Budget 2026: नए बजट में कैपेक्स पर ही रहेगा जोर, जानिए विकास की रफ्तार बढ़ाने व घाटा कम करने की क्या हो तैयारी
ईवाई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बजट FY 26-27 में सरकार का फोकस कैपेक्स और विकास पर रहेगा। जानिए कैसे मजबूत जीडीपी और कम महंगाई के बीच राजकोषीय घाटे के संतुलन को साधने की है तैयारी।
विस्तार
केंद्रीय बजट 2027 (Union Budget FY26-27) की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और वित्त मंत्रालय के गलियारों में हलचल तेज है। अर्न्स्ट एंड यंग (EY) ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकार रणनीति के बारे में बताया है। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि बजट 2026-27 में भी सरकार अपने अपने विकास के मंत्र पर कायम रहेगी। इसका मतलब है पूंजीगत व्यय (Capex) अर्थव्यवस्था का इंजन बना रहेगा। हालांकि यह भी, उम्मीद है कि वित्त मंत्री का एक हाथ विकास की डोर थामेगा, तो दूसरा राजकोषीय घाटे की लगाम कसेगा।
अर्थव्यवस्था की नींव है मजबूत
ईवाई की रिपोर्ट 'इकोनॉमी वॉच' के मुताबिक, भारत इस बार बजट सीजन से पहले आर्थिक आंकड़े मजबूत हैं। वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही (Q2 FY26) में वास्तविक जीडीपी (Real GDP) ने 8.2% की शानदार वृद्धि दर्ज की है। ऐसा मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में आई मजबूती से संभव हो सका। इससे भी बड़ी राहत की बात महंगाई के मोर्चे पर है। खुदरा महंगाई गिरकर 0.7% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है। यह गिरावट नीति निर्माताओं के लिए एक बड़े अवसर की तरह है। इस हालात में वे महंगाई की परवाह किए बिना अपना पूरा जोर विकास पर लगा सकते हैं।
सरकार का 'मास्टरस्ट्रोक', पूंजीगत निवेश पर जोर
बेहतरीन आर्थिक आंकड़ों के बीच ईवाई का मानना है कि FY27 में भी सरकार सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (Public Capex) को ही विकास का मुख्य हथियार बना सकती है। सरकार की यह मंशा आंकड़ों में में भी दिखती है। अप्रैल से अक्तूबर के बीच FY26 के दौरान पूंजीगत व्यय में 32.4% की भारी वृद्धि हुई। यह बताता है कि सरकार का पूरा फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर और संपत्तियों के निर्माण पर है। इसके ठीक उलट, रेवेन्यू एक्सपेंडिचर (वेतन, सब्सिडी आदि) को सख्ती से नियंत्रित किया गया है, इसमें उक्त अवधि के दौरान मात्र 0.03% की नगण्य वृद्धि दर्ज की गई है।
विश्लेषकों के अनुसार यदि भारत को मध्यम अवधि में 6.5% या उससे अधिक की जीडीपी वृद्धि दर बनाए रखनी है, तो कैपेक्स में सालाना 15-20% की बढ़ोतरी अनिवार्य है। यह रणनीति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं के कारण निर्यात (Exports) पर दबाव बना हुआ है, ऐसे में घरेलू सरकारी खर्च ही अर्थव्यवस्था को सहारा मिल सकता है।
कमाई की चुनौती और राजकोषीय गणित
हालांकि, सब कुछ हरा-भरा नहीं है। खर्च की इस रफ्तार के बीच कमाई के मोर्चे पर कुछ चिंताएं भी हैं। कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (CGA) के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल-अक्तूबर FY26 के दौरान सरकार का सकल कर राजस्व केवल 4.0% बढ़ा है। यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 10.8% था। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में आई यह सुस्ती सरकार के लिए चिंता का सबब है। ईवाई ने आगाह किया कि विकास को बढ़ावा देने की कोशिशों के बावजूद, टैक्स में उछाल सीमित रहने से सरकार के पास राजकोषीय गुंजाइश (Fiscal Space) कम ही है।
इसके बावजूद, उम्मीद जताई है कि सरकार वित्त वर्ष 2026 के लिए तय 4.4% के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से नहीं चूकेगी। मजबूत गैर-कर राजस्व (Non-Tax Revenues), खर्चों पर कड़ा नियंत्रण और तंबाकू पर उत्पाद शुल्क जैसे हालिया राजस्व बढ़ाने वाले उपाय इस लक्ष्य को हासिल करने में मददगार साबित होंगे।
अनुशासित विकास की ओर बढ़ेगी सरकार
कुल मिलाकर, आगामी बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का मुख्य फोकस राजकोषीय अनुशासन पर ही रहने की उम्मीद है। सरकार एफआरबीएम (Fiscal Responsibility and Budget Management) के लक्ष्यों को देखते हुए घाटे को कम करने का रोडमैप ला सकती है। ऐसा होने पर वह अपनी चादर देखकर ही पैर पसारेगी।