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Pakistan: दक्षिण एशिया में नापाक मंसूबे तो नहीं पाल रहा है पाकिस्तान, मुनीर को क्यों दी गई संविधान में ताकत?

Shashidhar Pathak शशिधर पाठक
Updated Fri, 28 Nov 2025 11:58 AM IST
सार

पूर्व विदेश सचिव शशांक का मानना है कि दक्षिण एशिया क्या, तमाम क्षेत्रों में भारत के लिए चुनौतियां कम नहीं हो रही हैं। पाकिस्तान में भारत के राजदूत रहे अजय बिसारिया भी पाकिस्तान में चल रहे घटनाक्रम को लेकर संवेदनशील हैं। वायुसेना के पूर्व एयर वाइस मार्शल एनबी सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान में चुनी गई सरकार को कई बार सैन्य जनरलों ने पलटा है।

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आसिम मुनीर - फोटो : एक्स/डीजी आईएसपीआर
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विस्तार
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मौजूदा समय में दक्षिण एशिया में सवाल पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की लोकप्रियता से निपटने का नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि फील्ड मार्शल जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल तमगा देने के बाद आखिर पाकिस्तान की मंशा क्या है? क्या वह कोई नई आफत मोल लेने का सपना देख रहा है। यह सवाल भारतीय रणनीतिकारों को सोच में डाल रहा है।
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पूर्व विदेश सचिव शशांक का मानना है कि दक्षिण एशिया क्या, तमाम क्षेत्रों में भारत के लिए चुनौतियां कम नहीं हो रही हैं। पाकिस्तान में भारत के राजदूत रहे अजय बिसारिया भी पाकिस्तान में चल रहे घटनाक्रम को लेकर संवेदनशील हैं। वायुसेना के पूर्व एयर वाइस मार्शल एनबी सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान में चुनी गई सरकार को कई बार सैन्य जनरलों ने पलटा है। इस सच्चाई का अनुभव करने के बाद भी पाकिस्तान ने आर्टिकल 234 में संशोधन करके फील्ड मार्शल जनरल मुनीर को बड़ी संवैधानिक ताकत दी है। एनबी सिंह कहते हैं कि आपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया था, लेकिन आर्टिकल 234 के संशोधन ने उन्हें असीमित पावर दे दिया है।
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जनरल मुनीर को इतना बड़ा तमगा देने के मायने क्या हैं?
विदेश मामले के वरिष्ठ पत्रिकार रंजीत कुमार कहते हैं कि जनरल मुनीर की पाकिस्तान की छवि कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने की है। उनके समय में लश्कर-ए-तयैबा और जैशे-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के मजबूत होने की संभावना है। ऐसा माना जा रहा है कि जनरल मुनीर के इशारे पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बांग्लादेश में भी अपने आपरेशन को तेज कर दिया है। बताते चलें कि पाकिस्तान दो बड़ी चुनौती झेल रहा है। पहली तो यह कि अफगानिस्तान की सरकार से उसके रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। अफगानिस्तान ने इसके सामानांतर भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। दूसरी तरफ बलूचिस्तान के लोगों ने बड़ा मोर्चा खोल रखा है। इसके अलावा पाकिस्तान की आंतरिक चुनौतियां भी लगातार बढ़ रही हैं। जनरल आसिफ मुनीर ही वह शख्स हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सत्ता में लौटने में बड़ी बाधा खड़ी की थी। सेना के समर्थन से ही प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को सरकार बनाने में सफलता मिल पाई। इमरान के गिरफ्तार होने, जेल जाने के पीछे भी जनरल मुनीर की बड़ी भूमिका थी। वह अब भी पाकिस्तान की सरकार के संकट मोचक बनकर खड़े हैं।

पाकिस्तान के जनरल खेल लेते हैं कूटनीति का खेल
चाहे जनरल जिया उल-हक रहे हों या जनरल परवेज मुशर्रफ, पाकिस्तान के जनरलों को सत्ता का खेल खेलना आता है। पूर्व विदेश सचिव शशांक कहते हैं कि विदेश से पढ़ और ट्रेनिंग लेकर आए पाकिस्तान के हुक्मरान इस मामले में काफी दक्ष होते हैं। ‘आपरेशन सिंदूर’ के दौरान भी इसकी बानगी दिखाई दी। आपरेशन सिंदूर में मुंह की खाने वाले पाकिस्तान ने दुनिया में रोनी सूरत बताकर इसमें भारतको लेकर खूब ढोल पीटा। पर्दे के पीछे से पाकिस्तान, तुर्किए की मदद लेने में सफल रहा। इतना ही नहीं अमेरिका से काफी दूर जा चुके पाकिस्तान ट्रंप की मध्यस्थता की अपील कर उसके साथ जाने में सफल रहा। जनरल  आसिम मुनीर ने इसके बहाने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबल पुरस्कार का हकदार होने का सपना दिखाया और राष्ट्रपति के साथ व्हाइट हाउस में लंच करने में सफल रहे। इसके बाद से पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते में मधुरता के संकेत भी आने लगे। पाकिस्तान अब अपने जनरल को इसी का सम्मान पर सम्मान दे रहा है।    
 

आखिर खतरे की घंटी क्या है?
भारत हमेशा से शांति और स्थायित्व से पूर्ण पाकिस्तान का पक्षधर रहा है, लेकिन पाकिस्तान की मंशा हमेशा इसके विपरीत रही है। बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अमेरिका की निगाह टिकी हैं। चीन पहले से ही घात लगाए बैठा है। पाकिस्तान, चीन और अमेरिका फिलहाल खेल करने में जुटे हैं। चीन-अमेरिका दोनों के आंख में इस समय उभरता भारत खटक रहा है। पाकिस्तान पहले अमेरिका के लिए प्रॉक्सी था। चीन के लिए भी वह प्रॉक्सी की भूमिका में है। दोनों देश बांग्लादेश और नेपाल में निगाह गड़ाए हैं। ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि चीन की मंशा अनुरुप वह भारत के लिए तमाम तरह की चुनौतियां खड़ी कर सकता है। इतना ही अफगानिस्तान के साथ भी पाकिस्तान के रिश्ते में अजीब मोड़ आ सकता है और दक्षिण एशिया में अस्थिरता बढ़ सकती है।
 
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