Year Ender: भारत-ब्रिटेन संबंध के लिए खास रहा 2025, FTA से लेकर ‘विजन 2035’ तक ने बटोरी सुर्खियां
2025 में भारत-ब्रिटेन संबंधों को नई मजबूती मिली। मुक्त व्यापार समझौता (FTA) और ‘विजन 2035’ के साथ सहयोग का दायरा बढ़ा, जबकि आव्रजन, टैक्स नीति और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे चर्चा में रहे। आइए विस्तार से जानते हैं।
विस्तार
भारत और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से लंबित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) आखिरकार 2025 में हकीकत बन गया। चार साल से अधिक समय तक चली बातचीत के बाद यह ऐतिहासिक समझौता जुलाई में नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान औपचारिक रूप से संपन्न हुआ। इसके साथ ही दोनों देशों ने व्यापार और निवेश से आगे सहयोग को नई दिशा देने के लिए 10 वर्षीय 'इंडिया-यूके विजन 2035' रोडमैप पर भी सहमति जताई।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने इसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के साथ ऐतिहासिक समझौता बताया। उन्होंने अक्तूबर में भारत का दौरा कर अब तक के सबसे बड़े ब्रिटिश व्यापार प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की घोषणा भी की।
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व्यापार में बड़ी छलांग की उम्मीद
ब्रिटेन के डिपार्टमेंट फॉर बिजनेस एंड ट्रेड (DBT) के अनुसार, व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (CETA) के लागू होने के बाद द्विपक्षीय व्यापार मौजूदा 44.1 अरब पाउंड से बढ़कर 25 अरब पाउंड से अधिक का इजाफा कर सकता है। इस समझौते के 2026 की पहली छमाही में ब्रिटिश संसद से अनुमोदन मिलने की उम्मीद है।
शिक्षा, प्रवासन और कर नीति पर असर
दोनों देशों ने शिक्षा सहयोग को भी अहम प्राथमिकता दी। 2026 से भारत में कम से कम नौ ब्रिटिश विश्वविद्यालय अपने विदेशी कैंपस शुरू करने की तैयारी में हैं। इसे ब्रिटेन में सख्त होती आव्रजन नीति के बीच एक संतुलनकारी कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, हाल के महीनों में करीब 45,000 भारतीय छात्र और 22,000 कामकाजी पेशेवर देश छोड़ चुके हैं। स्थायी निवास के लिए प्रतीक्षा अवधि को 10 साल करने जैसे कड़े नियमों से यह रुझान आगे भी जारी रहने की आशंका है।
टैक्स नीति और अरबपतियों का पलायन
वर्ष 2025 में ब्रिटेन की टैक्स नीति में बड़े बदलाव भी सुर्खियों में रहे। चांसलर रैचल रीव्स द्वारा 'नॉन-डॉम' टैक्स स्टेटस खत्म किए जाने के बाद कई अमीर कारोबारी देश छोड़ने की तैयारी में हैं। राजस्थान में जन्मे उद्योगपति लक्ष्मी एन. मित्तल भी दुबई जैसे कम-कर वाले देशों में स्थानांतरित होने वालों में शामिल बताए गए।
भारतीय मूल के दिग्गजों को श्रद्धांजलि
साल के दौरान ब्रिटेन में बसे कई वरिष्ठ भारतीय मूल के उद्योगपतियों और बुद्धिजीवियों के निधन से एक युग का अंत भी हुआ। इनमें होटल कारोबारी जोगिंदर सांगर, हिंदुजा ग्रुप के जी.पी. हिंदुजा, कैपरो ग्रुप के संस्थापक लॉर्ड स्वराज पॉल और अर्थशास्त्री लॉर्ड मेघनाद देसाई शामिल रहे। लंदन में आयोजित विशेष समारोहों में उनके योगदान को याद किया गया।
सुरक्षा, आतंकवाद और मानवीय मुद्दे
आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता भी भारत-ब्रिटेन संबंधों के केंद्र में रही। दिल्ली और कश्मीर में हुए आतंकी हमलों पर ब्रिटेन ने संवेदना जताई और भारत की आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों पर करीबी नजर रखी। इसके अलावा, अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रही एयर इंडिया की उड़ान दुर्घटना ने ब्रिटेन में बसे भारतीय समुदाय को गहरा झटका दिया। इस हादसे में 242 में से सिर्फ एक यात्री जीवित बचा।
प्रत्यर्पण और कानूनी मामले
आर्थिक अपराधों से जुड़े कई हाई-प्रोफाइल प्रत्यर्पण मामले भी चर्चा में रहे। विजय माल्या और नीरव मोदी से जुड़े मामलों में कानूनी प्रक्रिया जारी रही, जबकि हथियार सलाहकार संजय भंडारी को मानवाधिकार आधार पर ब्रिटेन की अदालत से राहत मिली।
कुल मिलाकर, 2025 भारत-ब्रिटेन रिश्तों के लिए निर्णायक साबित हुआ, जहां व्यापारिक साझेदारी, रणनीतिक सहयोग, प्रवासन, सुरक्षा और मानवीय सरोकार एक साथ केंद्र में रहे। 2026 में इन मुद्दों पर दोनों देशों की दिशा और स्पष्ट होने की उम्मीद है।