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UNGA: न्यूयॉर्क में अवामी लीग समर्थकों का प्रदर्शन, मोहम्मद यूनुस को बताया अवैध शासक, पाकिस्तान जाने की नसीहत

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sat, 27 Sep 2025 02:05 AM IST
सार

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के चौथे दिन संबोधन किया। वहीं, दूसरी तरफ प्रवासी बांग्लादेशियों ने उनके खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने यूनुस पर आरोप लगाया कि वह बांग्लादेश को अर्ध-तालिबानी देश में बदल रहे हैं और तालिबानी एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने यूनुस का पाकिस्तान से ताल्लुक बताते हुए उन्हें पाकिस्तान लौटने की नसीहत भी दी।
 

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UNGA Awami League supporters rally against Yunus in New York, Outrage over Sheikh Hasina's dismissal
यूएनजीए में संबोधन करते मोहम्मद यूनुस और प्रदर्शन करते बांग्लादेशी प्रवासी - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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संयुक्त राष्ट्र महासभा में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के संबोधन के दौरान न्यूयॉर्क की सड़कों पर अवामी लीग समर्थकों और प्रवासी बांग्लादेशियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मोहम्मद युनुस बांग्लादेश को अर्ध-तालिबानी देश में बदल रहे हैं। वे बांग्लादेश में तालिबानी एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं। 

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इस दौरान यूएस अवामी लीग के अध्यक्ष डॉ. सिद्दीकुर रहमान ने भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमने यह प्रदर्शन अवैध और असांविधानिक अंतरिम सरकार प्रमुख डॉ. यूनुस के खिलाफ आयोजित किया है। देश में कानून-व्यवस्था खत्म हो चुकी है। वह बांग्लादेश के नहीं, बल्कि पाकिस्तान से ताल्लुक रखते हैं और उन्हें पाकिस्तान लौट जाना चाहिए।
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बांग्लादेश को तालिबानी रास्ते पर ले जा रहे यूनुस
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'इस रैली का उद्देश्य बहुत सीधा है। धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई शेख हसीना की सरकार को 5 अगस्त 2024 को अवैध रूप से अपदस्थ कर दिया गया। तब से यूनुस, इस्लामिक ताकतों और आतंकी संगठनों की मिलीभगत से बांग्लादेश को व्यवस्थित ढंग से तालिबानी रास्ते पर ले जा रहे हैं।'

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यूनुस को सत्ता छोड़नी चाहिए और चुनाव कराना चाहिए
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, 'अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सुरक्षा कारणों से देश छोड़ने के बाद यूनुस ने देश पर कब्जा कर लिया और तब से अल्पसंख्यकों, हिंदुओं और अन्य धर्मों के लोगों की हत्या की जा रही है। लाखों लोगों को अपना देश छोड़ना पड़ा, खासकर हिंदुओं को... बांग्लादेश में यह एक विकट स्थिति है। यही कारण है कि लोग यहां केवल विरोध करने आए हैं और यूनुस को सत्ता छोड़नी चाहिए और चुनाव कराना चाहिए।'

चिन्मय दास की रिहाई की मांग की
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया कि यूनुस बांग्लादेश को एक तालिबानी और आतंकवादी देश बना रहे हैं और हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर रहे हैं। उन्होंने धार्मिक पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग की। साथ ही कहा कि डॉ. यूनुस ने उन्हें गैरकानूनी रूप से जेल में रखा है। 

यूनुस ने 80वें सत्र के चौथे दिन किया संबोधन
इस बीच, मोहम्मद यूनुस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र के चौथे दिन संबोधन किया। यह उनका दूसरा भाषण था, जब से पिछले साल जेन-जी के नेतृत्व वाले आंदोलन ने शेख हसीना के 15 साल लंबे शासन को उखाड़ फेंका था।

यूनुस ने भारत पर हसीना को शरण देने का लगाया आरोप
इस दौरान यूनुस ने भारत पर आरोप लगाया कि उसने शेख हसीना को शरण दी है, जिससे द्विपक्षीय रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत पहले ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जता चुका है। यूनुस ने हसीना पर छात्र आंदोलनों को दबाने और अपराधों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उनके प्रत्यर्पण की मांग की।

पुनर्निर्माण का रास्ता कभी बंद नहीं होता
यूनुस ने महासभा को संबोधि करते हुए कहा, 'पिछले साल मैंने इस मंच से उस देश की बात की थी, जिसने अभी-अभी जनविद्रोह देखा था। आज मैं यहां खड़ा हूं यह बताने के लिए कि हमने उस सफर में कितनी दूरी तय की है।' उन्होंने आगे कहा, हमारी अहमियत सिर्फ हमारी संख्या या भौगोलिक स्थिति में नहीं है, बल्कि हमारे लोगों की जुझारू भावना में है। हमारी कहानी इस बात का सबूत है कि चाहे संकट कितना भी गहरा हो, समाधान कितना भी असंभव लगे- पुनर्निर्माण का रास्ता कभी बंद नहीं होता।

यूनुस ने प्रवासी मजदूरों के योगदान पर भी जोर दिया
यूनुस ने बांग्लादेशी प्रवासी मजदूरों के योगदान पर भी जोर दिया। अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार, 71 लाख बांग्लादेशी विदेशों में रहते हैं और 2019 में लगभग 18 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार भेजा। उन्होंने कहा, 'प्रवासी श्रमिक न केवल हमारे लिए जरूरी हैं, बल्कि मेजबान देशों के लिए भी उपयोगी हैं। प्रवासन दोनों के लिए फायदेमंद है। मैं अपील करता हूं कि प्रवासियों के साथ सहानुभूति और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।'

बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ रहे खतरे, कार्रवाई का आह्वान
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 60वें सत्र में बांग्लादेश के भीतर अल्पसंख्यकों (विशेषकर हिंदुओं) से होने वाले उत्पीड़न को बेहद चिंताजनक बताया गया। ग्लोबल ह्यूमन राइट्स डिफेंस (जीएचआरडी) की यूएन-ईयू मानवाधिकार अधिकारी, चार्लोट जेहरर ने बांग्लादेश में जातीय-धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने आने वाले विकट हालात पर विश्व आकर्षित किया और यूएनएचआरसी से तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया।

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जेहरर ने बांग्लादेश में हिंदुओं से हिंसा और भेदभाव के बेहद चिंताजनक स्वरूप को उजागर करते हुए कहा, गत वर्ष अल्पसंख्यकों पर हमलों की 2,400 से अधिक घटनाएं हुईं। चटगांव पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले मूल निवासी, साथ ही बांग्लादेश भर के हिंदू और ईसाई समुदाय, इनके मुख्य निशाने पर रहे हैं। उन्होंने दुर्व्यवहार के विविध रूपों पर बात की। इनमें घरों-पूजा स्थलों पर हमले, मुख्यतः दुष्कर्म संबंधी लिंग-आधारित हिंसा, मनमानी गिरफ्तारियां, मनगढ़ंत ईशनिंदा के आरोप, जमीन हड़पना और अल्पसंख्यक पेशेवरों से जबरन इस्तीफा लेना शामिल है।

निष्पक्ष जांच की अपील
कार्यक्रम के दौरान किशोरों और युवा वयस्कों को प्रभावित करने वाले जबरन धर्मांतरण के बढ़ते मामलों पर चेतावनी भी दी गई। चार्लोट जेहरर ने कमजोर समुदायों की सुरक्षा के लिए वास्तविक जवाबदेही पर जोर दिया। उन्होंने गिरफ्तार अल्पसंख्यक नेताओं की रिहाई और भेदभावपूर्ण कानूनों में सुधार की निष्पक्ष जांच की अपील की।

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