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Defence: भारत की सैन्य शक्ति में होगा इजाफा, रूस देगा पांचवी पीढ़ी का स्टील्थ विमान तो अमेरिका देगा ये हथियार
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 20 Nov 2025 07:36 AM IST
सार
India-US Defence Pact: भारत और अमेरिका के बीच एक अहम रक्षा समझौता हुआ है, जिसके तहत भारत को 100 'जैवेलिन' एंटी-टैंक मिसाइलें, 25 हल्के कमांड लॉन्च यूनिट, और 216 'एक्सकैलिबर' प्रिसिजन आर्टिलरी राउंड मिलेंगे। अमेरिकी कांग्रेस से मुहर लगने बाद इन हथियारों के मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
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भारत-अमेरिका रक्षा समझौता
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
अमेरिका ने भारत के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार पैकेज को हरी झंडी दे दी है। इस समझौते के तहत भारत को 100 'जैवेलिन' एंटी-टैंक मिसाइलें, 25 हल्के कमांड लॉन्च यूनिट, और 216 'एक्सकैलिबर' प्रिसिजन आर्टिलरी राउंड मिलने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (डीएससीए) ने इस प्रस्तावित बिक्री की औपचारिक जानकारी अपने कांग्रेस को भेज दी है। यह प्रक्रिया किसी भी बड़े अंतरराष्ट्रीय हथियार सौदे का अनिवार्य हिस्सा होती है।
यह भी पढ़ें - सीजफायर के बाद भी नहीं मान रहा इस्राइल: IDF ने 40 दिन में 390+ हमले किए; 25 और लोगों की मौत, 70 से अधिक घायल
भारत को क्या-क्या मिलेगा?
इस सौदे में 100 एफजीएम-148 जैवेलिन मिसाइलें, 25 हल्के कमांड लॉन्च यूनिट, 216 एक्सकैलिबर प्रिसिजन आर्टिलरी राउंड शामिल है। इनके संचालन, रखरखाव, सुरक्षा निरीक्षण और सैनिकों के प्रशिक्षण से जुड़े सभी सपोर्ट पैकेज भी शामिल है।
अमेरिका ने क्या कहा?
डीएससीए ने साफ कहा कि यह सौदा अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा। इसके अलावा यह भारत की क्षमता को भी बढ़ाएगा, जिससे वह वर्तमान और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर सके, अपनी सीमाओं की रक्षा को मजबूत कर सके और क्षेत्रीय खतरों को प्रभावी ढंग से रोक सके। एजेंसी का यह भी कहना है कि भारत को इन आधुनिक हथियारों को अपनाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
क्षेत्रीय संतुलन पर असर?
अमेरिका ने आश्वस्त किया है कि ये हथियार बिक्री दक्षिण एशिया के सैन्य संतुलन को नहीं बदलती। यह भी साफ किया गया कि इस सौदे में अभी कोई ऑफसेट (प्रतिपूर्ति) व्यवस्था नहीं है; यदि ऐसा कुछ होगा तो भारत और निर्माता कंपनियों के बीच अलग से तय होगा।
जैवेलिन मिसाइल क्यों खास है?
जैवेलिन मिसाइल को दुनिया की सबसे उन्नत कंधे से दागी जाने वाली एंटी-टैंक मिसाइल माना जाता है। इसकी खासियत की बात की जाए तो...
यह भी पढ़ें - G20 से पहले अलर्ट पर दक्षिण अफ्रीका: विरोध की तैयारी तेज, महिला सुरक्षा; जलवायु व बेरोजगारी पर उठ रही आवाजें
क्या करता है एक्सकैलिबर आर्टिलरी राउंड?
एक्सकैलिबर राउंड जीपीएस-गाइडेड होते हैं, यानी तोपों से दागे जाने पर यह अपने लक्ष्य पर बेहद सटीक प्रहार करते हैं और इससे अनावश्यक क्षति कम होती है। भारत पहले भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर चुका है। अब अमेरिकी कांग्रेस के पास इस प्रस्ताव पर आपत्ति या सवाल उठाने के लिए एक समीक्षा अवधि है। अगर कोई विरोध नहीं हुआ, तो यह सौदा आगे बढ़ेगा और भारत को हथियारों की डिलीवरी शुरू हो सकेगी।
रूस ने की स्टील्थ लड़ाकू विमान देने की पेशकश
रूस ने भारत को सुखोई-57 लड़ाकू विमान की पेशकश की है। इस पेशकश में भारत में पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 स्टील्थ लड़ाकू विमान के उत्पादन का प्रस्ताव दिया गया है। साथ ही रूस विमान के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए भी तैयार है। रूस की ओर से यह प्रस्ताव राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले आया है। माना जा रहा है कि भारत और रूस के बीच बड़ा रक्षा सौदा हो सकता है।
यह भी पढ़ें - Su-57: भारत को पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 स्टील्थ विमान देगा रूस, तकनीकी हस्तांतरण को तैयार
रोस्तेक के सीईओ सेर्गेई चेमगोव ने कहा- प्रस्ताव के तहत सुखोई-57 का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। यह भी प्रस्ताव है कि यदि भारत सहमत हो, तो सुखोई-57 का दो-सीटर संस्करण भी दोनों देशों के बीच मिलकर विकसित किया जा सकता है।
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भारत को क्या-क्या मिलेगा?
इस सौदे में 100 एफजीएम-148 जैवेलिन मिसाइलें, 25 हल्के कमांड लॉन्च यूनिट, 216 एक्सकैलिबर प्रिसिजन आर्टिलरी राउंड शामिल है। इनके संचालन, रखरखाव, सुरक्षा निरीक्षण और सैनिकों के प्रशिक्षण से जुड़े सभी सपोर्ट पैकेज भी शामिल है।
अमेरिका ने क्या कहा?
डीएससीए ने साफ कहा कि यह सौदा अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा। इसके अलावा यह भारत की क्षमता को भी बढ़ाएगा, जिससे वह वर्तमान और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर सके, अपनी सीमाओं की रक्षा को मजबूत कर सके और क्षेत्रीय खतरों को प्रभावी ढंग से रोक सके। एजेंसी का यह भी कहना है कि भारत को इन आधुनिक हथियारों को अपनाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
The State Department has made a determination approving a possible Foreign Military Sale to India of Excalibur Projectiles and related equipment for an estimated cost of $47.1 million. The Defence Security Cooperation Agency delivered the required certification notifying… pic.twitter.com/EVCgfudI5o
— ANI (@ANI) November 20, 2025
क्षेत्रीय संतुलन पर असर?
अमेरिका ने आश्वस्त किया है कि ये हथियार बिक्री दक्षिण एशिया के सैन्य संतुलन को नहीं बदलती। यह भी साफ किया गया कि इस सौदे में अभी कोई ऑफसेट (प्रतिपूर्ति) व्यवस्था नहीं है; यदि ऐसा कुछ होगा तो भारत और निर्माता कंपनियों के बीच अलग से तय होगा।
जैवेलिन मिसाइल क्यों खास है?
जैवेलिन मिसाइल को दुनिया की सबसे उन्नत कंधे से दागी जाने वाली एंटी-टैंक मिसाइल माना जाता है। इसकी खासियत की बात की जाए तो...
- टॉप-अटैक मोड- मिसाइल ऊपर से हमला करती है, जहां टैंक का कवच सबसे कमजोर होता है।
- सॉफ्ट लॉन्च सिस्टम- इसे इमारतों या बंकर जैसे बंद स्थानों से भी सुरक्षित रूप से दागा जा सकता है।
- सटीक मारक क्षमता- यूक्रेन युद्ध में रूसी टी-72 और टी-90 टैंकों को बड़ी संख्या में नष्ट करने में इसकी भूमिका चर्चा में रही।
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क्या करता है एक्सकैलिबर आर्टिलरी राउंड?
एक्सकैलिबर राउंड जीपीएस-गाइडेड होते हैं, यानी तोपों से दागे जाने पर यह अपने लक्ष्य पर बेहद सटीक प्रहार करते हैं और इससे अनावश्यक क्षति कम होती है। भारत पहले भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर चुका है। अब अमेरिकी कांग्रेस के पास इस प्रस्ताव पर आपत्ति या सवाल उठाने के लिए एक समीक्षा अवधि है। अगर कोई विरोध नहीं हुआ, तो यह सौदा आगे बढ़ेगा और भारत को हथियारों की डिलीवरी शुरू हो सकेगी।
रूस ने की स्टील्थ लड़ाकू विमान देने की पेशकश
रूस ने भारत को सुखोई-57 लड़ाकू विमान की पेशकश की है। इस पेशकश में भारत में पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 स्टील्थ लड़ाकू विमान के उत्पादन का प्रस्ताव दिया गया है। साथ ही रूस विमान के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए भी तैयार है। रूस की ओर से यह प्रस्ताव राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले आया है। माना जा रहा है कि भारत और रूस के बीच बड़ा रक्षा सौदा हो सकता है।
यह भी पढ़ें - Su-57: भारत को पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 स्टील्थ विमान देगा रूस, तकनीकी हस्तांतरण को तैयार
रोस्तेक के सीईओ सेर्गेई चेमगोव ने कहा- प्रस्ताव के तहत सुखोई-57 का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। यह भी प्रस्ताव है कि यदि भारत सहमत हो, तो सुखोई-57 का दो-सीटर संस्करण भी दोनों देशों के बीच मिलकर विकसित किया जा सकता है।