Zara Hatke: क्यों सुबह 3 बजे बजाया जाता है ट्रेन का हॉर्न? लोको पायलट का ये सीक्रेट जान लें, नहीं तो पछताएंगे
Zara Hatke: भारतीय रेलवे में 11 तरह के हॉर्न होते हैं, जो अलग परिस्थितियों और लोको पायलट-गार्ड संचार के लिए इस्तेमाल होते हैं। एक लंबा हॉर्न यात्रियों को रुकने का संकेत देता है।
विस्तार
ट्रेन से सफर करना ज्यादातर लोगों को बहुत पसंद होता है, खासकर लंबी दूरी की यात्रा के दौरान। इस दौरान बच्चे, बड़े और अक्सर सभी यात्री ट्रेन के आसपास के वातावरण को गौर से देखते और महसूस करते हैं। ट्रेन की गति, स्टेशन की अनाउंसमेंट और हॉर्न की आवाज जैसी चीजें अक्सर लंबे समय तक याद रहती हैं। इनमें से सबसे दिलचस्प और अनोखी चीज ट्रेन का हॉर्न है। कई लोग सोचते होंगे कि ट्रेन का हॉर्न सिर्फ आवाज करने के लिए होता है, लेकिन इसके पीछे कई तकनीकी और सुरक्षा कारण होते हैं। तो आइए जानते हैं कि इसके पीछे का राज क्या है।
क्यों सुबह 3 बजे ट्रेन का बजता है हॉर्न?
भारतीय रेलवे में मुख्य रूप से 11 तरह के हॉर्न इस्तेमाल किए जाते हैं। ये हॉर्न अलग-अलग स्थितियों को दर्शाते हैं और लोको पायलट या गार्ड के बीच संचार का काम करते हैं। उदाहरण के लिए एक लंबा हॉर्न यात्रियों को रुकने का संकेत देता है। दो छोटे हॉर्न ट्रेन शुरू करने की तैयारी दिखाते हैं। चार छोटे हॉर्न तकनीकी खराबी का इशारा करते हैं और छह छोटे हॉर्न किसी आपात स्थिति को बताने के लिए बजाए जाते हैं। इसके अलावा एक लंबा और एक छोटा हॉर्न ब्रेक सिस्टम सेट करने का संकेत देते हैं।
जानवरों को देता है चेतावनी
ट्रेन का हॉर्न सिर्फ यात्रियों को नहीं, बल्कि बाहर मौजूद लोगों और जानवरों को भी चेतावनी देने का काम करता है। रात के समय और सुबह जल्दी लोग और जानवर अनजाने में पटरियों के पास हो सकते हैं। ऐसे में हॉर्न उन्हें सुरक्षित दूरी बनाए रखने का संकेत देता है और दुर्घटना से बचाता है। विशेष रूप से लोको पायलटों को पटरियों पर किसी खतरे या किसी विशेष स्थिति का संकेत देने के लिए हॉर्न बजाना जरूरी होता है।
गार्ड और लोको पायलट हॉर्न का करते हैं इस्तेमाल
लोको पायलट ट्रेन को यार्ड में धुलाई या सफाई के लिए भेजते समय भी हॉर्न बजाते हैं। इससे बाहर खड़े लोग और रेलवे कर्मचारी जान जाते हैं कि ट्रेन सफाई या बाकी काम के लिए तैयार है। स्टेशन से निकलने से पहले भी गार्ड और लोको पायलट हॉर्न का इस्तेमाल सिग्नल देने के लिए करते हैं। इससे ट्रेन के संचालन में गड़बड़ी नहीं होती और सभी कर्मचारी समय पर सावधान हो जाते हैं।
क्रॉसिंग में हॉर्न बजाना होता है जरूरी
बिना फाटक वाली क्रॉसिंग या ऐसे फाटक जहां फाटक नहीं हैं, वहां हॉर्न बजाना कानूनी रूप से अनिवार्य है। इसका मकसद राहगीरों और आसपास के लोगों को सतर्क करना और किसी दुर्घटना को रोकना है। हॉर्न के विभिन्न पैटर्न से लोको पायलट और गार्ड एक-दूसरे को संदेश देते हैं। जैसे तीन छोटे हॉर्न आपातकाल का संकेत देते हैं, वहीं एक लंबा और एक छोटा हॉर्न ट्रेन की ब्रेक चेकिंग या सफर शुरू करने का इशारा करता है।