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Bihar News: गया जी में आस्था की मिसाल, रूस-यूक्रेन से आए श्रद्धालु कर रहे पितरों का तर्पण

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गया जी Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Thu, 18 Sep 2025 02:13 PM IST
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सार

गयाजी में चल रहे विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2025 में देश–विदेश से लाखों श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान कर रहे हैं। गुरुवार को रूस, यूक्रेन, अमेरिका और स्पेन से आए 17 विदेशी श्रद्धालुओं ने फल्गु नदी किनारे देवघाट पर पिंडदान और तर्पण किया।

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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच गया जी पहुंचे श्रद्धालु - फोटो : अमर उजाला
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रूस और यूक्रेन के बीच भले ही युद्ध जारी है, लेकिन गयाजी में दोनों देशों के श्रद्धालु एक साथ बैठकर अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान कर रहे हैं। 6 सितंबर से शुरू हुआ विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 21 सितंबर तक चलेगा। इस अवधि में देश–विदेश से लाखों की संख्या में हिन्दू सनातन धर्मावलंबी गया पहुंचकर अपने पितरों के मोक्ष की कामना के साथ पिंडदान, तर्पण और अन्य श्राद्ध कर्मकांड कर रहे हैं। मोक्षनगरी गया में मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान महालया योग में सभी मृत पितर अपने वंशजों के उद्धार के लिए आते हैं।
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हिंदू श्रद्धालुओं के साथ-साथ अब विदेशी श्रद्धालुओं की भी संख्या लगातार बढ़ रही है। गुरुवार को गया की फल्गु नदी के किनारे देवघाट पर रूस, यूक्रेन, अमेरिका और स्पेन से आए 17 विदेशी श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए पिंडदान और तर्पण किया। गयापाल पंडा मनोज लाल टइयां के नेतृत्व में यह कर्मकांड सम्पन्न कराया गया।
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उन्होंने बताया कि रूस, यूक्रेन, स्पेन और अमेरिका से आए श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और परंपरा को समझकर यहां पहुंचे हैं। देवघाट, अक्षयवट, रामशिला और प्रेतशिला वेदी पर ये सभी अपने पितरों का पिंडदान करेंगे। इस अनुष्ठान में 3 पुरुष और 14 महिलाएं शामिल थीं। विदेश से आई श्रद्धालु सियाना ने बताया कि गयाजी का विष्णुपद मंदिर हिंदू धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पितरों के प्रति प्रेम, आस्था और श्रद्धा का प्रतीक यही पितृपक्ष है।

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जिला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 25 लाख 19 हजार तीर्थयात्री गयाजी में श्राद्ध कर चुके हैं। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बावजूद दोनों देशों के श्रद्धालु भारतीय परिधान पहनकर यहां पहुंचे और अपने पितरों को याद करते हुए भावुक हो गए।
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