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चीन-रूस का साझा सैन्य अभ्यास: बड़ा सवाल निशाने पर कौन? 10 हजार से ज्यादा सैनिक लेंगे हिस्सा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग Published by: Harendra Chaudhary Updated Tue, 03 Aug 2021 02:22 PM IST
सार
कोरोना महामारी आने के बाद ये दोनों देशों के बीच पहला साझा सैन्य अभ्यास है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पहले इस अभ्यास को चीन के शिनजियांग प्रांत में करने का फैसला किया गया था। ये राज्य मध्य एशिया के ज्यादा करीब है। लेकिन चूंकि वहां पर्याप्त प्रशिक्षण अड्डे नहीं हैं, इसलिए साझा अभ्यास की जगह बदल दी गई...
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The joint military exercise China and Russia army will start from next Monday in the Ningxia Hui Autonomous Region of China
चीन-रूस संयुक्त सैन्य अभ्यास - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार
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चीन और रूस की सेनाओं का साझा अभ्यास अगले सोमवार से चीन के निंगशिया हुज स्वायत्त क्षेत्र में शुरू होगा। यहां के सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि इस साझा अभ्यास में ध्यान आतंकवाद से मुकाबले और सुरक्षा के ऊपर केंद्रित रखा जाएगा। अमेरिका या सहयोगी देश इसका निशाना नहीं हैं। पांच दिन चलने वाले इस अभ्यास में 10 हजार से ज्यादा सैनिक भाग लेंगे। इसे जपाड (आपसी मेलजोल)- 2021 नाम दिया गया है।



चीन की युवान वांग मिलिटरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में रिसर्चर जाऊ चेनमिंग ने हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा कि ये साझा सैनिक अभ्यास मध्य एशिया में स्थिरता पर केंद्रित रहेगा। इसकी वजह यह है कि 20 साल तक अफगानिस्तान में रहने के बाद अब अमेरिकी और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के सैनिक वहां से वापस जा रहे हैँ। झाऊ ने कहा कि अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश रूस और चीन की मिसाइल शक्ति से चिंतित हैं। लेकिन ये अभ्यान थल सेना का है।


झाऊ ने ध्यान दिलाया कि रूस और चीन के मिसाइल संचालित करने वाले बलों के बीच अभी तक कोई आदान-प्रदान नहीं हुआ है। न ही उनके बीच को साझा अभ्यास हुआ है। दोनों देशों ने अपनी रक्षा संबंधी खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान भी नहीं किया है। गौरतलब है कि चीनी मीडिया ने खबर दी है कि इस अभ्यास के लिए रूस ने अपने पांच एसयू-30 लड़ाकू विमान भेजे हैं। इस बारे में झाऊ ने कहा कि ये आधुनिकतम विमान नहीं हैं। युद्ध में उनकी कोई प्रमुख नहीं होगी।

लेकिन ये साझा अभ्यास उस समय हो रहा है जब चीन और रूस के साथ अमेरिका के संबंधों में तनाव काफी बढ़ा हुआ है। इसलिए विश्लेषक चीन के दावे पर पूरा भरोसा नहीं कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस साझा अभ्यास से चीनी सेना को काफी लाभ होगा। ताइवान स्थित नौसेना एकेडमी में प्रशिक्षक रह चुके लु ली-शिह के मुताबिक रूसी फौज के पास युद्ध संबंधी अनुभव ज्यादा है। उनके मुताबिक चीनी और रूसी सेना के बीच हथियारों के डिजाइन, युद्ध रणनीति और कार्यनीति आदि के मामलों में काफी समानता है। इन सभी मामलों में पश्चिमी देशों से ये दोनों देश अलग हैं। उन्होंने कहा कि मुमकिन है कि रूस ने हाल में अजरबैजान और अर्मीनिया की लड़ाई के दौरान ड्रोन युद्ध के जो अनुभव हासिल किए, उन्हें वह चीन के साथ साझा करे।

कोरोना महामारी आने के बाद ये दोनों देशों के बीच पहला साझा सैन्य अभ्यास है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पहले इस अभ्यास को चीन के शिनजियांग प्रांत में करने का फैसला किया गया था। ये राज्य मध्य एशिया के ज्यादा करीब है। लेकिन चूंकि वहां पर्याप्त प्रशिक्षण अड्डे नहीं हैं, इसलिए साझा अभ्यास की जगह बदल दी गई।

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वु चियान ने बीते हफ्ते कहा था कि साझा सैन्य अभ्यास का मकसद रूस और चीन के बीच सहयोग को और मजबूत करना है। साथ ही इसका उद्देश्य क्षेत्रीय ‘शांति और स्थिरता’ को कायम रखना है। सैन्य अभ्यास में चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड और रूस के ईस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट से जुड़े सैनिक भाग लेंगे। इस दौरान दोनों के बीच एक साझा कमान सेंटर की स्थापना होगी। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक इस सैन्य अभ्यास को काफी अहमियत दे रहे हैं। इस पर पास-पड़ोस के देशों के साथ-साथ पश्चिमी दुनिया की निगाहें भी टिकी रहेंगी।

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