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Auto Sales: जीएसटी कटौती से साल के आखिर में बढ़ी मांग, 2025 में पीवी बिक्री ने बनाया नया रिकॉर्ड
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Tue, 30 Dec 2025 05:05 PM IST
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सार
कैलेंडर ईयर 2025 में पैसेंजर गाड़ियों की रिटेल बिक्री रिकॉर्ड 4.37 मिलियन यूनिट्स तक पहुंच गई, जो साल-दर-साल 8.2 प्रतिशत बढ़ी।
Automobile Industry
- फोटो : PTI
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विस्तार
साल 2025 में पैसेंजर व्हीकल (पीवी) रिटेल सेल्स (खुदरा बिक्री) 43.7 लाख यूनिट्स के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। यह सालाना आधार पर 8.2 प्रतिशत की बढ़त है, जो साल के बीच में घोषित जीएसटी कटौती के बाद मांग में आई तेज रिकवरी का नतीजा मानी जा रही है। शुरुआती महीनों में सुस्त रहने के बाद बाजार ने जोरदार वापसी की। जिससे उद्योग के उस अनुमान को भी पीछे छोड़ दिया गया, जिसमें ग्रोथ को केवल कम एकल अंक में आंका गया था। हालांकि यह बढ़त 2022 और 2023 में दर्ज दो अंकों की वृद्धि से कम रही।
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2024 की सुस्ती के बाद 2025 में बदला माहौल
2024 में कुल पीवी बिक्री 40.3 लाख यूनिट्स रही थी, जब ऊंची ब्याज दरें, बढ़ी हुई गाड़ियों की कीमतें और सतर्क उपभोक्ता रुख के कारण मांग दबाव में थी। इसके उलट, 2025 में अगस्त के बाद तस्वीर बदलती दिखी। जीएसटी ढांचे में बदलाव से वाहनों की अफोर्डेबिलिटी बेहतर हुई और त्योहारी सीजन के दौरान रुकी हुई खरीदारी तेजी से पूरी होने लगी।
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2024 में कुल पीवी बिक्री 40.3 लाख यूनिट्स रही थी, जब ऊंची ब्याज दरें, बढ़ी हुई गाड़ियों की कीमतें और सतर्क उपभोक्ता रुख के कारण मांग दबाव में थी। इसके उलट, 2025 में अगस्त के बाद तस्वीर बदलती दिखी। जीएसटी ढांचे में बदलाव से वाहनों की अफोर्डेबिलिटी बेहतर हुई और त्योहारी सीजन के दौरान रुकी हुई खरीदारी तेजी से पूरी होने लगी।
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Automobile Industry
- फोटो : PTI
जीएसटी कटौती का सीधा असर बिक्री पर
टैक्स संशोधन का असर सालभर की बिक्री के आंकड़ों में साफ झलकता है। जनवरी से अगस्त के बीच औसत मासिक पीवी खुदरा बिक्री 3.45 लाख यूनिट्स रही, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले सिर्फ 5.1 प्रतिशत ज्यादा थी। वहीं, सितंबर से दिसंबर के बीच औसत मासिक बिक्री बढ़कर करीब 3.99 लाख यूनिट्स हो गई और इस दौरान ग्रोथ रेट 14 प्रतिशत तक पहुंच गई। यह बदलाव इस बात को रेखांकित करता है कि जीएसटी कटौती ने मांग को रफ्तार देने में अहम भूमिका निभाई।
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टैक्स संशोधन का असर सालभर की बिक्री के आंकड़ों में साफ झलकता है। जनवरी से अगस्त के बीच औसत मासिक पीवी खुदरा बिक्री 3.45 लाख यूनिट्स रही, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले सिर्फ 5.1 प्रतिशत ज्यादा थी। वहीं, सितंबर से दिसंबर के बीच औसत मासिक बिक्री बढ़कर करीब 3.99 लाख यूनिट्स हो गई और इस दौरान ग्रोथ रेट 14 प्रतिशत तक पहुंच गई। यह बदलाव इस बात को रेखांकित करता है कि जीएसटी कटौती ने मांग को रफ्तार देने में अहम भूमिका निभाई।
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छोटे कार सेगमेंट को मिली नई जान
सितंबर में सरकार ने पैसेंजर व्हीकल्स पर जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव किया। छोटी कारों पर टैक्स 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया, जिससे एंट्री-लेवल हैचबैक और कॉम्पैक्ट कारों की ऑन-रोड कीमतें कम हुईं। लंबे समय से महंगाई और बदलती पसंद के चलते कमजोर पड़े इस सेगमेंट में इससे नई जान आई। वहीं, बड़ी कारों और ज्यादातर एसयूवी पर 28 प्रतिशत के साथ सेस की जगह एकमुश्त 40 प्रतिशत जीएसटी लागू किया गया। भले ही यह दर ऊंची दिखती हो, लेकिन टैक्स संरचना के सरलीकरण से कई मॉडलों पर प्रभावी कर बोझ कम हुआ।
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सितंबर में सरकार ने पैसेंजर व्हीकल्स पर जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव किया। छोटी कारों पर टैक्स 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया, जिससे एंट्री-लेवल हैचबैक और कॉम्पैक्ट कारों की ऑन-रोड कीमतें कम हुईं। लंबे समय से महंगाई और बदलती पसंद के चलते कमजोर पड़े इस सेगमेंट में इससे नई जान आई। वहीं, बड़ी कारों और ज्यादातर एसयूवी पर 28 प्रतिशत के साथ सेस की जगह एकमुश्त 40 प्रतिशत जीएसटी लागू किया गया। भले ही यह दर ऊंची दिखती हो, लेकिन टैक्स संरचना के सरलीकरण से कई मॉडलों पर प्रभावी कर बोझ कम हुआ।
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SUV
- फोटो : Porsche
एसयूवी की पकड़ मजबूत, मांग में व्यापक सुधार
मांग में रिकवरी लगभग सभी सेगमेंट में देखने को मिली, लेकिन एसयूवी और कॉम्पैक्ट यूटिलिटी व्हीकल्स का दबदबा बना रहा। वाहन निर्माताओं का कहना है कि कीमतों को लेकर बेहतर स्पष्टता और त्योहारी छूट ने उन ग्राहकों को खरीदारी के लिए प्रेरित किया, जिन्होंने पहले फैसला टाल दिया था। इसके साथ ही छोटे कार सेगमेंट में भी स्थिरता के शुरुआती संकेत दिखने लगे।
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मारुति की बादशाहत बरकरार, महिंद्रा ने लगाई छलांग
बाजार में मारुति सुजुकी ने अपनी नंबर-वन पोजिशन बरकरार रखी। कंपनी ने 2025 में 17.6 लाख वाहन बेचे, जिससे कुल पीवी रिटेल बिक्री में उसकी हिस्सेदारी 40.4 प्रतिशत रही। छोटे कारों पर जीएसटी में राहत से इसके मास-मार्केट पोर्टफोलियो को खास सहारा मिला।
सबसे बड़ा फायदा महिंद्रा एंड महिंद्रा को हुआ, जिसने ह्यूंदै मोटर इंडिया को पीछे छोड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल किया। महिंद्रा ने 5.79 लाख गाड़ियां बेचीं और 13.3 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी दर्ज की, जो उसकी एसयूवी रेंज की मजबूत मांग का नतीजा है। ह्यूंदै 5.53 लाख यूनिट्स की बिक्री और 12.7 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर खिसक गई।
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2025 Tata Nexon
- फोटो : Tata Motors
टाटा मोटर्स भी कड़ी टक्कर में
टाटा मोटर्स ने 5.46 लाख यूनिट्स की खुदरा बिक्री के साथ 12.5 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी दर्ज की। टॉप चार कंपनियों के बीच घटता अंतर इस बात का संकेत है कि एसयूवी और इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा और तेज हो रही है।
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आगे को लेकर सतर्क आशावाद
डीलरों का रुख आगे के महीनों को लेकर सकारात्मक लेकिन सतर्क है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के मुताबिक, 74 प्रतिशत डीलर अगले तीन महीनों में ग्रोथ की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि मांग की स्थिरता आय में बढ़ोतरी, फाइनेंसिंग की स्थिति और 2026 में प्रवेश करते समय इन्वेंटरी मैनेजमेंट पर निर्भर करेगी।
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