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फ्रांस में आयोजित G7 सम्मेलन में शामिल होंगे पीएम मोदी, इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला
Published by: शिल्पा ठाकुर
Updated Sun, 25 Aug 2019 10:38 AM IST
सार
- फ्रांस में आयोजित होने वाले जी-7 सम्मेलन में पहले से बहुत कुछ अलग होगा।
- यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा है कि, 'एकता और एकजुटता की कठिन परीक्षा' होगी।
- ऐसा इसलिए क्योंकि व्यापार और जलवायु परिवर्तन सहित कई मुद्दों पर विभिन्न देशों की राय बंटी हुई है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : social media
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विस्तार
इस बार फ्रांस में आयोजित होने वाले जी-7 सम्मेलन में पहले से बहुत कुछ अलग होगा। इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपित इमैनुअल मैक्रों, जर्मनी चांसलर एंजेला मार्केल, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन और कडाना के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पहुंच चुके हैं।
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France: Japan Prime Minister Shinzo Abe, US President Donald Trump, France President Emmanuel Macron, German chancellor Angela Merkel, UK Prime Minister Boris Johnson and other leaders at the #G7Summit underway in Biarritz. pic.twitter.com/TNwozKMP39
— ANI (@ANI) August 25, 2019
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एक बैठक के दौरान यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा है कि, 'इस बार एकता और एकजुटता की कठिन परीक्षा' होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि व्यापार और जलवायु परिवर्तन सहित कई मुद्दों पर विभिन्न देशों की राय बंटी हुई है।
जी-7 सम्मेलन में कई औद्योगिक देश शामिल हैं। सम्मेलन में शामिल होने के लिए विश्व नेताओं ने शनिवार से ही फ्रांस के तटीय शहर बिआरित्ज में आना शुरू कर दिया है। क्योंकि सम्मेलन में ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, इटली, जापान, भारत और अमेरिका जैसे देश हैं। इस वजह से पास के शहर हेंडे में सम्मेलन के विरोध में कई लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। ताकि इन नेताओं का ध्यान कुछ प्रमुख मुद्दों की ओर खींचा जा सके।
माना जा रहा है कि इस तीन दिन के सम्मेलन में अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध, ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने के मुद्दे, तहरान के परमाणु प्रोग्राम के चलते अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव और ब्राजील में अमेजन वर्षावन को नष्ट करने वाली आग पर बातचीत हो सकती है।
सम्मेलन के शुरू होने से पहले ही टस्क ने एकता के लिए अपील की है। इसके अलावा ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कश्मीर मुद्दे पर भी बातचीत हो सकती है। जैसा कि ट्रंप कुछ दिन पहले कह चुके हैं कि वह जी-7 सम्मेलन में इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से बात कर सकते हैं।
टस्क ने कहा है, "यह हम सभी के लिए मुश्किल है कि हम एक राय खोजें और दुनिया को हमारे सहयोग की जरूरत है। यह हमारे राजनीतिक समुदाय को पुनर्स्थापित करने का अंतिम क्षण हो सकता है।" इस बार जी-7 सम्मेलन होस्ट कर रहे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों का कहना है कि वह चाहते हैं कि जी-7 राष्ट्रों के प्रमुख लोकतंत्र, लैंगिक समानता, शिक्षा और पर्यावरण की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करें।
इसके साथ ही उन्होंने एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी नेताओं को भी इन मुद्दों पर वैश्विक बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। मैक्रों ने एक टेलीविजन स्पीच में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक साझा राय निकलेगी, जिन्होंने कनाडा में पिछले साल जी-7 बैठक को अधूरा छोड़ दिया था। उन्होंने अंतिम सभा को छोड़कर सभी सदस्यों द्वारा जारी एक सहमति पत्र को अस्वीकार कर दिया था। ट्रंप के ऐसे चले जाने के बाद मौक्रों ने उनके साथ दो घंटे का अनिर्धारित लंच किया था।
मैक्रों ट्रंप से लीबिया, सीरिया और उत्तर कोरिया सहित विदेश नीति के विभिन्न मुद्दों पर बात कर सकते हैं। हालांकि दोनों देश ईरान के मामले में एक ही उद्देश्य रखते हैं, और वह है उसे परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकना।
इस बीच, करीब नौ हजार प्रदर्शनकारी बिआरित्ज से लगभग 35 किमी दूर हेंडे शहर में जुटे हैं। ये लोग स्पेन में बास्क क्षेत्र के लिए स्वतंत्रता, वैश्वीकरण, समलैंगिक अधिकारों, फिलिस्तीनी अधिकारों सहित विभिन्न मुद्दों पर जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।