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उप राजदूत जाधव के लिए वकील नियुक्ति करने पर भारत का रुख बताना चाहते हैं, अदालत को किया सूचित
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Tanuja Yadav
Updated Wed, 02 Dec 2020 02:13 PM IST
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Kulbhushan jadhav
- फोटो : social media
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पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के वकील ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उप राजदूत गौरव अहलूवालिया, मौत की सजा पाए कैदी कुलभूषण जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के मामले में भारत का पक्ष रखना चाहते हैं।
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डॉन अखबार के मुताबिक इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह, न्यायमूर्ति आमेर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की वृहद पीठ के समक्ष मंगलवार को भारतीय उच्चायोग के वकील बैरिस्टर शाहनवाज नून ने कहा कि जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के मामले पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए और अदालत के समक्ष अहलूवालिया भारत सरकार का पक्ष रखेंगे।
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न्यायमूरर्ति मिनल्लाह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश को लागू करने के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय भारत सरकार के जवाब का इंतजार कर रहा है क्योंकि ‘निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है।’ उन्होंने कहा कि अगर राजनयिक अदालत के समक्ष पेश होना चाहते हैं तो इसका हमेशा स्वागत है।
अटॉर्नी जनरल खालिद जवाद खान ने अदालत को सलाह दी कि भारत के उप उच्चायुक्त आ सकते हैं लेकिन भारत को पहले मामले के लिए वकील की नियुक्ति करनी चाहिए। खबर के मुताबिक नून ने अदालत को सूचित किया कि भारत को इस बात की भी चिंता है कि एक और भारतीय नागरिक इस्माइल जिसे जासूसी के आरोप में दोषी ठहराया गया था और उसकी सजा पूरी हो चुकी है इसके बावजूद हिरासत में लिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि 53 वर्षीय इस्माइल सम्मा भारत-पाकिस्तान सीमा से 50 किलोमीटर दूर गुजरात के कच्छ जिले के नाना दिनारा गांव का रहने वाला है और अगस्त 2008 में लापता हो गया था । वह मवेशियों को चराते हुए गलती से पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो गया था।
इस्माइल को पाकिस्तानी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था और अक्टूबर 2011 में उसे जासूसी का दोषी ठहराते हुए पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी। खबर के मुताबिक नून ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि भारत के उप उच्चायुक्त ने जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के मामले में भारत का रुख बताने की इच्छा जताई है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की संसदीय समिति ने अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्देशों के तहत जाधव की समीक्षा करने की अनुमति देने वाले सरकर के विधेयक को मंजूरी दी थी। भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव (51) को अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सनाई थी।
वर्ष 2017 में पाकिस्तान द्वारा जाधव तक राजनयिक पहुंच नहीं देने और उसे मौत की सजा के खिलाफ भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख किया। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में दिए फैसले में कहा कि पाकिस्तान जाधव को सुनाई गई सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करे, साथ ही बिना देरी भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच मुहैया कराए।
इस्माइल के मामले में अटॉर्नी जनरल खान ने अदालत को बताया कि मामला पहले ही गृह मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन है। उन्हें जवाब के लिए कुछ समय चाहिए। उच्च न्यायालय की पीठ ने अटॉर्नी जनरल से जवाब तलब करते हुए मामले की सुनवाई 14 जनवरी तक के लिए टाल दी।