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अमेरिकी चुनाव में ट्रंप को धांधली के आसार, डाक से आए वोटों को लेकर जताई आशंका
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 16 Oct 2020 04:48 PM IST
सार
- कोरोना संक्रमण के बाद ट्रंप ने किया था वर्चुअल बहस से इंकार, अलग से आए लोगों के बीच
- टूट गई आमने-सामने बहस होने की परंपरा, दोनों उम्मीदवारों ने अलग अलग टाउन हॉल में दिए लोगों के सवालों के जवाब
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डोनाल्ड ट्रंप और मेलानिया ट्रंप के साथ बैरन ट्रंप
- फोटो : फाइल फोटो
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विस्तार
शुक्रवार सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की एक स्थापित परंपरा टूट गई। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दोनों प्रमुख पार्टियों के तीन बार आमने-सामने बहस करने की बहुचर्चित रवायत रही है। लेकिन रिपब्लिकन पार्टी डोनल्ड ट्रंप जैसे अधिकांश राजनीतिक मर्यादाओं और परंपराओं का अनादर करते रहे हैं। वैसे ही इस बार उन्होंने दूसरी बहस में शामिल होने से इंकार कर दिया।
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पिछले 29 सितंबर को पहली बहस हुई थी। उसमें डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन के बोलने के दौरान ट्रंप ने लगातार टोका-टाकी की। इसका खराब संदेश गया। ट्रंप की समर्थन रेटिंग में उससे गिरावट आई। उसके बाद ट्रंप कोरोना वायरस से संक्रमित हुए। इसे देखते हुए आयोजकों ने फैसला किया कि दूसरी बहस ऑनलाइन (यानी वर्चुअल) होगी। ट्रंप ने इसमें हिस्सा लेने से इंकार कर दिया। नतीजतन, शुक्रवार सुबह (भारतीय समय के अनुसार) दोनों उम्मीदवार अलग-अलग टाउन हॉल कार्यक्रम में शामिल हुए और वहां पूछे गए सवालों के जवाब उन्होंने दिए।
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इसमें ट्रंप ने एक बार फिर बिना शर्त यह कहने से इंकार कर दिया कि अगर तीन नवंबर को होने वाले चुनाव में वे हार गए, तो वे शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता का हस्तांतरण कर देंगे। इससे संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि वे चुनाव के बाद सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के लिए प्रतिबद्ध हैं, बशर्ते “ईमानदारी से चुनाव” हुआ। ट्रंप इसके पहले यह कह चुके हैं कि अगर चुनाव में धोखाधड़ी नहीं हुई, तो वे कतई हार नहीं सकते। उनका खास निशाना डाक से भेजे जाने वाले वोटों पर रहा है।
खबरों के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण बहुत बड़ी संख्या में मतदाता इस बार इस तरीके से मतदान करने वाले हैं। ट्रंप ने टाउन हॉल कार्यक्रम में एक बार फिर संभावित चुनावी धोखाधड़ी का मुद्दा उठाया। तब उनका ध्यान इस एफबीआई (फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) के निदेशक क्रिस्फोटर ए.व्रे के इस बयान की तरफ खींचा गया कि व्यापक चुनावी धोखाधड़ी होने के कोई संकेत नहीं हैं। इस पर ट्रंप ने कहा- “इसका मतलब है कि वो (एफबीआई निदेशक) अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं।”
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिका के लोग तब हैरत में रह गए, जब राष्ट्रपति ने क्यूएनॉन नामक इंटरनेट कम्युनिटी की आलोचना करने से इंकार कर दिया। इस समूह के बारे में माना जाता है कि वह साजिश की फर्जी आशंकाएं समाज में फैलाता है। पुलिस उसे एक संभावित देसी आतंकवादी खतरे के रूप में पेश कर चुकी है। ट्रंप ने कहा कि उन्हें इस ग्रुप के बारे में जानकारी नहीं है, इसलिए वे उसकी आलोचना नहीं कर सकते।
मगर लगे हाथ बाल यौन शोषण के बारे में इस ग्रुप की कहानियों से वाकिफ होने की बात उन्होंने कह दी। ये ग्रुप ऐसी कहानियां फैलाता रहा है कि डेमोक्रेटिक पार्टी बाल यौन शोषण के गिरोह चलाती है और हिलेरी क्लिंटन उस गिरोह की सरगना रही हैं। माना जाता है कि 2016 में क्लिंटन की छवि खराब करने में ऐसी फैलाई कहानियों की बड़ी भूमिका रही थी। ये ग्रुप ट्रंप का समर्थक है और आरोप है कि इस बार भी उनके पक्ष में इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से निराधार साबित हो चुकी बातें फैला रहा है।
डोनल्ड ट्रंप के ऐसे ही रुख के कारण इस बार राष्ट्रपति चुनाव संशय से घिरा हुआ है। एक संशय यह है कि ट्रंप बिना पूरी मतगणना का इंतजार किए खुद को विजेता घोषित कर सकते हैं। अनुमान यह है कि डाक से आए वोटों की गिनती में कई दिन लगेंगे। इनमें ज्यादातर डेमोक्रेटिक पार्टी के वोट होंगे, जबकि ट्रंप के ज्यादातर समर्थक तीन नवंबर को बूथ पर जाकर वोट डालेंगे। इसलिए शुरुआती गिनती में ट्रंप आगे निकल सकते हैं और इसको आधार पर बनाकर वे खुद को विजेता घोषित कर सकते हैं। इसीलिए डाक से आए वोटों की वैधता पर वे लगातार सवाल उठा रहे हैं।