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Sudan Crisis: अफ्रीकी देश में खाने-दवाओं की किल्लत; ट्रंप बोले- भीषण अत्याचार दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 20 Nov 2025 08:57 AM IST
सार
राष्ट्रपति ट्रंप ने हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा है कि हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि यह दुनिया का 'सबसे बड़ा मानवीय संकट' बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार राजधानी में एक बच्चों के अस्पताल पर कब्जे के दौरान 460 से अधिक मरीजों और मेडिकल स्टाफ की हत्याकर दी गई। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर युद्ध अपराधों के आरोप लगा रहे हैं।
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डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति
- फोटो : ANI
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विस्तार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि सूडान में 'भयानक अत्याचार' हो रहे हैं और हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि यह दुनिया का 'सबसे बड़ा मानवीय संकट' बन गया है। ट्रंप ने यह बात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक बयान में कही। ट्रंप ने लिखा, 'सूडान में जबरदस्त अत्याचार हो रहे हैं। यह धरती की सबसे हिंसक जगह बन गया है और सबसे बड़ा मानवीय संकट है। वहां खाने से लेकर डॉक्टरों तक की भारी कमी है।' उन्होंने बताया कि अरब दुनिया के कई नेता, खासकर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस, जो हाल ही में अमेरिका से लौटे हैं, ने उनसे सूडान में तुरंत हिंसा रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है।
यह भी पढ़ें - US: 'कुशल विदेशी लोगों का अमेरिका आना जरूरी, ताकि प्रशिक्षण दे सकें...', आव्रजन नीति पर बोले राष्ट्रपति ट्रंप
'सूडान एक महान सभ्यता था, इसे फिर सुधारा जा सकता है'
ट्रंप ने कहा कि सूडान कभी 'महान सभ्यता और संस्कृति' वाला देश था, जो अब बुरी हालत में पहुंच गया है। लेकिन उनके अनुसार, अगर क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय देश साथ आएं, तो हालात सुधारे जा सकते हैं। उन्होंने कहा, 'हम सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और अन्य मध्य-पूर्वी देशों के साथ मिलकर इस हिंसा को रोकने और सूडान को स्थिर करने के लिए काम करेंगे।' ट्रंप ने दुनिया से भी इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की और संदेश का अंत में भगवान से दुनिया के कल्याण की कामना भी की।
दो साल से जारी जंग, पहली बार नरमी के संकेत
सूडान में पिछले दो साल से रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) और सूडानी सेना (एसएएफ) के बीच खूनी संघर्ष जारी है। एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, आरएसएफ ने अमेरिका की अगुवाई वाले मध्यस्थ समूह के संघर्षविराम प्रस्ताव को मानने पर सहमति जताई है। आरएसएफ ने कहा कि वह 'मानवीय संघर्ष-विराम' को मंजूर करती है ताकि नागरिकों की सुरक्षा बढ़ाई जा सके और युद्ध के भीषण मानवीय असर को कम किया जा सके। अमेरिका के वरिष्ठ सलाहकार मस्साद बुलोस ने भी कहा है कि दोनों पक्ष 'सिद्धांततः' युद्ध रोकने पर सहमत हो गए हैं।
यह भी पढ़ें - Trump-Mamdani Meeting: 21 नवंबर को ममदानी से मिलेंगे ट्रंप, जुबानी वार-पटलवार के बीच पहली बार होगा आमना-सामना
अस्पताल पर कब्जा और 460 से ज्यादा मौतें
सितंबर में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने अपनी रिपोर्ट में दोनों पक्षों पर, निरपराध नागरिकों पर हमले, बिना सुनवाई सजा, हत्याए, यातना और यौन हिंसा जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में कहा गया कि यौन हिंसा के मामलों का 'भारी मात्रा में' सबूत मौजूद हैं, जिनमें आरएसएफ और एसएएफ दोनों के लड़ाके शामिल पाए गए।
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'सूडान एक महान सभ्यता था, इसे फिर सुधारा जा सकता है'
ट्रंप ने कहा कि सूडान कभी 'महान सभ्यता और संस्कृति' वाला देश था, जो अब बुरी हालत में पहुंच गया है। लेकिन उनके अनुसार, अगर क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय देश साथ आएं, तो हालात सुधारे जा सकते हैं। उन्होंने कहा, 'हम सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और अन्य मध्य-पूर्वी देशों के साथ मिलकर इस हिंसा को रोकने और सूडान को स्थिर करने के लिए काम करेंगे।' ट्रंप ने दुनिया से भी इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की और संदेश का अंत में भगवान से दुनिया के कल्याण की कामना भी की।
दो साल से जारी जंग, पहली बार नरमी के संकेत
सूडान में पिछले दो साल से रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) और सूडानी सेना (एसएएफ) के बीच खूनी संघर्ष जारी है। एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, आरएसएफ ने अमेरिका की अगुवाई वाले मध्यस्थ समूह के संघर्षविराम प्रस्ताव को मानने पर सहमति जताई है। आरएसएफ ने कहा कि वह 'मानवीय संघर्ष-विराम' को मंजूर करती है ताकि नागरिकों की सुरक्षा बढ़ाई जा सके और युद्ध के भीषण मानवीय असर को कम किया जा सके। अमेरिका के वरिष्ठ सलाहकार मस्साद बुलोस ने भी कहा है कि दोनों पक्ष 'सिद्धांततः' युद्ध रोकने पर सहमत हो गए हैं।
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अस्पताल पर कब्जा और 460 से ज्यादा मौतें
सितंबर में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने अपनी रिपोर्ट में दोनों पक्षों पर, निरपराध नागरिकों पर हमले, बिना सुनवाई सजा, हत्याए, यातना और यौन हिंसा जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में कहा गया कि यौन हिंसा के मामलों का 'भारी मात्रा में' सबूत मौजूद हैं, जिनमें आरएसएफ और एसएएफ दोनों के लड़ाके शामिल पाए गए।