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Business: दुर्लभ पृथ्वी खनन के लिए IREL की फंडिंग मजबूत करे सरकार, संसदीय समिति का अहम सुझाव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Sun, 21 Dec 2025 12:31 PM IST
सार
देश-दुनिया में इस समय दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की अहमियत और जरूरत लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि दुर्लभ खनिजों तक सुगम पहुंच एक रणनीतिक ताकत बन गई है और दुनियाभर के देश इस ताकत को पाना चाहते हैं। ऐसे में संसदीय समिति ने सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं, जिससे देश में भी इन दुर्लभ खनिजों की उपलब्धता हो सके।
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आईआरईएल को फंडिंग बढ़ाने का सुझाव
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
संसदीय समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि देश के भीतर दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के खनन को बढ़ावा देने के लिए खनन कंपनी IREL को फंडिंग बढ़ाई जाए। आईआरईएल एक केंद्रीय कंपनी है, जो परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत आती है। यह देश में एकमात्र कंपनी है, जो देश में दुर्लभ खनिजों को खनन और उनके प्रसंस्करण से जुड़ी है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में दिए हैं ये सुझाव
कोयला, खनन और स्टील की संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को ऐसी रणनीति बनानी चाहिए, जिससे देश में दुर्लभ खनिजों की पहचान, उनके अन्वेषण और खनन का काम हो सके और आयात पर निर्भरता कम की जा सके। रिपोर्ट में बजट में ही आईआरईएल को फंडिंग देने का प्रावधान करने का भी सुझाव दिया गया है। दुर्लभ खनिज वे तत्व हैं, जो धरती पर बेहद दुर्लभ हैं और अक्षय ऊर्जा उत्पादन, पवन ऊर्जा, हाइब्रिड कार उत्पादन, इलेक्ट्रिक मोटर, सौर ऊर्जा बनाने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि खनन मंत्रालय को दुर्लभ खनिजों की प्रोसेसिंग की अहम तकनीक के ट्रांसफर के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाना चाहिए।
ये भी पढ़ें- Mukesh Ambani: 'सौर ऊर्जा अब चार घंटे का ईंधन नहीं; हम दुनिया को देंगे सस्ती-स्वच्छ ऊर्जा', बोले मुकेश अंबानी
इन खनिजों का उत्पादन करती है आईआरईएल
सालाना 6 लाख टन की प्रोसेसिंग क्षमता के साथ, IREL इल्मेनाइट, रूटाइल, ज़िरकॉन, सिलिमेनाइट और गार्नेट जैसे प्रमुख मिनरल्स का उत्पादन करती है। यह ओडिशा के छत्रपुर में एक रेयर अर्थ एक्सट्रैक्शन प्लांट और केरल के अलुवा में एक रेयर अर्थ रिफाइनिंग यूनिट संचालित करती है। IREL फिलहाल अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, वैल्यू चेन इंडस्ट्रीज को सपोर्ट करने और केरल के कोल्लम में अपने नए प्लांट के जरिए R&D को आगे बढ़ाने पर फोकस कर रही है।
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समिति ने अपनी रिपोर्ट में दिए हैं ये सुझाव
कोयला, खनन और स्टील की संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को ऐसी रणनीति बनानी चाहिए, जिससे देश में दुर्लभ खनिजों की पहचान, उनके अन्वेषण और खनन का काम हो सके और आयात पर निर्भरता कम की जा सके। रिपोर्ट में बजट में ही आईआरईएल को फंडिंग देने का प्रावधान करने का भी सुझाव दिया गया है। दुर्लभ खनिज वे तत्व हैं, जो धरती पर बेहद दुर्लभ हैं और अक्षय ऊर्जा उत्पादन, पवन ऊर्जा, हाइब्रिड कार उत्पादन, इलेक्ट्रिक मोटर, सौर ऊर्जा बनाने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि खनन मंत्रालय को दुर्लभ खनिजों की प्रोसेसिंग की अहम तकनीक के ट्रांसफर के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाना चाहिए।
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इन खनिजों का उत्पादन करती है आईआरईएल
सालाना 6 लाख टन की प्रोसेसिंग क्षमता के साथ, IREL इल्मेनाइट, रूटाइल, ज़िरकॉन, सिलिमेनाइट और गार्नेट जैसे प्रमुख मिनरल्स का उत्पादन करती है। यह ओडिशा के छत्रपुर में एक रेयर अर्थ एक्सट्रैक्शन प्लांट और केरल के अलुवा में एक रेयर अर्थ रिफाइनिंग यूनिट संचालित करती है। IREL फिलहाल अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, वैल्यू चेन इंडस्ट्रीज को सपोर्ट करने और केरल के कोल्लम में अपने नए प्लांट के जरिए R&D को आगे बढ़ाने पर फोकस कर रही है।
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