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Bihar: ज्ञान कुंभ में भारतीय ज्ञान परंपरा और विकसित भारत 2047 पर चर्चा, राज्यपाल और डिप्टी CM ने किया उद्घाटन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नालंदा
Published by: हिमांशु प्रियदर्शी
Updated Sun, 17 Nov 2024 07:09 PM IST
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सार
Nalanda Gyan Kumbh: राज्यपाल ने कहा कि विकसित भारत का सपना केवल भौतिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भारतीय स्व-परंपरा, भाषा और संस्कृति का जागरण भी शामिल है। उन्होंने मातृभाषा के महत्व पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा का माध्यम स्वभाषा होना चाहिए।

ज्ञान कुंभ का उद्घाटन करते राज्यपाल और उपमुख्यमंत्री तथा अन्य
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित नालंदा ज्ञान कुंभ का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया। इस कार्यक्रम का विषय ‘विकसित भारत @ 2047: भारतीय ज्ञान परंपरा’ था। राज्यपाल ने भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नालंदा की भूमि विश्वभर में ज्ञान का प्रतीक रही है। आने वाले समय में यह परंपरा भारत को विकसित बनाने में योगदान देगी।

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‘शिक्षा का माध्यम स्वभाषा हो’
राज्यपाल ने कहा कि विकसित भारत का सपना केवल भौतिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भारतीय स्व-परंपरा, भाषा और संस्कृति का जागरण भी शामिल है। उन्होंने मातृभाषा के महत्व पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा का माध्यम स्वभाषा होना चाहिए। उन्होंने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग और उनकी सुरक्षा पर भी जोर दिया।
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‘नालंदा ज्ञान परंपरा का गौरवमय इतिहास है’
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि नालंदा ज्ञान परंपरा का गौरवमय इतिहास है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की चर्चा करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने का कार्य करेगा। उन्होंने स्थानीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने भारतीय संस्कृति और भाषा पर किए गए ऐतिहासिक हमलों का उल्लेख करते हुए आत्मनिर्भर भारत के निर्माण पर जोर दिया। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को देश की शिक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में कोई पूर्णविराम नहीं है; यह परंपरा एकत्व का संदेश देती है।
ज्ञान कुंभ के उद्देश्य और आयोजन की विशेषता
ज्ञान कुंभ के संयोजक डॉ. राजेश्वर कुमार ने बताया कि यह आयोजन भारतीयता को शिक्षा में पुनर्स्थापित करने का प्रयास है। इस ज्ञान कुंभ का आयोजन चार प्राचीन ज्ञान स्थलों पर किया जा रहा है। इसका समापन प्रयागराज में महा ज्ञान कुंभ के रूप में होगा।