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Ukraine: रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति की कीमत क्या? असमंजस में फंसे जेलेंस्की, US की योजना पर मिली दोहरी चुनौती
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कीव
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Fri, 21 Nov 2025 11:14 PM IST
सार
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि देश अब अपनी गरिमा खोने या अमेरिका जैसे अहम साझेदार को खोने के जोखिम के बीच कठिन विकल्प का सामना कर रहा है। अमेरिकी शांति योजना में रूस की कई मांगें शामिल हैं।
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यूक्रेन-रूस जंग
- फोटो : ANI
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विस्तार
रूस के खिलाफ लगभग चार साल से चल रहे युद्ध के बीच यूक्रेन अब अपने सबसे कठिन मोड़ पर पहुंच गया है। राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए साफ कहा कि देश को अब एक ऐसे फैसले का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें या तो वह अपनी गरिमा से समझौता करे या फिर अपने सबसे मजबूत साझेदार अमेरिका को खोने का जोखिम उठाए। अमेरिकी शांति प्रस्ताव इस समय यूक्रेन पर भारी दबाव बना रहा है और जेलेंस्की ने इसे देश के इतिहास के सबसे चुनौतीपूर्ण दौरों में से एक बताया।
अमेरिका द्वारा पेश की गई शांति योजना यूक्रेन के लिए कई कठिन शर्तें लेकर आई है। इसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कई पुरानी मांगें शामिल हैं, जिनमें यूक्रेन से कुछ क्षेत्र रूस को सौंपने का प्रस्ताव भी है। यह योजना न केवल यूक्रेन की सेना के आकार को घटाने की बात करती है, बल्कि यूक्रेन की नाटो सदस्यता का रास्ता भी रोकती है। दूसरी ओर, ट्रंप ने जेलेंस्की से इस 28 बिंदुओं वाली योजना पर गुरुवार तक जवाब देने को कहा है, हालांकि उन्होंने समयसीमा बढ़ाने की संभावना खुली रखी है।
अमेरिकी दबाव और यूक्रेनी प्रतिक्रिया
जेलेंस्की ने संकेत दिया कि अमेरिका को नाराज़ करना यूक्रेन के लिए गंभीर रणनीतिक खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश इस समय “सबसे कठिन दबाव” से गुजर रहा है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यूक्रेन को संभवतः सब कुछ नहीं मिल पाएगा और उसे एक समझौते के लिए तैयार रहना पड़ सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार शांत रहते हुए अमेरिका और अन्य साझेदारों से बातचीत करेगी और “यूक्रेन के राष्ट्रीय हितों” को प्राथमिकता देगी।
ये भी पढ़ें- एयर शो के दौरान पहले भी क्रैश हुए हैं अमेरिका जैसे देशों के लड़ाकू विमान, जानें कब हुए हादसे
यूक्रेन में आंतरिक तनाव और भ्रष्टाचार विवाद
अपने संबोधन में जेलेंस्की ने यूक्रेनियों से एक दूसरे के खिलाफ संघर्ष रोकने की अपील भी की। यह बयान देश में हाल ही में सामने आए बड़े भ्रष्टाचार घोटाले के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसे लेकर सरकार की आलोचना बढ़ी है। राष्ट्रपति ने कहा कि अगले सप्ताह होने वाली शांति वार्ता बेहद कठिन होंगी और देश को एकजुट रहना होगा।
यूरोप का रुख और समर्थन जारी
अमेरिकी प्रस्ताव से यूरोपीय देश हैरान जरूर हुए, लेकिन उन्होंने सावधानी भरे शब्दों में यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन दोहराया है। शुक्रवार को जेलेंस्की ने जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से बात की। तीनों नेताओं ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनका समर्थन “अटल और पूर्ण” रहेगा। यूरोपीय नेताओं ने अमेरिकी प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि किसी भी समझौते का आधार वर्तमान युद्ध रेखाएं और यूक्रेन की संप्रभुता की रक्षा होनी चाहिए।
यूरोप की चेतावनी और यूक्रेन की सीमाएं
यूरोपीय देशों ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन को अपनी सैन्य क्षमता बनाए रखने की जरूरत है, ताकि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा कर सके। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर ने कहा कि यूक्रेन के भविष्य का फैसला सिर्फ यूक्रेन ही करेगा और वह अपनी शर्तों पर शांति चाहता है। यूरोपीय संघ की यह सतर्क प्रतिक्रिया बताती है कि वह अमेरिका को नाराज़ नहीं करना चाहता, लेकिन यूक्रेन को कमजोर स्थिति में भी नहीं देखना चाहता।
आगे की राह और गहरी कूटनीतिक जंग
इस पूरे घटनाक्रम ने यूक्रेन की कूटनीतिक चुनौतियों को और गहरा कर दिया है। एक तरफ रूसी दबाव और दूसरी तरफ अमेरिकी शर्तों के बीच यूक्रेन को ऐसा निर्णय लेना है, जो उसकी अस्तित्व की लड़ाई को भविष्य में प्रभावित करेगा। जेलेंस्की ने कहा कि वे न्यायपूर्ण समाधान के लिए प्रयास करते रहेंगे, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यूक्रेन गरिमा खोकर कोई समझौता नहीं करेगा। आने वाले दिनों में होने वाली वार्ताएं न केवल यूक्रेन बल्कि पूरी यूरोपीय सुरक्षा व्यवस्था का भविष्य तय कर सकती हैं।
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अमेरिकी दबाव और यूक्रेनी प्रतिक्रिया
जेलेंस्की ने संकेत दिया कि अमेरिका को नाराज़ करना यूक्रेन के लिए गंभीर रणनीतिक खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश इस समय “सबसे कठिन दबाव” से गुजर रहा है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यूक्रेन को संभवतः सब कुछ नहीं मिल पाएगा और उसे एक समझौते के लिए तैयार रहना पड़ सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार शांत रहते हुए अमेरिका और अन्य साझेदारों से बातचीत करेगी और “यूक्रेन के राष्ट्रीय हितों” को प्राथमिकता देगी।
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यूक्रेन में आंतरिक तनाव और भ्रष्टाचार विवाद
अपने संबोधन में जेलेंस्की ने यूक्रेनियों से एक दूसरे के खिलाफ संघर्ष रोकने की अपील भी की। यह बयान देश में हाल ही में सामने आए बड़े भ्रष्टाचार घोटाले के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसे लेकर सरकार की आलोचना बढ़ी है। राष्ट्रपति ने कहा कि अगले सप्ताह होने वाली शांति वार्ता बेहद कठिन होंगी और देश को एकजुट रहना होगा।
यूरोप का रुख और समर्थन जारी
अमेरिकी प्रस्ताव से यूरोपीय देश हैरान जरूर हुए, लेकिन उन्होंने सावधानी भरे शब्दों में यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन दोहराया है। शुक्रवार को जेलेंस्की ने जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से बात की। तीनों नेताओं ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनका समर्थन “अटल और पूर्ण” रहेगा। यूरोपीय नेताओं ने अमेरिकी प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि किसी भी समझौते का आधार वर्तमान युद्ध रेखाएं और यूक्रेन की संप्रभुता की रक्षा होनी चाहिए।
यूरोप की चेतावनी और यूक्रेन की सीमाएं
यूरोपीय देशों ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन को अपनी सैन्य क्षमता बनाए रखने की जरूरत है, ताकि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा कर सके। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर ने कहा कि यूक्रेन के भविष्य का फैसला सिर्फ यूक्रेन ही करेगा और वह अपनी शर्तों पर शांति चाहता है। यूरोपीय संघ की यह सतर्क प्रतिक्रिया बताती है कि वह अमेरिका को नाराज़ नहीं करना चाहता, लेकिन यूक्रेन को कमजोर स्थिति में भी नहीं देखना चाहता।
आगे की राह और गहरी कूटनीतिक जंग
इस पूरे घटनाक्रम ने यूक्रेन की कूटनीतिक चुनौतियों को और गहरा कर दिया है। एक तरफ रूसी दबाव और दूसरी तरफ अमेरिकी शर्तों के बीच यूक्रेन को ऐसा निर्णय लेना है, जो उसकी अस्तित्व की लड़ाई को भविष्य में प्रभावित करेगा। जेलेंस्की ने कहा कि वे न्यायपूर्ण समाधान के लिए प्रयास करते रहेंगे, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यूक्रेन गरिमा खोकर कोई समझौता नहीं करेगा। आने वाले दिनों में होने वाली वार्ताएं न केवल यूक्रेन बल्कि पूरी यूरोपीय सुरक्षा व्यवस्था का भविष्य तय कर सकती हैं।
Ukraine: रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति की कीमत क्या? असमंजस में फंसे जेलेंस्की, US की योजना पर मिल रही दोहरी चुनौती