Bihar News: दुबई में रहस्यमयी ढंग से लापता हुआ सीवान का युवक, परिजनों ने सरकार से लगाई गुहार
Bihar: युवक के पिता किशुन महतो ने जामो थाना में लिखित आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज कराई है। आवेदन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उनका पुत्र दुबई में लापता हो गया है और उसकी जान-माल की सुरक्षा को लेकर गंभीर आशंका है।

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सीवान जिले के जामो थाना क्षेत्र के अलमापुर गांव का एक युवक दुबई में रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हो गया है। परिजनों ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई है।

जानकारी के अनुसार, अलमापुर निवासी किशुन महतो का 21 वर्षीय पुत्र धर्मेंद्र कुमार 14 जून 2025 को एक स्थानीय एजेंट के माध्यम से रोजगार की तलाश में दुबई गया था। परिजनों ने बताया कि दुबई पहुंचने के बाद उसकी अंतिम बार बातचीत 2 जुलाई को हुई थी। इसके बाद से उसका किसी से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। कई प्रयासों के बावजूद न तो फोन कॉल लग रही है और न ही कोई अन्य जानकारी मिल रही है।
परिवार का कहना है कि धर्मेंद्र स्थानीय एजेंट उमा यादव के जरिए दुबई गया था। लेकिन जब उससे जानकारी मांगी गई तो उसने साफ कह दिया कि उसका काम केवल लोगों को बाहर भेजने तक सीमित है, उसके बाद की कोई जिम्मेदारी नहीं है। एजेंट के इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये से परिजन बेहद आहत हैं।
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युवक के पिता किशुन महतो ने जामो थाना में लिखित आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज कराई है। आवेदन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उनका पुत्र दुबई में लापता हो गया है और उसकी जान-माल की सुरक्षा को लेकर गंभीर आशंका है। परिवार ने पुलिस प्रशासन, केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से हस्तक्षेप कर मदद की अपील की है।
परिजनों ने बताया कि धर्मेंद्र की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और इसी कारण वह रोजगार की तलाश में विदेश गया था। लेकिन अब महीनों से उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है, जिससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
इधर, जामो थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने भी सरकार और विदेश मंत्रालय से मांग की है कि दूतावास के स्तर पर तुरंत कार्रवाई की जाए, ताकि धर्मेंद्र का सुराग मिल सके और उसे सुरक्षित भारत वापस लाया जा सके।
गांव के लोगों का कहना है कि रोजगार के नाम पर स्थानीय एजेंट युवाओं को झूठे सपने दिखाकर विदेश भेजते हैं और बाद में जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। धर्मेंद्र का मामला भी इसी लापरवाही का नतीजा प्रतीत होता है। फिलहाल पूरा परिवार सरकार की मदद और बेटे के सुरक्षित लौटने की उम्मीद लगाए बैठा है।