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Bihar Election: राजद व कांग्रेस में टिकट बंटवारे पर घमासान, उठे बगावत के स्वर; रितु ने भरा निर्दलीय पर्चा

कुमार निशांत, अमर उजाला, पटना Published by: लव गौर Updated Mon, 20 Oct 2025 06:16 AM IST
सार

Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में महागठबंधन में दरार साफ दिखाई दे रही है। राजद व कांग्रेस में टिकट बंटवारे पर घमासान मचा हुआ है, जिसके चलते बगावत के स्वर उठे है। इस बीच राजद नेता रितु ने निर्दलीय पर्चा भरा है। 

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Bihar Election: RJD and Congress clash over ticket distribution RJD Ritu files independ
राजद में भी बढ़ा असंतोष रितु ने निर्दलीय भरा पर्चा - फोटो : अमर उजाला
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की एकजुटता की तस्वीर दरकने लगी है। टिकट बंटवारे को लेकर मचे घमासान ने गठबंधन की अंदरूनी कलह को उजागर कर दिया है। कांग्रेस और राजद, दोनों ही दल अपने-अपने खेमों में उठे बगावती स्वर से परेशान हैं। कांग्रेस के भीतर से ही पार्टी की साख पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। कस्बा से कांग्रेस विधायक अफाक आलम ने प्रदेश नेतृत्व पर टिकट बेचने के आरोप लगाए हैं।

आलम और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के बीच की वायरल ऑडियो बातचीत ने इस आरोप को और गंभीर बना दिया है। इस बातचीत में राजेश राम यह कहते सुने गए कि खेल, हाथी-घोड़ा सब चल रहा है, और पार्टी ऐसे नहीं चलेगी। अफाक आलम का दावा है कि बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, अध्यक्ष राजेश राम और शकील खान ने पप्पू यादव के दबाव में पैसे लेकर टिकट दिए। यह बयान कांग्रेस की नैतिक साख और संगठनात्मक अनुशासन, दोनों पर सीधा प्रहार है।

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अफाक आलम ने राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल तक अपनी शिकायत पहुंचाने की बात कही है। यह विवाद न सिर्फ कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि टिकट वितरण में लोकप्रियता या संगठन से ज्यादा आर्थिक और लॉबिंग शक्ति का प्रभाव बढ़ गया है।

राजद में भी बढ़ा असंतोष रितु ने निर्दलीय भरा पर्चा
महागठबंधन के दूसरे स्तंभ राजद में भी बगावत की लपटें तेज हैं। मधुबन से पूर्व प्रत्याशी मदन साह ने टिकट न मिलने पर कुर्ता फाड़ प्रदर्शन किया ही सीतामढ़ी की रितु जायसवाल ने भी बगावत का बिगुल बजा दिया है। परिहार सीट से टिकट कटने पर उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, परिहार को छोड़कर किसी अन्य क्षेत्र से चुनाव लड़ना मेरी आत्मा स्वीकार नहीं करती। इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि राजद में टिकट वितरण पारिवारिक समीकरणों और रसूख के आधार पर तय किया गया, जिससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ी है।

पप्पू यादव की दोहरी भूमिका और गठबंधन की असमंजसता

पूर्णिया सांसद पप्पू यादव इस पूरे विवाद के केंद्र में हैं। एक ओर कांग्रेस के भीतर उन पर “टिकट उगाही” का आरोप है, वहीं दूसरी ओर वह लालू यादव को गठबंधन धर्म निभाने की नसीहत दे रहे हैं।उन्होंने कहा कांग्रेस के बिना कोई नहीं बन सकता। लालू यादव को 1990 या 2005 की राजनीति छोड़नी होगी।यह बयान इस बात का संकेत है कि महागठबंधन में समन्वय की कमी और नेतृत्व पर अविश्वास की स्थिति बन चुकी है।

महागठबंधन का संकट : एकजुटता बनाम स्वार्थ की राजनीति

पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी सीट शेयरिंग को लेकर असहमति बनी हुई है। कांग्रेस, राजद, और वामदलों के बीच सीटों की खींचतान के साथ-साथ भीतरघात और टिकट की बोली की कहानियां गठबंधन की नैतिकता पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं। कांग्रेस में “आर्थिक प्रभाव” तो राजद में “वंश और वफादारी” की राजनीति हावी दिख रही है। इन दोनों प्रवृत्तियों ने महागठबंधन के भीतर असंतोष की आग भड़का दी है।

चुनाव से पहले ही घाव गहराए

जहां एनडीए अपने प्रचार में जुटा है, वहीं महागठबंधन का पूरा फोकस टिकटों की लड़ाई और आपसी अविश्वास में उलझा हुआ है। अंदरूनी बगावत, सार्वजनिक आरोप और वायरल ऑडियो इन सबने यह संकेत दे दिया है कि महागठबंधन का संकट विपक्ष की एकजुटता से ज्यादा टिकट की राजनीति पर केंद्रित हो गया है।

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