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Nepal Earthquakes: नेपाल में फिर कांपी धरती, डेढ़ घंटे में दो बार महसूस किए गए भूकंप के झटके
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Fri, 28 Apr 2023 09:28 AM IST
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सार
इससे पहले एक अप्रैल को दोलखा जिले के सूरी में मध्यम तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। इसकी तीव्रता 5.2 मापी गई थी। भूकंप के झटके ओखलधुंगा, रमेच्छप, सिंधुपाल चौक और नुवाकोट जिलों के साथ-साथ काठमांडू घाटी में भी महसूस किए गए थे।

Earthquake
- फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
नेपाल में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। देर रात दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र बाजुरा के दाहाकोट में बताया जा रहा है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.8 और 5.9 तीव्रता बताई जा रही है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, पहला भूकंप रात 11:58 बजे (स्थानीय समयनुसार) आया, जिसकी तीव्रता 4.9 मापी गई। इसके बाद रात 1:30 बजे 5.9 तीव्रता का एक और भूकंप दर्ज किया गया।

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नेपाल के सुरखेत जिले के भूकंप विज्ञान केंद्र के एक अधिकारी राजेश शर्मा ने बताया कि डेढ़ घंटे के अंतराल में आए भूकंप के झटकों से लोगों के बीच दहशत फैल गई। लोग अपने घरों से बाहर आ गए। पुलिस ने बताया है कि अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
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इससे पहले एक अप्रैल को दोलखा जिले के सूरी में मध्यम तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। यहां के राष्ट्रीय भूकंपीय केंद्र के अनुसार, काठमांडू से 180 किलोमीटर पूर्व में दोलखा में सुबह 11.27 बजे (स्थानीय समयानुसार) 5.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। भूकंप के झटके ओखलधुंगा, रमेच्छप, सिंधुपाल चौक और नुवाकोट जिलों के साथ-साथ काठमांडू घाटी में भी महसूस किए गए थे।
अप्रैल 2015 में 7.8 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था
अप्रैल 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था। इस दौरान लगभग 9,000 लोग मारे गए थे और लगभग 22,000 अन्य घायल हुए थे। इसने 800,000 से अधिक घरों और स्कूल भवनों को नुकसान पहुंचा था।
क्यों बार-बार नेपाल में आ रहे भूकंप के झटके?
आईआईटी कानपुर सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और जियोसाइंस इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ प्रो. जावेद एन मलिक ने बताया कि 2015 में भी नेपाल में 7.8 से 8.1 तीव्रता वाले भूकंप के झटके आए थे। भूकंप का केंद्र पूर्वी नेपाल था। हालांकि, हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर हो गई है। इसके चलते अब लंबे समय तक इस तरह के भूकंप आते रहेंगे।