बावजूद अपने पश्चिम एशिया के दोनों प्रमुख सहयोगियों के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। इस हमले में कम से छह लोग मारे गए और ऐसा लगता है कि इससे इस्राइल-हमास संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। यह मुद्दा अगले हफ्ते होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में प्रमुख रूप से उठेगा।
ये भी पढ़ें: इस्राइली हमले के विरोध में कतर ने अरब देशों के साथ की बैठक, इस्राइल के खिलाफ पारित किया निंदा प्रस्ताव
उधर, रविवार को अरब और इस्लामी देशों के विदेश मंत्री दोहा में मिले, ताकि इस्राइली हमले को लेकर एक साझा रुख तय किया जा सके। सोमवार को इन देशों के प्रमुख नेता कतर में शिखर सम्मेलन के लिए मिलेंगे। नेतन्याहू और इस्राइली विदेश मंत्री गिदोन सार भी सोमवार को अमेरिका के सांसदों के एक बड़े दल को संबोधित करेंगे, जो इस्राइल दौरे पर राजनीतिक वार्ता के लिए आए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नेतन्याहू से नाराज हैं, क्योंकि कतर की राजधानी दोहा में हुए इस्राइली हमले की जानकारी अमेरिका को पहले नहीं दी गई थी। फिर भी रुबियो इस्राइल के दौरे पर हैं। रविवार को नेतन्याहू, रूबियो अपनी पत्नियों, अमेरिका के इस्राइल में राजदूत माइक हक्काबी और उनकी पत्नी के साथ यरूशलम की पवित्र दीवार और उसके पास की सुरंगों का दौरा करने गए। नेतन्याहू ने कहा, मुझे लगता है कि रूबियो की यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि इस्राइल-अमेरिका का गठबंधन पवित्र दीवार के जितना ही मंजबूत और टिकाऊ है, जिसके पत्थरों को हमने छुआ।
शुक्रवार को रूबियो और ट्रंप ने कतर के प्रधानमंत्री से मुलाकात की, जिसमें इस्राइली हमले के बाद की स्थिति पर चर्चा हुई। अमेरिका की ये लगातार दो बैठकें -एक इस्राइल के साथ और एक कतर के साथ- यह दिखाती हैं कि ट्रंप प्रशासन इस हमले के बावजूद अपने पश्चिम एशिया के दोनों प्रमुख सहयोगियों के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। इस हमले में कम से छह लोग मारे गए और ऐसा लगता है कि इससे इस्राइल-हमास संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। यह मुद्दा अगले हफ्ते होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में प्रमुख रूप से उठेगा।
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उधर, रविवार को अरब और इस्लामी देशों के विदेश मंत्री दोहा में मिले, ताकि इस्राइली हमले को लेकर एक साझा रुख तय किया जा सके। सोमवार को इन देशों के प्रमुख नेता कतर में शिखर सम्मेलन के लिए मिलेंगे। नेतन्याहू और इस्राइली विदेश मंत्री गिदोन सार भी सोमवार को अमेरिका के सांसदों के एक बड़े दल को संबोधित करेंगे, जो इस्राइल दौरे पर राजनीतिक वार्ता के लिए आए हैं।

इस्राइली हवाई हमलों के बाद तबाही का मंजर
- फोटो : पीटीआई (फाइल)
हवाई हमलों में और मौतें
रविवार को गाजा में इस्राइल के हवाई हमलों में 13 फलस्तीनी मारे गए और कई घायल हो गए। स्थानीय अस्पतालों ने बताया कि इन हमलों में शिफा अस्पताल के पास एक गाड़ी, गाजा सिटी के एक चौराहे और दीर अल-बलाह शहर में एक तंबू को निशाना बनाया गया। दीर अल-बलाह की घटना में एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हुई, जिनमें दो माता-पिता, उनके तीन बच्चे और बच्चों की चाची शामिल हैं। यह परिवार उत्तरी शहर बेइत हनून से आया था और हाल ही में गाजा सिटी के अपने शिविर से भागकर यहां पहुंचा था। कुछ इमारतों को उस समय गिरा दिया गया जब सेना ने लोगों को वहां से निकलने का ऑनलाइन आदेश दिया था और उसके सिर्फ एक घंटे के अंदर ही हमला कर दिया गया। इस्राइली सेना ने इन हमलों पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। सेना ने रविवार को गाजा सिटी में अपने अभियान के तहत कई ऊंची इमारतों को ध्वस्त कर दिया।
ये भी पढ़ें: 'ब्रिटेन की सरकार में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत, आगे आए जनता', लंदन में प्रवासी विरोधी रैली में बोले मस्क
इस्राइल का कहना है कि हमास ने आम नागरिकों के इलाकों के भीतर ही आतंकवादी ठिकाने बना रखे हैं, लेकिन उसने इसके कोई प्रमाण नहीं दिए हैं। सेना ने दावा किया कि हमास ने वहां अपने निगरानी केंद्र बना रखे थे और इस्राली सैनिकों पर हमले की तैयारी कर रहा था। इसके अलावा सेना ने कहा कि उसने सटीक हथियारों और हवाई निगरानी के साथ हमला किया, ताकि आम नागरिकों को नुकसान कम से कम हो।
स्थानीय निवासियों के अनुसार रिमाल इलाके में कौसर टॉवर पूरी तरह गिरा दिया गया। वहां किसी के हताहत होने की तत्काल कोई खबर नहीं है। गाजा के निवासी आबेद इस्माइल ने कहा, यह गाजा सिटी को मलबे में तब्दील करने और हमें फिर से विस्थापित करने की कोशिश है। एक और नकबा (त्रासदी) है। नकबा शब्द उस घटना के लिए कहते हैं, जब 1948 के युद्ध के दौरान लगभग सात लाख फलस्तीनी इस्राइली बलों द्वारा निकाले गए थे या भागने को मजबूर हुए थे। इस्राइल गाजा में नरसंहार के आरोपों को पूरी तरह नकारता रहा है।
इस्राइली रक्षा मंत्री इस्राइल काट्ज ने सोशल मीडिया पर हमलों का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, गाजा की पहचान बदल रही है।
रविवार को गाजा में इस्राइल के हवाई हमलों में 13 फलस्तीनी मारे गए और कई घायल हो गए। स्थानीय अस्पतालों ने बताया कि इन हमलों में शिफा अस्पताल के पास एक गाड़ी, गाजा सिटी के एक चौराहे और दीर अल-बलाह शहर में एक तंबू को निशाना बनाया गया। दीर अल-बलाह की घटना में एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हुई, जिनमें दो माता-पिता, उनके तीन बच्चे और बच्चों की चाची शामिल हैं। यह परिवार उत्तरी शहर बेइत हनून से आया था और हाल ही में गाजा सिटी के अपने शिविर से भागकर यहां पहुंचा था। कुछ इमारतों को उस समय गिरा दिया गया जब सेना ने लोगों को वहां से निकलने का ऑनलाइन आदेश दिया था और उसके सिर्फ एक घंटे के अंदर ही हमला कर दिया गया। इस्राइली सेना ने इन हमलों पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। सेना ने रविवार को गाजा सिटी में अपने अभियान के तहत कई ऊंची इमारतों को ध्वस्त कर दिया।
ये भी पढ़ें: 'ब्रिटेन की सरकार में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत, आगे आए जनता', लंदन में प्रवासी विरोधी रैली में बोले मस्क
इस्राइल का कहना है कि हमास ने आम नागरिकों के इलाकों के भीतर ही आतंकवादी ठिकाने बना रखे हैं, लेकिन उसने इसके कोई प्रमाण नहीं दिए हैं। सेना ने दावा किया कि हमास ने वहां अपने निगरानी केंद्र बना रखे थे और इस्राली सैनिकों पर हमले की तैयारी कर रहा था। इसके अलावा सेना ने कहा कि उसने सटीक हथियारों और हवाई निगरानी के साथ हमला किया, ताकि आम नागरिकों को नुकसान कम से कम हो।
स्थानीय निवासियों के अनुसार रिमाल इलाके में कौसर टॉवर पूरी तरह गिरा दिया गया। वहां किसी के हताहत होने की तत्काल कोई खबर नहीं है। गाजा के निवासी आबेद इस्माइल ने कहा, यह गाजा सिटी को मलबे में तब्दील करने और हमें फिर से विस्थापित करने की कोशिश है। एक और नकबा (त्रासदी) है। नकबा शब्द उस घटना के लिए कहते हैं, जब 1948 के युद्ध के दौरान लगभग सात लाख फलस्तीनी इस्राइली बलों द्वारा निकाले गए थे या भागने को मजबूर हुए थे। इस्राइल गाजा में नरसंहार के आरोपों को पूरी तरह नकारता रहा है।
इस्राइली रक्षा मंत्री इस्राइल काट्ज ने सोशल मीडिया पर हमलों का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, गाजा की पहचान बदल रही है।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : एएनआई (फाइल)
गाजा में भूख से मौतें
एक अलग रिपोर्ट में गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटों में दो वयस्क फलस्तीनियों की मौत कुपोषण और भूख के कारण हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि जून के अंत से अब तक कुपोषण के कारण मरने वालों की संख्या 277 हो गई है, जबकि अक्तूबर 2023 से अब तक 145 बच्चे भी इसी कारण मारे जा चुके हैं।
गाजा में मानवीय मदद की निगरानी करने वाले इस्राइली रक्षा निकाय ने कहा कि पिछले सप्ताह में 1,200 से अधिक ट्रक गाजा में सहायता सामग्री लेकर पहुंचे हैं, जिनमें ज्यादातर खाद्य सामग्री थी। हालांकि, राहत कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मदद गाजा की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत कम है। अक्सर ये सामग्री गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही लूट ली जाती है। इस्राइली और अंतरराष्ट्रीय दलों ने गाजा तक आने वाली तीन में से एक जल आपूर्ति लाइन की मरम्मत पूरी कर ली है। इससे अब गाजा को प्रतिदिन 14,000 घन मीटर पानी मिलने लगा है।
23 महीनों से जारी युद्ध के कारण गाजा में जल संकट लगातार बढ़ता गया है और अब वहां के लोग भीषण गर्मी में दूसरी बार गर्मियों का सामना कर रहे हैं। लोग पानी के ट्रकों का पीछा करते हैं, जो हर दो-तीन दिन में आते हैं। वे बोतल, डिब्बे और बाल्टियां भरकर अपने घर ले जाते हैं।
यह युद्ध सात अक्तूबर 2023 को शुरू हुआ था, जब हमास के लड़ाके दक्षिणी इस्राइल में घुस आए थे और 1,200 लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे। उन्होंने 251 लोगों को भी बंधक बना लिया था, जिनमें अब भी 48 गाजा में हैं और इस्राइल को लगता है कि उनमें से 20 अभी जीवित हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस हमले के जवाब में इस्राइल की तरफ से शुरू किए गए अभियान में अब तक 64,871 फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है। मंत्रालय यह नहीं बताता कि इनमें कितने आम नागरिक थे और कितने लड़ाके। बताया जाता है कि मारे गए लोगों में लगभग आधे महिलाएं और बच्चे थे। गाजा के बड़े शहरों का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से तबाह हो चुका है और करीब 90 प्रतिशत यानी लगभग 20 लाख फलस्तीनियों को बेघर होना पड़ा है।
एक अलग रिपोर्ट में गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटों में दो वयस्क फलस्तीनियों की मौत कुपोषण और भूख के कारण हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि जून के अंत से अब तक कुपोषण के कारण मरने वालों की संख्या 277 हो गई है, जबकि अक्तूबर 2023 से अब तक 145 बच्चे भी इसी कारण मारे जा चुके हैं।
गाजा में मानवीय मदद की निगरानी करने वाले इस्राइली रक्षा निकाय ने कहा कि पिछले सप्ताह में 1,200 से अधिक ट्रक गाजा में सहायता सामग्री लेकर पहुंचे हैं, जिनमें ज्यादातर खाद्य सामग्री थी। हालांकि, राहत कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मदद गाजा की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत कम है। अक्सर ये सामग्री गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही लूट ली जाती है। इस्राइली और अंतरराष्ट्रीय दलों ने गाजा तक आने वाली तीन में से एक जल आपूर्ति लाइन की मरम्मत पूरी कर ली है। इससे अब गाजा को प्रतिदिन 14,000 घन मीटर पानी मिलने लगा है।
23 महीनों से जारी युद्ध के कारण गाजा में जल संकट लगातार बढ़ता गया है और अब वहां के लोग भीषण गर्मी में दूसरी बार गर्मियों का सामना कर रहे हैं। लोग पानी के ट्रकों का पीछा करते हैं, जो हर दो-तीन दिन में आते हैं। वे बोतल, डिब्बे और बाल्टियां भरकर अपने घर ले जाते हैं।
यह युद्ध सात अक्तूबर 2023 को शुरू हुआ था, जब हमास के लड़ाके दक्षिणी इस्राइल में घुस आए थे और 1,200 लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे। उन्होंने 251 लोगों को भी बंधक बना लिया था, जिनमें अब भी 48 गाजा में हैं और इस्राइल को लगता है कि उनमें से 20 अभी जीवित हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस हमले के जवाब में इस्राइल की तरफ से शुरू किए गए अभियान में अब तक 64,871 फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है। मंत्रालय यह नहीं बताता कि इनमें कितने आम नागरिक थे और कितने लड़ाके। बताया जाता है कि मारे गए लोगों में लगभग आधे महिलाएं और बच्चे थे। गाजा के बड़े शहरों का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से तबाह हो चुका है और करीब 90 प्रतिशत यानी लगभग 20 लाख फलस्तीनियों को बेघर होना पड़ा है।