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Bihar New: लंपी वायरस का बढ़ रहा खतरा, फुलवरिया में पशु चिकित्सालय से डॉक्टर नदारद; पशुपालकों में गुस्सा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गोपालगंज Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी Updated Wed, 03 Sep 2025 10:19 AM IST
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सार

फुलवरिया प्रखंड में चल रहे पशु चिकित्सालयों को लेकर पशुपालकों ने नाराजगी जाहिर की है। क्षेत्र में लंपी वायरस की वजह से गोवंशों की समस्याएं बढ़ गई हैं। कई गोवंश संक्रमित हैं। इलाज के लिए स्थानीय पशु पालक भटक रहे हैं।

Animal keepers are troubled by Lumpi virus in Gopalganj doctors accused of negligence
Bihar News: पशु चिकित्सालय के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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गोपालगंज जिले के फुलवरिया प्रखंड में चल रहे पशु चिकित्सालयों की लचर व्यवस्था से पशुपालक परेशान हैं। मंगलवार सुबह करीब 11 बजे प्रभात खबर की टीम जब लाढ़पुर स्थित पशु चिकित्सालय पहुँची तो कई पशुपालक अपने मवेशियों को लेकर इलाज के लिए इंतजार कर रहे थे, लेकिन डॉक्टर मौजूद नहीं थे। कर्मचारियों ने हमेशा की तरह वही जवाब दिया कि डॉक्टर साहब फील्ड में गए हैं।
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करीब 11 बजकर 10 मिनट पर पशु चिकित्सा प्रभारी डॉ. ललन कुमार अस्पताल पहुंचे और इलाज शुरू किया। उन्होंने बताया कि सुबह पांच पशुपालकों के पशुओं का इलाज करने के बाद वे फील्ड में चले गए थे। अब पूरे दिन अस्पताल में रहकर इलाज करेंगे।
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लंपी वायरस का खतरा बरकरार
डॉ. ललन कुमार ने बताया कि अब तक करीब 35 पशुओं में लंपी वायरस की पुष्टि हुई है। यह संक्रामक बीमारी है, जो एक पशु से दूसरे तक तेजी से फैलती है। टीम लगातार गाँव-गाँव जाकर दवा दे रही है और बचाव के उपाय भी बता रही है।

पारंपरिक उपचार के तौर पर पशुपालकों को सलाह दी जा रही है कि पान का 10 पत्ता, मरीच पाउडर, नमक और हल्दी मिलाकर सुबह-शाम पशुओं को खिलाएँ संक्रमित पशुओं को नीम का पत्ता, गिलोय और फिटकरी से धोने की भी सलाह दी गई है।

अस्पताल में संसाधनों की कमी
डॉ. ललन कुमार ने कहा कि अस्पताल की व्यवस्था बेहद कमजोर है। यहाँ चारदीवारी नहीं है, जिससे सुरक्षा की समस्या रहती है। पशुधन सहायक और अन्य सहयोगी कर्मियों की भारी कमी है, जिससे नियमित कामकाज प्रभावित हो रहा है। मिश्र बतरहां फक्कड़पुर शाखा चिकित्सालय की स्थिति तो और भी खराब है। वहाँ सिर्फ एक डॉक्टर हैं और अस्पताल की जमीन पर अतिक्रमण भी कर लिया गया है।

पशुपालकों की शिकायत
इलाज कराने पहुँचे पशुपालकों का कहना है कि डॉक्टर अक्सर अस्पताल में मौजूद नहीं रहते। जब भी मरीज पशु लेकर आते हैं तो कर्मचारियों का वही जवाब मिलता है कि डॉक्टर फील्ड में गए हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

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डॉक्टरों की अनुपस्थिति चिंता का विषय
पशुपालकों का कहना है कि जब लंपी वायरस जैसी गंभीर बीमारी फैली हुई है, उस समय अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति चिंता का विषय है। समय पर इलाज न मिलने से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि सभी पशु चिकित्सालयों में डॉक्टर और सहयोगी कर्मियों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए, ताकि मवेशियों की जान बचाई जा सके और बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सके।

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