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Saudi Arabia: 'जब तक इस्लाम है, जिहाद रहेगा', कहने वाले शेख सालेह बिन फौजान बने सऊदी अरब के नए ग्रैंड मुफ्ती

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रियाद Published by: नितिन गौतम Updated Thu, 23 Oct 2025 11:24 AM IST
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सार

ह्यूमन राइट्स वॉच ने 2017 में बताया था कि जब शेख सालेह से पूछा गया कि क्या सुन्नी मुसलमानों को शियाओं को अपना भाई मानना चाहिए, तो उन्होंने चौंकाने वाला जवाब देते हुए कहा था कि 'वे शैतान के भाई हैं।'

Saudi Arabia appoints Sheikh Saleh bin Fawzan al-Fawzan as kingdom new grand mufti
सऊदी अरब - फोटो : फ्रीपिक
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विस्तार
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सऊदी अरब सरकार ने बुधवार देर रात अति-रूढ़िवादी इस्लामिक विद्वान 'शेख सालेह बिन फौजान अल फौजान' को देश का नया ग्रैंड मुफ्ती नियुक्ति करने का एलान किया। 90 वर्षीय शेख सालेह बिन फौजान की नियुक्ति सऊदी के शाह सलमान के बेटे और युवराज मोहम्मद बिन सलमान की सिफारिश पर की गई है। 
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शेख सालेह के बयानों की पश्चिम मीडिया में हुई है आलोचना
शेख सालेह का जन्म कथित तौर पर 28 सितंबर, 1935 को सऊदी अरब के अल-कासिम प्रांत में हुआ था। अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने एक स्थानीय इमाम से कुरान की शिक्षा ली। उन्होंने नूर अला अल-दरब या 'रास्ता रोशन करो' रेडियो शो को लंबे समय तक संबोधित किया। साथ ही कई किताबें भी लिखीं। उनके फतवे या धार्मिक आदेश सोशल मीडिया पर भी साझा किए गए हैं। शेख सालेह को अपने कुछ बयानों के लिए पश्चिमी मीडिया में आलोचना का सामना भी करना पड़ा है। 
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शियाओं के लेकर दिए हैं विवादित बयान
सऊदी अरब के ग्रैंड मुफ्ती सुन्नी मुसलमानों की दुनिया के शीर्ष इस्लामी मौलवियों में से एक हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच ने 2017 में बताया था कि जब शेख सालेह से पूछा गया कि क्या सुन्नी मुसलमानों को शियाओं को अपना भाई मानना चाहिए, तो उन्होंने चौंकाने वाला जवाब देते हुए कहा था कि 'वे शैतान के भाई हैं।' उन्होंने कहा कि 'शिया, ईश्वर उनके पैगंबर और मुसलमानों के बारे में झूठ बोलते हैं। सऊदी अरब और ईरान के बीच राजनीतिक तनाव का इतिहास है और सऊदी अरब के धार्मिक नेताओं के द्वारा शियाओं के बारे में ऐसी टिप्पणियां आम हैं। साल 2003 में, शेख सालेह ने अपने एक बयान में कहा था कि 'गुलामी इस्लाम का एक हिस्सा है। गुलामी, जिहाद का हिस्सा है, और जब तक इस्लाम है, जिहाद रहेगा।'

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शेख मोहम्मद इब्न अब्दुल वहाब के वंशज
शेख अब्दुलअजीज बिन अब्दुल्ला अल-शेख के सितंबर में निधन के बाद शेख सालेह ने यह पद संभाला है। अल-शेख परिवार, जो शेख मोहम्मद इब्न अब्दुल-वहाब के वंशज हैं, लंबे समय से सऊदी अरब के ग्रैंड मुफ़्ती के रूप में सेवा देते आ रहे हैं। 18वीं शताब्दी में शेख मोहम्मद इब्न अब्दुल वहाब की इस्लाम की अति-रूढ़िवादी शिक्षाओं, जिन्हें उनके नाम के चलते 'वहाबवाद' कहा जाता है, का दशकों तक सऊदी अरब पर प्रभाव रहा है। खासकर 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद, सऊदी अरब में भी इस्लाम अधिक रूढ़िवादी हो गया। हालांकि अब मोहम्मद बिन सलमान के शासनकाल में सऊदी अरब ने सामाजिक उदारीकरण किया है, जिसमें महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति दी गई है और सिनेमाघर खोले हैं। सऊदी अरब की सरकार अब अपनी अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता कम करने का प्रयास कर रही है और पर्यटन को बढ़ावा दे रही है।  

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