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कौन हैं बशर अल-असद?: सीरिया में विद्रोही आंदोलन को कुचलने की क्या कहानी, जानें कितनी ताकत और कैसे गंवाई सत्ता

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला Published by: पवन पांडेय Updated Sun, 08 Dec 2024 12:18 PM IST
सार

विद्रोही हमले के बीच सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर चले गए हैं। एक सीरियाई युद्ध निगरानीकर्ता के अनुसार असद रविवार को दमिश्क से किसी अज्ञात स्थान के लिए रवाना हो गए हैं। इसके साथ न केवल उनके 24 साल के शासन का अंत हो गया है, बल्कि उनके परिवार के पांच दशकों के शासन का भी पतन हो गया।

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Syrian President Bashar Al-Assad, Who Led A Bloody Crackdown, News in hindi
सीरिया में असद वंश का पतन - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सीरिया में विद्रोही हमलावर आज तड़के राजधानी दमिश्क में घुस गए। ये विद्रोहियों की तरफ से सीरिया के तीसरे सबसे बड़े शहर होम्स पर कब्जा करने का दावा करने के कुछ घंटों बाद हुआ है।सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, विद्रोहियों ने पहले राजधानी में प्रवेश करने और दमिश्क के उत्तर में कुख्यात सैदनाया सैन्य जेल पर नियंत्रण करने का दावा किया था। वहीं, विदेश में सीरिया के मुख्य विपक्षी समूह के प्रमुख हादी अल-बहरा सीरियन ने कहा कि दमिश्क अब 'बशर अल-असद के बिना' है।

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विद्रोही हमले ने शहर-दर-शहर किया कब्जा
सीरिया में करीब छह दशक से ज्यादा वक्त तक शासन कर रहे असद वंश के शासन का पतन हो चुका है। क्योंकि वंश के आखिरी शासक, राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर कहीं भाग गए हैं। इसकी पुष्टि करते हुए, सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने कहा कि राष्ट्रपति असद देश छोड़कर चले गए हैं, जबकि विद्रोहियों ने कहा कि 'तानाशाह' ने भागने का रास्ता चुना। बता दें कि, देश में 26 नवंबर को शुरू हुए एक इस्लामवादी-नेतृत्व वाले विद्रोही हमले ने राष्ट्रपति असद के नियंत्रण से शहर दर शहर छीन लिया।

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कौन हैं बशर अल-असद?
साल 2000 से सीरिया के राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद (59 वर्ष) देश के पूर्व राष्ट्रपति हाफिज अल-असद के बेटे हैं। वे अपने पिता की दूसरी संतान थे, बशर अल-असद कुल पांच भाई-बहन थे जिसमें से तीन की मौत हो चुकी है। अपने बड़े भाई बासिल अल-असद की मौत के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा।

असद के राष्ट्रपति बनने की कहानी
बशर अल-असद को राष्ट्रपति बनने के लिए तैयार नहीं किया गया था। लेकिन 1994 में उनके बड़े भाई बासिल की एक सड़क हादसे में मौत के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। बशर ने नेत्र विज्ञान की पढ़ाई छोड़ दी और लंदन से लौट आए। सीरिया लौटकर, बशर ने सैन्य अध्ययन का कोर्स किया और अपने पिता से राजनीति की गुर सीखे।

गृह युद्ध में बशर का शासन
2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद की मृत्यु के बाद, बशर ने राष्ट्रपति का पद संभाला। लेकिन उनकी सुधारवादी छवि जल्द ही फीकी पड़ गई जब उनकी सरकार ने बौद्धिकों और 'दमिश्क स्प्रिंग' आंदोलन के सदस्यों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान जब सीरिया में शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू हुए, तो असद ने इसे रोकने के लिए सेना का सहारा लिया। यह जल्द ही गृहयुद्ध में बदल गया। इस युद्ध में 500,000 से अधिक लोग मारे गए और आधी आबादी विस्थापित हो गई। इस दौरान असद ने प्रदर्शनकारियों को 'आतंकवादी' करार दिया और अपनी सैन्य कार्रवाइयों को उचित ठहराया। उन्होंने अपनी शक्ति बनाए रखने के लिए रूस और ईरान जैसे अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों का समर्थन भी लिया।

शांत नेता के रूप में पेश की अपनी छवि
वर्षों तक, असद ने सरकार-नियंत्रित क्षेत्रों में आयोजित कई चुनावों में, उन्होंने अधिकांश वोट हासिल किए, हालांकि पश्चिमी देशों और मानवाधिकार संगठनों ने इन चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं माना। औपचारिक बैठकों, साक्षात्कारों और यहां तक कि मोर्चों पर भी, 59 वर्षीय नेत्र रोग विशेषज्ञ असद ने खुद को शांतचित्त दिखाया।

2011 में विद्रोही आंदोलन को कुचला
सीरिया में पद से हटाए जाने की मांग को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों और सशस्त्र विद्रोह को लगभग कुचल देने के बाद, असद ने - विद्रोहियों के आक्रमण के बाद - 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध में सीरिया के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण वापस ले लिया था। शांत स्वभाव वाले असद ने वर्षों तक सत्ता बनाए रखने के लिए रूस, ईरान और लेबनान के हिजबुल्ला जैसे अपने सहयोगियों पर भरोसा किया। कुल मिलाकर राष्ट्रपति बशर ने शक्ति और सेना के बल पर विद्रोह को कुचला, ये विद्रोह काफी लंबा चला कुछ सालों तक ये काफी ठंडा पड़ा रहा।

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