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Saudi-PAK Ties: इस समझौते से मजबूत हुए सऊदी-पाकिस्तान के रिश्ते, ख्वाजा आसिफ बोले- डील में परमाणु शामिल नहीं
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sat, 27 Sep 2025 07:00 PM IST
सार
पाकिस्तान और सऊदी अरब ने रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर कर अपने रिश्तों को औपचारिक रूप दिया है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि यह अब “लेन-देन आधारित” नहीं रहा। उन्होंने परमाणु हथियारों को इस समझौते से बाहर बताया। आसिफ ने कहा कि दोनों देशों का सैन्य सहयोग पांच दशक पुराना है और इसे औपचारिक रूप दिया गया है।
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शहबाज शरीफ और खालिद बिन सलमान
- फोटो : एक्स/खालिद बिन सलमान
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विस्तार
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि हाल ही में सऊदी अरब के साथ हुआ स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट दोनों देशों के रिश्तों को औपचारिक रूप दे चुका है। उन्होंने माना कि अब तक यह संबंध “कुछ हद तक लेन-देन आधारित” थे, लेकिन अब इसे नई दिशा दी गई है। यह समझौता पिछले हफ्ते रियाद में हुआ था, जिसमें यह तय हुआ कि किसी भी देश पर हमला दोनों पर आक्रमण माना जाएगा।
ख्वाजा आसिफ ने उस बयान से भी पल्ला झाड़ा, जिसमें संकेत दिया गया था कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमता सऊदी अरब के लिए उपलब्ध हो सकती है। उन्होंने साफ किया कि इस रक्षा समझौते में परमाणु हथियार “रेडार पर नहीं हैं” और इसे इस दिशा में नहीं देखा जाना चाहिए। पत्रकार मेहदी हसन से बातचीत में उन्होंने कहा कि “यह समझौता लंबे समय से बातचीत में था, किसी हालिया घटना की प्रतिक्रिया नहीं।”
कतर और इस्राइल के सवाल पर बचाव
जब पत्रकार ने पूछा कि क्या यह समझौता इस्राइल द्वारा कतर पर बमबारी की प्रतिक्रिया है, तो आसिफ ने इनकार करते हुए कहा कि “यह पहले से तय था, हां इसकी प्रक्रिया शायद तेज हुई हो।” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान और सऊदी अरब का सैन्य सहयोग पांच-छह दशकों पुराना है। एक समय वहां 4-5 हजार पाकिस्तानी सैनिक तैनात थे और आज भी वहां उनकी उपस्थिति है।
ये भी पढ़ें- नाटो देश डेनमार्क में फिर दिखे रहस्यमयी ड्रोन, बढ़ाई गई सैन्य ठिकानों पर सुरक्षा; रूस पर गहराया शक
‘न्यूक्लियर अम्ब्रेला’ पर टाला जवाब
मेहदी हसन ने सवाल किया कि क्या इस समझौते का मतलब है कि सऊदी अरब पाकिस्तान की “न्यूक्लियर अम्ब्रेला” के तहत सुरक्षित है? इस पर आसिफ ने कहा कि यह एक रक्षा समझौता है और ऐसे समझौते सार्वजनिक रूप से विस्तार से नहीं बताए जाते। उन्होंने पत्रकार बॉब वुडवर्ड की उस किताब का भी खंडन किया, जिसमें दावा था कि सऊदी क्राउन प्रिंस ने कहा था कि वह पाकिस्तान से परमाणु बम खरीद सकते हैं। आसिफ ने इसे “सिर्फ सनसनीखेज बयान” बताया।
पाकिस्तान की सफाई
ख्वाजा आसिफ ने दोहराया कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों के व्यापार में नहीं है। हम बहुत जिम्मेदार लोग हैं और ऐसे मामलों पर हमारी नीति स्पष्ट है।पाकिस्तान-सऊदी संयुक्त बयान में भी कहा गया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच करीब आठ दशकों से चले आ रहे ऐतिहासिक साझेदारी को आगे बढ़ाता है और यह भाईचारे, इस्लामी एकजुटता और साझा सामरिक हितों पर आधारित है।
ये भी पढ़ें- पहलगाम आतंकी हमले पर यूएन के मंच से पाकिस्तान का अनर्गल प्रलाप; पीएम शहबाज बोले- शुक्रिया ट्रंप...
गौरतलब है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब ने इससे पहले 1982 में भी सुरक्षा सहयोग समझौता किया था। उस समय पाकिस्तान ने सऊदी अरब को सैन्य प्रशिक्षण, सलाह और सैनिक तैनाती जैसी मदद दी थी। अब हुए समझौते को उस रिश्ते का विस्तार माना जा रहा है। हालांकि परमाणु हथियारों की चर्चा पर पाकिस्तान ने फिर से चुप्पी साध ली है, जिससे अंतरराष्ट्रीय हलकों में सवाल उठ रहे हैं।
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ख्वाजा आसिफ ने उस बयान से भी पल्ला झाड़ा, जिसमें संकेत दिया गया था कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमता सऊदी अरब के लिए उपलब्ध हो सकती है। उन्होंने साफ किया कि इस रक्षा समझौते में परमाणु हथियार “रेडार पर नहीं हैं” और इसे इस दिशा में नहीं देखा जाना चाहिए। पत्रकार मेहदी हसन से बातचीत में उन्होंने कहा कि “यह समझौता लंबे समय से बातचीत में था, किसी हालिया घटना की प्रतिक्रिया नहीं।”
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कतर और इस्राइल के सवाल पर बचाव
जब पत्रकार ने पूछा कि क्या यह समझौता इस्राइल द्वारा कतर पर बमबारी की प्रतिक्रिया है, तो आसिफ ने इनकार करते हुए कहा कि “यह पहले से तय था, हां इसकी प्रक्रिया शायद तेज हुई हो।” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान और सऊदी अरब का सैन्य सहयोग पांच-छह दशकों पुराना है। एक समय वहां 4-5 हजार पाकिस्तानी सैनिक तैनात थे और आज भी वहां उनकी उपस्थिति है।
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‘न्यूक्लियर अम्ब्रेला’ पर टाला जवाब
मेहदी हसन ने सवाल किया कि क्या इस समझौते का मतलब है कि सऊदी अरब पाकिस्तान की “न्यूक्लियर अम्ब्रेला” के तहत सुरक्षित है? इस पर आसिफ ने कहा कि यह एक रक्षा समझौता है और ऐसे समझौते सार्वजनिक रूप से विस्तार से नहीं बताए जाते। उन्होंने पत्रकार बॉब वुडवर्ड की उस किताब का भी खंडन किया, जिसमें दावा था कि सऊदी क्राउन प्रिंस ने कहा था कि वह पाकिस्तान से परमाणु बम खरीद सकते हैं। आसिफ ने इसे “सिर्फ सनसनीखेज बयान” बताया।
पाकिस्तान की सफाई
ख्वाजा आसिफ ने दोहराया कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों के व्यापार में नहीं है। हम बहुत जिम्मेदार लोग हैं और ऐसे मामलों पर हमारी नीति स्पष्ट है।पाकिस्तान-सऊदी संयुक्त बयान में भी कहा गया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच करीब आठ दशकों से चले आ रहे ऐतिहासिक साझेदारी को आगे बढ़ाता है और यह भाईचारे, इस्लामी एकजुटता और साझा सामरिक हितों पर आधारित है।
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गौरतलब है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब ने इससे पहले 1982 में भी सुरक्षा सहयोग समझौता किया था। उस समय पाकिस्तान ने सऊदी अरब को सैन्य प्रशिक्षण, सलाह और सैनिक तैनाती जैसी मदद दी थी। अब हुए समझौते को उस रिश्ते का विस्तार माना जा रहा है। हालांकि परमाणु हथियारों की चर्चा पर पाकिस्तान ने फिर से चुप्पी साध ली है, जिससे अंतरराष्ट्रीय हलकों में सवाल उठ रहे हैं।
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