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Sri Lanka: श्रीलंका में प्रांतीय चुनाव में अभी और देर, परिसीमन रिपोर्ट को संसद से मंजूरी के बाद ही होगी तैयारी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो।
Published by: निर्मल कांत
Updated Sun, 14 Sep 2025 06:25 PM IST
सार
Sri Lanka: श्रीलंका की नौ प्रांतीय परिषदों के लिए चुनाव तब तक नहीं होंगे, जब तक संसद 2018 की परिसीमन रिपोर्ट को मंजूरी नहीं देती। यह बात चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने तब कही, जब यूएनएचआरसी ने द्वीप राष्ट्र से इन चुनावों को जल्द कराने की अपील की है।
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श्रीलंका का राष्ट्रीय ध्वज
- फोटो : फ्रीपिक
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विस्तार
श्रीलंका के नौ प्रांतों की परिषदों के लंबे समय से टलते आ रहे चुनाव जल्द होने की उम्मीद नहीं हैं। रविवार को श्रीलंका के चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि ये चुनाव तभी कराए जा सकते हैं, जब संसद 2018 की परिसीमन रिपोर्ट को अपनाए। पिछले हफ्ते जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक के दौरान इन चुनावों को जल्द कराने की अपील की गई थी।
चुनाव आयोग के महानिदेशक समन श्री रत्नायके ने रविवार को मीडिया से कहा कि जब तक संसद 2018 की परिसीमन रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करती, तब तक चुनाव नहीं कराए जा सकते। उन्होंने कहा कि जैसे ही संसद जरूरी बदलावों को मंजूरी देगी, आयोग चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर देगा। चुनाव के लिए बजट में पहले से धन भी सुरक्षित रखा गया है।
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2017 में एक नया कानून लाया गया था, जिसमें आनुपातिक प्रतिनिधित्व और फर्स्ट पास्ट द पोस्ट दोनों प्रणाली अपनाई गई। लेकिन उस कानून के तहत परिसीमन समिति की रिपोर्ट को कभी संसद में पेश नहीं किया गया। जब तक इस रिपोर्ट को संसद से मंजूरी नहीं मिलती, तब तक चुनाव नहीं हो सके। श्रीलंका में1988 से अब तक प्रांतीय चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत होते आए हैं। लेकिन अब कई राजनीतिक दल बिना परिसीमन के पुराने तरीके में लौटने की मांग कर रहे हैं।
श्रीलंका में प्रांतीय चुनाव पर यूएनएचआरसी में क्या बोला भारत?
यूएनएचआरसी की बैठक में भारत ने भी अपना पक्ष दोहराया और कहा कि श्रीलंका को जल्द प्रांतीय चुनाव कराने चाहिए। भारत की प्रतिनिधि अनुपमा सिंह ने जिनेवा में कहा, भारत लगातार यह कहता आया है कि श्रीलंका को अपने संविधान को पूरी तरह और प्रभावी तरीके से लागू करना चाहिए और प्रांत की परिषदों के चुनाव जल्द से जल्द कराने चाहिए और राजनीतिक शक्ति का अर्थपूर्ण विकेंद्रीकरण किया जाना चाहिए।
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इसके जवाब में श्रीलंका के विदेश मंत्री विजीथा हेराथ ने कहा, प्रांतीय परिषदों के चुनाव स्वतंत्र चुनाव आयोग द्वारा तब कराए जाएंगे, जब परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। यूएनएचआरसी में श्रीलंका पर आने वाले एक प्रस्ताव के मसौदे में भी सरकार से यह उम्मीद की गई है कि चुनाव जल्द कराए जाएं, ताकि यह दिखाया जा सके कि वह राजनीतिक सत्ता के विकेंद्रीकरण के प्रति प्रतिबद्ध है।
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चुनाव आयोग के महानिदेशक समन श्री रत्नायके ने रविवार को मीडिया से कहा कि जब तक संसद 2018 की परिसीमन रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करती, तब तक चुनाव नहीं कराए जा सकते। उन्होंने कहा कि जैसे ही संसद जरूरी बदलावों को मंजूरी देगी, आयोग चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर देगा। चुनाव के लिए बजट में पहले से धन भी सुरक्षित रखा गया है।
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2017 में एक नया कानून लाया गया था, जिसमें आनुपातिक प्रतिनिधित्व और फर्स्ट पास्ट द पोस्ट दोनों प्रणाली अपनाई गई। लेकिन उस कानून के तहत परिसीमन समिति की रिपोर्ट को कभी संसद में पेश नहीं किया गया। जब तक इस रिपोर्ट को संसद से मंजूरी नहीं मिलती, तब तक चुनाव नहीं हो सके। श्रीलंका में1988 से अब तक प्रांतीय चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत होते आए हैं। लेकिन अब कई राजनीतिक दल बिना परिसीमन के पुराने तरीके में लौटने की मांग कर रहे हैं।
श्रीलंका में प्रांतीय चुनाव पर यूएनएचआरसी में क्या बोला भारत?
यूएनएचआरसी की बैठक में भारत ने भी अपना पक्ष दोहराया और कहा कि श्रीलंका को जल्द प्रांतीय चुनाव कराने चाहिए। भारत की प्रतिनिधि अनुपमा सिंह ने जिनेवा में कहा, भारत लगातार यह कहता आया है कि श्रीलंका को अपने संविधान को पूरी तरह और प्रभावी तरीके से लागू करना चाहिए और प्रांत की परिषदों के चुनाव जल्द से जल्द कराने चाहिए और राजनीतिक शक्ति का अर्थपूर्ण विकेंद्रीकरण किया जाना चाहिए।
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इसके जवाब में श्रीलंका के विदेश मंत्री विजीथा हेराथ ने कहा, प्रांतीय परिषदों के चुनाव स्वतंत्र चुनाव आयोग द्वारा तब कराए जाएंगे, जब परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। यूएनएचआरसी में श्रीलंका पर आने वाले एक प्रस्ताव के मसौदे में भी सरकार से यह उम्मीद की गई है कि चुनाव जल्द कराए जाएं, ताकि यह दिखाया जा सके कि वह राजनीतिक सत्ता के विकेंद्रीकरण के प्रति प्रतिबद्ध है।