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US-Panama Row: ट्रंप की धमकी का दिखा असर, अब बिना कोई शुल्क दिए पनामा नहर से गुजरेंगे अमेरिकी सरकारी जहाज
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: बशु जैन
Updated Thu, 06 Feb 2025 10:23 AM IST
सार
डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद से ही पनामा नहर पर कब्जे की बात कर रहे हैं। अब उनकी धमकी का असर नजर आने लगा है। पनामा ने पनामा नहर से गुजरने वाले अमेरिकी सरकारी जहाजों के लिए शुल्क समाप्त करने पर सहमति जताई है।
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पनामा नहर
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर पर कब्जे की धमकी का असर नजर आने लगा है। पनामा ने पनामा नहर से गुजरने वाले अमेरिकी सरकारी जहाजों के लिए शुल्क समाप्त करने पर सहमति जताई है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के पनामा का दौरा करने के बाद यह बयान सामने आया है।
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अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि अब बिना किसी शुल्क के पनामा नहर से गुजर सकते हैं। इससे अमेरिकी सरकार को हर साल लाखों डॉलर की बचत होगी।
ट्रंप ने कही थी कब्जा करने की बात
गौरतलब है कि अमेरिका के समुद्री व्यापार का बड़ा हिस्सा पनामा नहर के जरिए होता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद से ही पनामा नहर पर कब्जे की बात कर रहे हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि चीन, पर्दे के पीछे से पनामा नहर का संचालन कर रहा है। ट्रंप ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद अपने संबोधन में भी ये बात दोहराई थी। उन्होंने कहा कि 'पनामा नहर हमने पनामा को उपहार में दी थी, लेकिन अब इसका संचालन चीन कर रहा है। हमने इसे चीन को नहीं दिया था और अब हम इसे वापस लेंगे।
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विदेश मंत्री ने चीन का प्रभाव कम करने के लिए कहा
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने बीते रविवार को पनामा का दौरा किया था। उन्होंने पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो से कहा था कि पनामा को पनामा नहर क्षेत्र पर चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो ट्रंप प्रशासन आवश्यक कदम उठाने को तैयार होगा। नहर की मौजूदा स्थिति को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसमें तत्काल परिवर्तन नहीं किया गया तो अमेरिका को समझौते के तहत अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रशासक रिकोर्टे वास्केज के साथ नहर का दौरा भी किया था।
पनामा नहर क्यों है अहम
पनामा नहर वैश्विक भू-राजनीति में अहम मानी जाती है। यह 82 किलोमीटर लंबी नहर अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। पूरी दुनिया का छह फीसदी समुद्री व्यापार पनामा नहर से ही होता है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए भी पनामा नहर बेहद अहम है क्योंकि अभी न्यूयॉर्क से सैन फ्रांसिस्को जाने वाले मालवाहक जहाजों को पनामा नहर के जरिए दूरी 8370 किलोमीटर पड़ती है, लेकिन अगर पनामा नहर की बजाय पुराने मार्ग से माल भेजा जाए तो जहाजों को पूरे दक्षिण अमेरिकी देशों का चक्कर लगाने के बाद सैन फ्रांसिस्को जाना होगा और ये दूरी 22 हजार किलोमीटर से ज्यादा होगी।
अमेरिका का 14 फीसदी व्यापार पनामा नहर के जरिए ही होता है। कह सकते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए ही पनामा नहर लाइफलाइन का काम करती है। अमेरिका के साथ ही दक्षिण अमेरिकी देशों का बड़ी संख्या में आयात-निर्यात भी पनामा नहर के जरिए ही होता है। एशिया से अगर कैरेबियाई देश माल भेजना हो तो जहाज पनामा नहर से होकर ही गुजरते हैं। खुद पनामा की अर्थव्यवस्था इस नहर पर निर्भर है और पनामा की सरकार को पनामा के प्रबंधन से ही हर साल अरबों डॉलर की कमाई होती है। पनामा नहर पर कब्जा होने की स्थिति में पूरी दुनिया की आपूर्ति श्रृंख्ला बाधित होने का खतरा है।
पनामा नहर का निर्माण साल 1881 में फ्रांस ने शुरू किया था, लेकिन इसे साल 1914 में अमेरिका द्वारा इस नहर के निर्माण को पूरा किया गया। इसके बाद पनामा नहर पर अमेरिका का ही नियंत्रण रहा, लेकिन साल 1999 में अमेरिका ने पनामा नहर का नियंत्रण पनामा की सरकार को सौंप दिया। अब इसका प्रबंधन पनामा कैनाल अथॉरिटी द्वारा किया जाता है। पनामा नहर को इंजीनियरिंग का चमत्कार माना जाता है और इसे आधुनिक दुनिया के इंजीनियरिंग के सात अजूबों में से एक माना जाता है।