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US: क्या ट्रंप को व्यापक टैरिफ लगाने के अधिकार है? अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला; नवंबर में होगी सुनवाई
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Wed, 10 Sep 2025 02:39 AM IST
सार
क्या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को संघीय कानून के तहत व्यापक टैरिफ लगाने का अधिकार है? यह तय करने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई करने का फैसला किया है। इस मामले पर न्यायाधीश नवंबर में सुनवाई करेंगे।
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डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका
- फोटो : ANI
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विस्तार
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (स्थानीय समयानुसार) को यह तय करने के लिए असामान्य रूप से जल्द सुनवाई करने का फैसला किया है कि क्या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को संघीय कानून के तहत व्यापक टैरिफ लगाने का अधिकार है। न्यायाधीश नवंबर में इस मामले की सुनवाई करेंगे। यह समयसीमा सुप्रीम कोर्ट के सामान्य तौर-तरीकों की तुलना में बेहद तेज मानी जा रही है।
जिन छोटे कारोबारियों और राज्यों ने अदालत में टैरिफ को चुनौती दी थी, वे भी त्वरित समय-सारिणी पर सहमत हुए। उनका कहना है कि ट्रंप ने आपातकालीन शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर लगभग हर देश से आने वाले सामान पर आयात कर लगा दिया, जिससे उनके कारोबार बर्बादी के कगार पर पहुंच गए। दो निचली अदालतों ने अधिकतर टैरिफ को गैरकानूनी ठहराया है, लेकिन 7-4 के फैसले में अपीलीय अदालत ने इन्हें फिलहाल लागू रहने दिया है।
ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में रखा यह तर्क
ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से तुरंत हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। साथ ही तर्क दिया कि कानून राष्ट्रपति को आयात नियंत्रित करने की शक्ति देता है और अगर राष्ट्रपति को एकतरफा टैरिफ लगाने से रोका गया, तो देश 'आर्थिक तबाही के कगार' पर पहुंच जाएगा। अब यह मामला उस अदालत के सामने आएगा जो ट्रंप की कार्यकारी शक्ति के असाधारण इस्तेमाल पर रोक लगाने में अनिच्छुक रही है।
ये भी पढ़ें: Qatar: आईडीएफ ने दोहा में हमास के नेताओं को बनाया निशाना, इस्राइली पीएम नेतन्याहू ने ली हमले की जिम्मेदारी
टैरिफ लगाने का अधिकार कांग्रेस के पास
बड़ा सवाल यह है कि क्या कोर्ट की खुद की राष्ट्रपति शक्तियों पर उदार व्याख्या ट्रंप को बिना कांग्रेस की मंजूरी टैरिफ लगाने की अनुमति देती है। संविधान के अनुसार, टैरिफ लगाने का अधिकार कांग्रेस के पास है। रूढ़ीवादी बहुमत वाली इस अदालत के तीनों न्यायाधीशों को ट्रंप ने ही अपने पहले कार्यकाल में नामित किया था।
टैरिफ से महंगाई और धीमी आर्थिक वृद्धि का बना डर
हालांकि, टैरिफ और उनके अस्थिर लागू होने से महंगाई और धीमी आर्थिक वृद्धि का डर बना है। लेकिन ट्रंप ने इन्हीं टैरिफ का इस्तेमाल कई देशों पर नए व्यापार समझौते करने के लिए दबाव डालने में किया। अगस्त के अंत तक टैरिफ से 159 अरब डॉलर की राजस्व आय हुई, जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर का कहना है कि निचली अदालतों के फैसले पहले से ही व्यापार वार्ताओं पर असर डाल रहे हैं।
टैरिफ रद्द होने से वसूले गए करों का कुछ हिस्सा करना पड़ सकता है वापस
ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि अगर ये टैरिफ रद्द हो गए, तो ट्रेजरी विभाग को अब तक वसूले गए करों का कुछ हिस्सा वापस करना पड़ सकता है। सॉलिसिटर जनरल सॉयर का तर्क है कि उनके खिलाफ फैसले से देश की फेंटेनाइल पर रोक लगाने और रूस यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की कोशिशों पर भी असर पड़ सकता है।
अपील अदालत के चार न्यायाधीशों ने ट्रंप प्रशासन का लिया पक्ष
अपील अदालत के चार न्यायाधीशों ने ट्रंप प्रशासन का पक्ष लिया और कहा कि 1977 का अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) राष्ट्रपति को आपात स्थिति में आयात नियंत्रित करने की अनुमति देता है। हाल के दशकों में कांग्रेस ने भी टैरिफ अधिकारों का कुछ हिस्सा राष्ट्रपति को सौंप दिया है और ट्रंप ने इस शक्ति का भरपूर इस्तेमाल किया।
ये भी पढ़ें: Trump Funding Freeze: चीफ जस्टिस बोले- ट्रंप की फंडिंग पर रोक बरकरार, 5 बिलियन USD की विदेशी सहायता पर खतरा...
आयात करों के दो प्रकारों से जुड़ा है मामला
यह मामला आयात करों के दो प्रकारों से जुड़ा है, जिन्हें ट्रंप ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करके सही ठहराया था। इनमें पहला अप्रैल में घोषित और दूसरा फरवरी में, जो कनाडा, चीन और मैक्सिको से आयात पर लगाया गया। इसमें विदेशी स्टील, एल्युमीनियम और ऑटोमोबाइल पर लगे टैरिफ शामिल नहीं हैं, न कि वे जो चीन पर लगे पुराने टैरिफ जिन्हें राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी जारी रखा था। ट्रंप अन्य कानूनों के तहत टैरिफ लगा सकते हैं, लेकिन उनमें उनकी कार्रवाई की गति और गंभीरता पर अधिक सीमाएं हैं।
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ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में रखा यह तर्क
ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से तुरंत हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। साथ ही तर्क दिया कि कानून राष्ट्रपति को आयात नियंत्रित करने की शक्ति देता है और अगर राष्ट्रपति को एकतरफा टैरिफ लगाने से रोका गया, तो देश 'आर्थिक तबाही के कगार' पर पहुंच जाएगा। अब यह मामला उस अदालत के सामने आएगा जो ट्रंप की कार्यकारी शक्ति के असाधारण इस्तेमाल पर रोक लगाने में अनिच्छुक रही है।
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टैरिफ लगाने का अधिकार कांग्रेस के पास
बड़ा सवाल यह है कि क्या कोर्ट की खुद की राष्ट्रपति शक्तियों पर उदार व्याख्या ट्रंप को बिना कांग्रेस की मंजूरी टैरिफ लगाने की अनुमति देती है। संविधान के अनुसार, टैरिफ लगाने का अधिकार कांग्रेस के पास है। रूढ़ीवादी बहुमत वाली इस अदालत के तीनों न्यायाधीशों को ट्रंप ने ही अपने पहले कार्यकाल में नामित किया था।
टैरिफ से महंगाई और धीमी आर्थिक वृद्धि का बना डर
हालांकि, टैरिफ और उनके अस्थिर लागू होने से महंगाई और धीमी आर्थिक वृद्धि का डर बना है। लेकिन ट्रंप ने इन्हीं टैरिफ का इस्तेमाल कई देशों पर नए व्यापार समझौते करने के लिए दबाव डालने में किया। अगस्त के अंत तक टैरिफ से 159 अरब डॉलर की राजस्व आय हुई, जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर का कहना है कि निचली अदालतों के फैसले पहले से ही व्यापार वार्ताओं पर असर डाल रहे हैं।
टैरिफ रद्द होने से वसूले गए करों का कुछ हिस्सा करना पड़ सकता है वापस
ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि अगर ये टैरिफ रद्द हो गए, तो ट्रेजरी विभाग को अब तक वसूले गए करों का कुछ हिस्सा वापस करना पड़ सकता है। सॉलिसिटर जनरल सॉयर का तर्क है कि उनके खिलाफ फैसले से देश की फेंटेनाइल पर रोक लगाने और रूस यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की कोशिशों पर भी असर पड़ सकता है।
अपील अदालत के चार न्यायाधीशों ने ट्रंप प्रशासन का लिया पक्ष
अपील अदालत के चार न्यायाधीशों ने ट्रंप प्रशासन का पक्ष लिया और कहा कि 1977 का अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) राष्ट्रपति को आपात स्थिति में आयात नियंत्रित करने की अनुमति देता है। हाल के दशकों में कांग्रेस ने भी टैरिफ अधिकारों का कुछ हिस्सा राष्ट्रपति को सौंप दिया है और ट्रंप ने इस शक्ति का भरपूर इस्तेमाल किया।
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आयात करों के दो प्रकारों से जुड़ा है मामला
यह मामला आयात करों के दो प्रकारों से जुड़ा है, जिन्हें ट्रंप ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करके सही ठहराया था। इनमें पहला अप्रैल में घोषित और दूसरा फरवरी में, जो कनाडा, चीन और मैक्सिको से आयात पर लगाया गया। इसमें विदेशी स्टील, एल्युमीनियम और ऑटोमोबाइल पर लगे टैरिफ शामिल नहीं हैं, न कि वे जो चीन पर लगे पुराने टैरिफ जिन्हें राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी जारी रखा था। ट्रंप अन्य कानूनों के तहत टैरिफ लगा सकते हैं, लेकिन उनमें उनकी कार्रवाई की गति और गंभीरता पर अधिक सीमाएं हैं।