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Syria Clashes: सीरिया के स्वैदा में संघर्ष थमा, बेदुइन लड़ाके शहर से हटे - तनाव बरकरार; US ने शांति की अपील की
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, माजरा
Published by: पवन पांडेय
Updated Sun, 20 Jul 2025 08:18 PM IST
सार
Syria Clashes: सीरिया के स्वैदा शहर में फिलहाल संघर्ष थम गया है। लेकिन तनाव अभी भी बरकरार है। वहीं, सीरिया मामलों के अमेरिकी दूत टॉम बराक ने कहा, 'संघर्ष और प्रतिशोध ने सीरिया के भविष्य की उम्मीदों को धुंधला कर दिया है। अब वक्त है हथियार डालने और बातचीत से रास्ता निकालने का।'
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सीरिया के स्वैदा में थमा संघर्ष
- फोटो : ANI
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विस्तार
सीरिया के दक्षिणी शहर स्वैदा में करीब एक हफ्ते तक चले झड़प के बाद बेदुइन समुदाय के सशस्त्र लड़ाकों ने रविवार को शहर से हटने की घोषणा की है। यह कदम अमेरिका की मध्यस्थता में हुए संघर्षविराम के बाद उठाया गया है। इस बीच, मानवीय सहायता लेकर 32 ट्रकों का काफिला शहर में दाखिल हुआ है, क्योंकि झड़पों के चलते शहर में बिजली, पानी, दवाइयों और ईंधन की भारी कमी हो गई थी।
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क्या हुआ था स्वैदा में?
स्वैदा शहर, जहां द्रुज समुदाय बहुसंख्यक है, वहां बीते कुछ दिनों से बेदुइन सुन्नी मुस्लिम कबीले और द्रुज मिलिशिया के बीच जबरदस्त झड़पें हो रही थीं। इन झगड़ों की शुरुआत कुछ आपसी अपहरणों से हुई थी, जो बाद में सांप्रदायिक हिंसा में बदल गई। इनमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई और हजारों लोग अपने घर छोड़कर दरआ और अन्य इलाकों में चले गए। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, कुल 1,28,571 लोग बेघर हुए, जिनमें से सिर्फ शनिवार को ही 43,000 लोग विस्थापित हुए।
इस्राइल के हमले और सरकार की भूमिका
इन झड़पों के दौरान इस्राइल ने भी स्वैदा में कई हवाई हमले किए, जिनका निशाना सरकार समर्थित सेनाएं थीं। सरकारी सेनाओं ने शुरुआत में लड़ाई में हस्तक्षेप किया लेकिन फिर खुद ही पीछे हट गईं। इससे हालात और बिगड़ गए। दुनियाभर में लगभग 10 लाख द्रुज हैं, जिनमें आधे से ज्यादा सीरिया में रहते हैं। बाकी लेबनान, इस्राइल और गोलान हाइट्स में बसे हुए हैं। द्रूज समुदाय ने कभी राष्ट्रपति असद के शासन के अंत का स्वागत किया था, लेकिन अब वे नई सत्ता और उसकी इस्लामी झुकाव वाली नीति को लेकर भी चिंतित हैं।
शांति की कोशिशें और अंतरिम राष्ट्रपति का संदेश
सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा, जो बेदुइनों के प्रति थोड़े नरम माने जाते हैं, उन्होंने द्रुज समुदाय से शांति की अपील की। उन्होंने कहा, 'हम बेदुइन लड़ाकों के साहस की सराहना करते हैं, लेकिन अब उन्हें राज्य की भूमिका स्वीकार करनी चाहिए और पूरी तरह संघर्षविराम का पालन करना चाहिए।'
लेकिन तनाव अब भी बाकी है…
बेदुइन लड़ाके भले ही शहर से हटे हों, लेकिन अभी भी स्वैदा के बाहरी इलाकों में भारी हथियारों से लैस उनके सैकड़ों साथी डटे हुए हैं। उनकी मुख्य मांग है कि द्रुज धार्मिक नेता शेख हिकमत अल-हिजरी और उनके समर्थक आत्मसमर्पण करें, जिन्हें वे हिंसा भड़काने का दोषी मानते हैं।
यह भी पढ़ें - Gaza Crisis: गाजा में नहीं थम रहा मौत का तांडव; मानवीय मदद पाने की कोशिश में मारे गए 73 फलस्तीनी, 150 घायल
मदद पहुंची, विवाद भी बढ़ा
सीरियाई रेड क्रिसेंट ने 32 ट्रकों की सहायता भेजी, जिसमें खाद्य सामग्री, पानी, दवाइयां और ईंधन शामिल था। हालांकि, सरकारी मीडिया ने आरोप लगाया कि शेख अल-हिजरी के समर्थकों ने एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल को शहर में प्रवेश नहीं करने दिया। शेख ने जवाब में कहा कि वे सहायता का स्वागत करते हैं, लेकिन उनके खिलाफ झूठे प्रचार से दुखी हैं।
सांप्रदायिक हिंसा के भयानक दृश्य
इस संघर्ष में कई द्रुज नागरिकों की हत्या कर दी गई। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो सामने आए जिनमें बेदुइन लड़ाके द्रुज धार्मिक नेताओं की तस्वीरें फाड़ रहे थे, बुजुर्गों की मूंछें काट रहे थे- जो द्रुज संस्कृति में अपमानजनक माना जाता है। इसके जवाब में द्रुज लड़ाकों ने बेदुइन बहुल इलाकों पर हमले किए, जिससे कई परिवारों को जान बचाकर भागना पड़ा।
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क्या हुआ था स्वैदा में?
स्वैदा शहर, जहां द्रुज समुदाय बहुसंख्यक है, वहां बीते कुछ दिनों से बेदुइन सुन्नी मुस्लिम कबीले और द्रुज मिलिशिया के बीच जबरदस्त झड़पें हो रही थीं। इन झगड़ों की शुरुआत कुछ आपसी अपहरणों से हुई थी, जो बाद में सांप्रदायिक हिंसा में बदल गई। इनमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई और हजारों लोग अपने घर छोड़कर दरआ और अन्य इलाकों में चले गए। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, कुल 1,28,571 लोग बेघर हुए, जिनमें से सिर्फ शनिवार को ही 43,000 लोग विस्थापित हुए।
इस्राइल के हमले और सरकार की भूमिका
इन झड़पों के दौरान इस्राइल ने भी स्वैदा में कई हवाई हमले किए, जिनका निशाना सरकार समर्थित सेनाएं थीं। सरकारी सेनाओं ने शुरुआत में लड़ाई में हस्तक्षेप किया लेकिन फिर खुद ही पीछे हट गईं। इससे हालात और बिगड़ गए। दुनियाभर में लगभग 10 लाख द्रुज हैं, जिनमें आधे से ज्यादा सीरिया में रहते हैं। बाकी लेबनान, इस्राइल और गोलान हाइट्स में बसे हुए हैं। द्रूज समुदाय ने कभी राष्ट्रपति असद के शासन के अंत का स्वागत किया था, लेकिन अब वे नई सत्ता और उसकी इस्लामी झुकाव वाली नीति को लेकर भी चिंतित हैं।
शांति की कोशिशें और अंतरिम राष्ट्रपति का संदेश
सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा, जो बेदुइनों के प्रति थोड़े नरम माने जाते हैं, उन्होंने द्रुज समुदाय से शांति की अपील की। उन्होंने कहा, 'हम बेदुइन लड़ाकों के साहस की सराहना करते हैं, लेकिन अब उन्हें राज्य की भूमिका स्वीकार करनी चाहिए और पूरी तरह संघर्षविराम का पालन करना चाहिए।'
लेकिन तनाव अब भी बाकी है…
बेदुइन लड़ाके भले ही शहर से हटे हों, लेकिन अभी भी स्वैदा के बाहरी इलाकों में भारी हथियारों से लैस उनके सैकड़ों साथी डटे हुए हैं। उनकी मुख्य मांग है कि द्रुज धार्मिक नेता शेख हिकमत अल-हिजरी और उनके समर्थक आत्मसमर्पण करें, जिन्हें वे हिंसा भड़काने का दोषी मानते हैं।
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मदद पहुंची, विवाद भी बढ़ा
सीरियाई रेड क्रिसेंट ने 32 ट्रकों की सहायता भेजी, जिसमें खाद्य सामग्री, पानी, दवाइयां और ईंधन शामिल था। हालांकि, सरकारी मीडिया ने आरोप लगाया कि शेख अल-हिजरी के समर्थकों ने एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल को शहर में प्रवेश नहीं करने दिया। शेख ने जवाब में कहा कि वे सहायता का स्वागत करते हैं, लेकिन उनके खिलाफ झूठे प्रचार से दुखी हैं।
सांप्रदायिक हिंसा के भयानक दृश्य
इस संघर्ष में कई द्रुज नागरिकों की हत्या कर दी गई। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो सामने आए जिनमें बेदुइन लड़ाके द्रुज धार्मिक नेताओं की तस्वीरें फाड़ रहे थे, बुजुर्गों की मूंछें काट रहे थे- जो द्रुज संस्कृति में अपमानजनक माना जाता है। इसके जवाब में द्रुज लड़ाकों ने बेदुइन बहुल इलाकों पर हमले किए, जिससे कई परिवारों को जान बचाकर भागना पड़ा।
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