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MEA: 'आतंकवाद की बुराई भेदभाव नहीं करती, सबको प्रभावित करती है', जापान में बोले विदेश सचिव विक्रम मिस्री
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, टोक्यो
Published by: बशु जैन
Updated Thu, 22 May 2025 11:05 PM IST
सार
रायसीना टोक्यो 2025 में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने वैश्विक अर्थव्यवस्था, भारत-जापान संबंधों समेत तमाम मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी 21वीं सदी में सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है।
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रायसीना टोक्यो में बोलते विदेश सचिव विक्रम मिस्री।
- फोटो : PTI
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विस्तार
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने गुरुवार को जापान में हो रहे रायसीना टोक्यो 2025 में दुनियाभर से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के समर्थन का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की बुराई भेदभाव नहीं करती है। यह दुनिया के हर व्यक्ति को प्रभावित करती है। इसलिए जरूरी है कि आतंकी हमलों के पीड़ित और अपराधी को समान न समझा जाए। उन्होंने कहा कि भारत जापान द्वारा दिए जा रहे सहयोग की बहुत सराहना करता है। क्योंकि हमने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई त्रासदी से निपटा है।
अनिश्चितता के दौर से गुजर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था
वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर मिस्री ने कहा कि यह दशकों तक सुचारू रूप से चली। मगर कुछ समय से अर्थव्यवस्था अज्ञात क्षेत्र में है। अनिश्चितताएं हाल के दिनों में बढ़ गईं हैं। सबसे पहले कोविड-19 महामारी का झटका आया। इसके तुरंत बाद आपूर्ति श्रृंखला में झटके आए, युद्ध और संघर्ष, बड़े, मध्यम और छोटे, और इन सबके बीच, व्यापार और प्रौद्योगिकी को पहले की तुलना में अधिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
मिस्री ने कहा कि अशांत विश्व में भारत तथ्य और स्थायित्व का कारक बनने के लिए संकल्पित है। समष्टि आर्थिक दृष्टिकोण, राजनीतिक और संस्थागत स्थायित्व, लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखने तथा वैश्विक सार्वजनिक भलाई और बहुपक्षीय समस्या समाधान में योगदान देने की भारत की क्षमता उसे विश्वसनीयता और एजेंसी दोनों प्रदान करती है।
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भारत के पास विश्व के लिए बेहतर विकल्प
उन्होंने कहा कि एशिया के भौगोलिक, जनसांख्यिकीय और आर्थिक केंद्र में भारत के विकल्पों का इस अशांत समय में हमारे महाद्वीप और उससे आगे के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण परिणाम होगा। 1.4 अरब की मजबूत आबादी के साथ भारत वैश्विक पूंजी के लिए एक आकर्षक गंतव्य है। मिस्री ने कहा कि भारत ने हाल के वर्षों में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए विनिर्माण-आधारित विकास की दिशा में रणनीतिक बदलाव किया है। उन्होंने कहा कि हमारी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती है, जिससे 520 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित होने का अनुमान है और इसके लाभार्थियों में दो दर्जन से अधिक जापानी कंपनियां शामिल हैं।
मारुति सुजुकी का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि विश्व में चौथे सबसे बड़े वाहन उत्पादक के रूप में भारत, फेम-II योजना और बैटरी विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन जैसे समर्थन के जरिए इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर अपना रुख तेज कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह नए युग में मारुति-सुजुकी की भारत-जापान सफलता को फिर से बनाने का एक अवसर है। उन्होंने कहा कि घरेलू और वैश्विक पूंजी को बढ़ावा देने के लिए भारत ने दूरगामी सुधार किए हैं, जो पारदर्शी, कुशल और पूर्वानुमानित कारोबारी माहौल को बढ़ावा देते हैं। भारतीय रेलवे का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है और शहरी गतिशीलता में जापान भारत का पसंदीदा साझेदार रहा है।
2040 तक करेंगे 200 से अधिक हवाई अड्डों का संचालन
उन्होंने कहा कि भारत की योजना 2040 तक 200 से अधिक हवाई अड्डों का संचालन करने की है, जिन्हें एकीकृत लॉजिस्टिक्स पार्कों से सहायता मिलेगी, जिससे अंतिम मील तक माल की आवाजाही में सुधार होगा। विनिर्माण, डिजिटल सशक्तीकरण, बुनियादी ढांचे और वैश्विक भागीदारी पर अपने फोकस के साथ भारत न केवल भविष्य के लिए तैयार है, बल्कि वह उस भविष्य को आकार भी दे रहा है।
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भारत-जापान की साझेदारी 21वीं सदी में सबसे अहम
उन्होंने कहा कि जब विश्व आपूर्ति श्रृंखलाओं को पुनः स्थापित कर रहा है तथा उथल-पुथल से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग को पुनः स्थापित कर रहा है, ऐसे में भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी 21वीं सदी में सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक के रूप में उभर सकती है, न केवल अपनी आर्थिक संभावनाओं के लिए, बल्कि सिद्धांतों पर घनिष्ठ समन्वय के लिए।
विदेश सचिव ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक व्यापार भागीदारी से न केवल नई व्यावसायिक संभावनाएं खुलेंगी, बल्कि आर्थिक स्थिरता भी बढ़ेगी। संकेन्द्रित बाजारों पर निर्भरता कम होगी, आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन आएगा। साथ ही भारत और जापान दोनों के लिए दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा मजबूत होगी।
उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के नए चरण में प्रवेश करने के कारण भारत और जापान दोनों ही गहन अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन भारत में दोनों देशों के लिए इसे कारगर बनाने का विश्वास है। हमारा मानना है कि हम इस चरण में जापान के साथ प्रतिस्पर्धा के बजाय साझेदारी में आगे बढ़ने के लिए बुनियादी और संरचनात्मक रूप से अच्छी स्थिति में हैं। हमारे सामने चुनौती सरकारों और व्यवसायों के लिए समान रूप से यह है कि हम नए दिन के इन अवसरों को समझें।
जापान के वरिष्ठ उप विदेश मंत्री से की मुलाकात
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जापान के वरिष्ठ उप विदेश मंत्री हिरोयुकी नमाजू से मुलाकात की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-जापान सहयोग व अन्य साझा हितों पर चर्चा की। जापान में भारतीय दूतावास की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मिस्री ने राजधानी टोक्यो में विदेश सचिव-उप मंत्री वार्ता के लिए जापान के विदेश मामलों के उप मंत्री टकिरो फुनाकोशी से भी मुलाकात की है। इस दौरान भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने व आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता के भारत के संदेश को व्यक्त करने पर चर्चा की गई।
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वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर मिस्री ने कहा कि यह दशकों तक सुचारू रूप से चली। मगर कुछ समय से अर्थव्यवस्था अज्ञात क्षेत्र में है। अनिश्चितताएं हाल के दिनों में बढ़ गईं हैं। सबसे पहले कोविड-19 महामारी का झटका आया। इसके तुरंत बाद आपूर्ति श्रृंखला में झटके आए, युद्ध और संघर्ष, बड़े, मध्यम और छोटे, और इन सबके बीच, व्यापार और प्रौद्योगिकी को पहले की तुलना में अधिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
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मिस्री ने कहा कि अशांत विश्व में भारत तथ्य और स्थायित्व का कारक बनने के लिए संकल्पित है। समष्टि आर्थिक दृष्टिकोण, राजनीतिक और संस्थागत स्थायित्व, लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखने तथा वैश्विक सार्वजनिक भलाई और बहुपक्षीय समस्या समाधान में योगदान देने की भारत की क्षमता उसे विश्वसनीयता और एजेंसी दोनों प्रदान करती है।
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भारत के पास विश्व के लिए बेहतर विकल्प
उन्होंने कहा कि एशिया के भौगोलिक, जनसांख्यिकीय और आर्थिक केंद्र में भारत के विकल्पों का इस अशांत समय में हमारे महाद्वीप और उससे आगे के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण परिणाम होगा। 1.4 अरब की मजबूत आबादी के साथ भारत वैश्विक पूंजी के लिए एक आकर्षक गंतव्य है। मिस्री ने कहा कि भारत ने हाल के वर्षों में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए विनिर्माण-आधारित विकास की दिशा में रणनीतिक बदलाव किया है। उन्होंने कहा कि हमारी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती है, जिससे 520 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित होने का अनुमान है और इसके लाभार्थियों में दो दर्जन से अधिक जापानी कंपनियां शामिल हैं।
मारुति सुजुकी का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि विश्व में चौथे सबसे बड़े वाहन उत्पादक के रूप में भारत, फेम-II योजना और बैटरी विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन जैसे समर्थन के जरिए इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर अपना रुख तेज कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह नए युग में मारुति-सुजुकी की भारत-जापान सफलता को फिर से बनाने का एक अवसर है। उन्होंने कहा कि घरेलू और वैश्विक पूंजी को बढ़ावा देने के लिए भारत ने दूरगामी सुधार किए हैं, जो पारदर्शी, कुशल और पूर्वानुमानित कारोबारी माहौल को बढ़ावा देते हैं। भारतीय रेलवे का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है और शहरी गतिशीलता में जापान भारत का पसंदीदा साझेदार रहा है।
2040 तक करेंगे 200 से अधिक हवाई अड्डों का संचालन
उन्होंने कहा कि भारत की योजना 2040 तक 200 से अधिक हवाई अड्डों का संचालन करने की है, जिन्हें एकीकृत लॉजिस्टिक्स पार्कों से सहायता मिलेगी, जिससे अंतिम मील तक माल की आवाजाही में सुधार होगा। विनिर्माण, डिजिटल सशक्तीकरण, बुनियादी ढांचे और वैश्विक भागीदारी पर अपने फोकस के साथ भारत न केवल भविष्य के लिए तैयार है, बल्कि वह उस भविष्य को आकार भी दे रहा है।
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भारत-जापान की साझेदारी 21वीं सदी में सबसे अहम
उन्होंने कहा कि जब विश्व आपूर्ति श्रृंखलाओं को पुनः स्थापित कर रहा है तथा उथल-पुथल से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग को पुनः स्थापित कर रहा है, ऐसे में भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी 21वीं सदी में सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक के रूप में उभर सकती है, न केवल अपनी आर्थिक संभावनाओं के लिए, बल्कि सिद्धांतों पर घनिष्ठ समन्वय के लिए।
विदेश सचिव ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक व्यापार भागीदारी से न केवल नई व्यावसायिक संभावनाएं खुलेंगी, बल्कि आर्थिक स्थिरता भी बढ़ेगी। संकेन्द्रित बाजारों पर निर्भरता कम होगी, आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन आएगा। साथ ही भारत और जापान दोनों के लिए दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा मजबूत होगी।
उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के नए चरण में प्रवेश करने के कारण भारत और जापान दोनों ही गहन अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन भारत में दोनों देशों के लिए इसे कारगर बनाने का विश्वास है। हमारा मानना है कि हम इस चरण में जापान के साथ प्रतिस्पर्धा के बजाय साझेदारी में आगे बढ़ने के लिए बुनियादी और संरचनात्मक रूप से अच्छी स्थिति में हैं। हमारे सामने चुनौती सरकारों और व्यवसायों के लिए समान रूप से यह है कि हम नए दिन के इन अवसरों को समझें।
जापान के वरिष्ठ उप विदेश मंत्री से की मुलाकात
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जापान के वरिष्ठ उप विदेश मंत्री हिरोयुकी नमाजू से मुलाकात की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-जापान सहयोग व अन्य साझा हितों पर चर्चा की। जापान में भारतीय दूतावास की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मिस्री ने राजधानी टोक्यो में विदेश सचिव-उप मंत्री वार्ता के लिए जापान के विदेश मामलों के उप मंत्री टकिरो फुनाकोशी से भी मुलाकात की है। इस दौरान भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने व आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता के भारत के संदेश को व्यक्त करने पर चर्चा की गई।
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